biography Archives - Learn With Vikas https://learnwithvikas.com/tag/biography/ Hindi Blog Website Thu, 12 Jan 2023 17:15:52 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.4.3 https://i0.wp.com/learnwithvikas.com/wp-content/uploads/2022/09/cropped-android-chrome-512x512-1.png?fit=32%2C32&ssl=1 biography Archives - Learn With Vikas https://learnwithvikas.com/tag/biography/ 32 32 208426820 स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी(Swami Vivekananda’s life story) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8/#respond Mon, 12 Sep 2022 13:22:23 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=492 नरेंद्रनाथ दत्त स्वामी विवेकानंद का मूल नाम था। जिन्हें विवेकानंद के नाम से जाना जाता है। भारतीय संस्कृति और पश्चिमी से स्वामी विवेकानंद जी प्रभावित थे। स्वामी विवेकानंद के सांस्कृतिक ज्ञान ने, अंतर-धार्मिक समझ को बढ़ावा दिया था।  विवेकानंद जी के शिक्षा की कहानी ( Education History Of Vivekananda) विवेकानंद ने अपने गुरु से सीखा […]

The post स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी(Swami Vivekananda’s life story) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
नरेंद्रनाथ दत्त स्वामी विवेकानंद का मूल नाम था।

जिन्हें विवेकानंद के नाम से जाना जाता है।

भारतीय संस्कृति और पश्चिमी

से स्वामी विवेकानंद जी प्रभावित थे।

स्वामी विवेकानंद के सांस्कृतिक ज्ञान ने, अंतर-धार्मिक समझ को बढ़ावा दिया था। 

विवेकानंद जी के शिक्षा की कहानी ( Education History Of Vivekananda)

विवेकानंद ने अपने गुरु से सीखा था कि भगवान की सेवा मानव जाति की सेवा के द्वारा प्रदर्शित की जा सकती है।
परिणामस्वरूप उन्होंने इस विश्वास को धारण किया।

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस के स्वतंत्र चिंतन के दर्शन को एक नए प्रतिमान(model) की दिशा में आगे बढ़ाया।

वह हिंदू अध्यात्मवाद(spiritualism) को वापस जीवन में लाने और हिंदू धर्म को दुनिया भर में एक सम्मानित धर्म बनाने के लिए जाने जाते थे ।

स्वामी विवेकानंद के बारे में(About Swami Vivekananda)

विश्वनाथ दत्ता और भुवनेश्वरी देवी के पुत्र नरेंद्रनाथ दत्त का जन्म कोलकाता, में हुआ था।

स्वामी विवेकानंद का जन्म दिवस 12 जनवरी, 1863 है ।

स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त है। 

क्योकि स्वामी विवेकानंद को एक देशभक्त संत के रूप में सम्मानित किया गया था।

उनकी माँ एक धार्मिक दृष्टिकोण वाली गृहिणी थीं ।

उनके पिता एक उच्च न्यायालय के वकील थे। उनके दादाजी संस्कृत और फारसी के विद्वान थे।

उच्च मध्यम वर्ग के परिवार में स्वामी विवेकानंद का पालन-पोषण हुआ।

उनके जीवन पर उनके माता-पिता के प्रगतिशील, तार्किक (logical) और धार्मिक दृष्टिकोण (religious outlook) ने उनके व्यक्तित्व जीवन को प्रभावित किया।

उन्हें आध्यात्मिकता (spirituality) में आजीवन (lifelong) रुचि थी।

वे नियमित रूप से हिंदू देवताओं के सामने प्रार्थना और ध्यान करते थे।

 पृष्ठभूमि (Background)

स्वामी विवेकानंद एक उत्कृष्ट छात्र थे।
उन्होंने ऐसी चीजों  का अध्ययन किया जिसमें उनकी रुचि थी।
चाहे वह दर्शनशास्त्र, विज्ञान, इतिहास, धर्म या साहित्य हो। 
या वह भगवद गीता, रामायण, महाभारत, उपनिषद और वेदों जैसे सभी प्रकार के धार्मिक ग्रंथों के भी शौकीन थे।

विवेकानंद जी अपने परिवार के साथ रायपुरा में रहते थे ।
10 साल की उम्र में  परिवार के साथ ये अपने जन्मस्थान वापिस चले गए।
स्वामी विवेकानंद ने प्रेसीडेंसी कॉलेज के लिए प्रवेश परीक्षा(entrance examinations ) दी।
वह इकलौता छात्र था जिसने प्रथम श्रेणी (first division ) के अंक प्राप्त किए थे। वह एक ऑलराउंडर(all rounder ) थे, स्वामी विवेकानंद को  भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी प्रशिक्षित(trained ) किया गया था।

स्वामी विवेकानंद जी के आंदोलन (The Movements Of Vivekananda)

  • स्वामी विवेकानंद जी पश्चिमी विचारों से प्रभावित थे।
  • इसलिए उन्होंने  एशियाई समाज में  जाति भेद के खिलाफ विद्रोह किया ।
  • 1828 का  एक आंदोलन जिसमें ईसाई सिद्धांतों को शामिल किया गया जिसने उन्हें सामाजिक सुधार को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया।
  • स्वामी विवेकानंद 1884 में ब्रह्म समाज में शामिल हुए ।
  • वह महिलाओं और निचली जातियों के सदस्यों के बीच शिक्षा के मूल्य को बढ़ावा देने, बाल विवाह को समाप्त करने और निरक्षरता का मुकाबला करने के लिए सामाजिक मानदंडों को तोड़ने के लिए दृढ़ थे।
  • 1881 से 1884 तक, वह बैंड ऑफ होप के  समूह में शामिल हुए।  जिसने युवाओं को  शराब पीने और धूम्रपान जैसी बुराइयों से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित किया।
स्वामी विवेकानंद

हिन्दू देवी- देवता में विवेकानंद जी की रुचि कैसे हुई

(The Rise Of Interest Among Gods & Goddesses)

जब वह 20 के दशक में थे, तो उन्होंने पहली बार रामकृष्ण का सामना किया।

नरेंद्रनाथ विभिन्न धर्मों के महत्वपूर्ण धार्मिक व्यक्तियों के पास जाते थे। उनसे एक साधारण प्रश्न पूछते थे: “क्या आपने भगवान को देखा है?
उन्होंने श्री रामकृष्ण से दक्षिणेश्वर काली मंदिर परिसर में एक ही प्रश्न बार-बार पूछा, तो उन्होंने उत्तर दिया की , हाँ मैंने भगवन को देखा है बिना किसी संदेह के। मैं वैसे भगवन को देख सकता हूँ , जैसे मैं तुम्हे देख रहा हूँ ।

रामकृष्ण के उत्तर से वे चकित रह गए थे।

रामकृष्ण की दया और धैर्य ने धीरे-धीरे स्वामी विवेकानंद को अपनी तरफ आकर्षित कर  लिया।
1884 में उनके पिता का अचानक से निधन हो गया। स्वामी विवेकानंद ने भगवान को पूरी तरह से महसूस करने के लिए 25 साल की उम्र में अपना सब कुछ त्याग दिया था।

1886 में गुरु रामकृष्ण की मृत्यु के बाद, उन्होंने रामकृष्ण मठ की जवाबदेही संभाली।

स्वामी विवेकानंद की मृत्यु (Death Of Swami Vivekananda)

स्वामी विवेकानंद ने अपना दिन अपने शिष्य को निर्देश देने और वैदिक विद्वानों के साथ बातचीत करने में बिताया।
4 जुलाई, 1902 को ध्यान की अवस्था में रहते हुए उनका निधन हो गया।

शिक्षा और मिशन रामकृष्ण(Education and Mission Ramakrishna)

1897 में भारत लौट आए तब शाही लोगों द्वारा समान रूप से उनका स्वागत किया गया।
वह देश भर में व्याख्यानों की एक श्रृंखला के बाद कलकत्ता आए।

1 मई, 1897 को कलकत्ता के पास बेलूर मठ में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।

रामकृष्ण मिशन ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक सेवा की जैसे स्कूलों, कॉलेजों, अस्पताल की स्थापना में अपना योगदान दिया।
सेमिनार और कार्यशाला के माध्यम से वेदांत के व्यावहारिक सिद्धांतों का प्रसार और देश भर में राहत और पुनर्वास कार्य की शुरुआत।

विवेकानंद के अनुसार, अंतिम लक्ष्य आत्मा की स्वतंत्रता प्राप्त करना है, और इसमें शामिल है।

उन्होंने अपने हमवतन लोगों से आग्रह किया:
“उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम लक्ष्य तक नहीं पहुंच जाते।”

स्वामी विवेकानन्द जी के जीवन से हमें क्या शिक्षा मिलती है

( Things To Learn From The Life Of Swami Vivekananda?)

विवेकानंद जी की जीवनी एकता की सच्ची नींव को प्रकट करने के लिए है।
विवेकानंद ने पश्चिमी संस्कृति की कमियों को दूर करने में भारत के योगदान पर प्रकाश डाला।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने एक बार कहा था, “स्वामीजी ने पूर्व और पश्चिम, धर्म और विज्ञान, अतीत और वर्तमान में समरसता स्थापित किया है।

शिक्षा के माध्यम से हमारे लोगों ने अभूतपूर्व आत्म-सम्मान, आत्मविश्वास और मुखरता(assertiveness) प्राप्त की।

उन्होंने हिंदू धर्मग्रंथ, दर्शन और जीवन के तरीके की विवेचन(Interpretation) की।
विवेकानंद ने पश्चिमी लोगों को समझा दिया कि संस्कृति को बनाने में भारत का बहुत बड़ा योगदान है।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

शी जिनपिंग कैसे बने चीन के सबसे ताकतवर नेता, शी का खेतिहर मजदुर से लेकर सत्ता तक का सफर

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बारे में जाने

प्रफुल्ल चंद्र राय ऐसे वैज्ञानिक थे जिनकी बात न गाँधी काट पाते थे न नेहरू

वायु प्रदूषण क्या होता है ? मानव जाति पर वायु प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है ?

वैष्णो देवी मंदिर कब अस्तित्व में आया? और किसने लगाया मंदिर का पता?

बाल दिवस क्या है? भारत में बाल दिवस मनाना कब से  शुरू हुआ ? बाल दिवस क्यों मनाया जाता है ?

पर्यावरण क्या है ? पर्यावरण का मानव जीवन  में क्या महत्व है?

क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?

संत स्वामी रामानन्द की जीवन कथा

कॉमेडियन कादर खान का फिल्मी सफर

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी(Swami Vivekananda’s life story) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a8%e0%a4%82%e0%a4%a6-%e0%a4%95%e0%a5%87-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8/feed/ 0 492
गोस्वामी तुलसीदास की दिव्य कथा: (Tulsidas) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/#respond Sun, 11 Sep 2022 16:37:14 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=486 तुलसीदास जी को गोस्वामी तुलसीदास के नाम से जाना जाता है। वे एक हिंदू कवि-संत, सुधारक और दार्शनिक थे।वे रामानंदी संप्रदाय के थे और जगद्गुरु रामानंदाचार्य के वंशज थे।उन्हें महाकाव्य रामचरितमानस लिखने के लिए सबसे अधिक जाना जाता है।जो संस्कृत रामायण का एक अवधी (Awadhi) अनुवाद है। जो भगवान श्री राम के जीवन की कहानी […]

The post गोस्वामी तुलसीदास की दिव्य कथा: (Tulsidas) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
तुलसीदास जी को गोस्वामी तुलसीदास के नाम से जाना जाता है।

वे एक हिंदू कवि-संत, सुधारक और दार्शनिक थे।
वे रामानंदी संप्रदाय के थे और जगद्गुरु रामानंदाचार्य के वंशज थे।
उन्हें महाकाव्य रामचरितमानस लिखने के लिए सबसे अधिक जाना जाता है।
जो संस्कृत रामायण का एक अवधी (Awadhi) अनुवाद है।

जो भगवान श्री राम के जीवन की कहानी कहता है।

वह संस्कृत और अवधी दोनों में विभिन्न प्रसिद्ध कार्यों के लेखक हैं।

तुलसीदास को मूल संस्कृत रामायण के लेखक वाल्मीकि के अवतार के रूप में सम्मानित किया गया था।
उन्हें राम के दिव्य भक्त हनुमान जी की भक्ति की एक प्रसिद्ध कविता, हनुमान चालीसा लिखने का श्रेय भी दिया जाता है।

गोस्वामी तुलसीदास पितृत्व और जन्म:( Birth and Paternity)

  • तुलसीदास का जन्म 1532 में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित राजापुर गांव में हुआ था।
  • माता जी का नाम हुलसी और पिता का नाम आत्माराम शुक्ल दुबे था।
  • ऐसा माना जाता है कि जब वे पैदा हुए थे तब वे रोए नहीं थे और उनके सभी बत्तीस दांत थे।
  • जब वे छोटे थे तब उन्हें तुलसीराम या राम बोला के नाम से जाना जाता था।

परिवार पुरुष के लिए तपस्वी (Story Of Becoming A Tapasvi)

तुलसीदास की शादी रत्नावली नाम की अतिसुंदर कन्या से हुई थी ।
विवाह के बाद तुलसीदास अपने गृहस्थ जीवन में व अपनी पत्नी के प्रेम में ऐसे डूब गए।

उनको  दुनिया जहाँन का कोई होश नहीं रहा।
एक बार, रत्नावली ने रामबोला का अपमान किया, कि जितना प्रेम मुझसे करते हो अगर इतना प्रेम राम से किया होता तो जीवन सुधर जाता।

इन शब्दों से तुलसीदास के हृदय गहरा प्रभाव परा। पत्नी के इतना बोलते ही रामबोला राम की तलाश में चले  गए।

इन शब्दों से तुलसीदास के हृदय गहरा प्रभाव परा। उन्होंने अपना घर छोड़ दिया।
तपस्या की और चौदह वर्ष विभिन्न पवित्र स्थलों की यात्रा में बिताए।

पौराणिक कथा के अनुसार, तुलसीदास ने भगवान हनुमान जी को देखा। उनके माध्यम से भगवान राम को देखा।
राम भगवन से उनकी ऐसी लगन है की आज भी रामकथा में राम के साथ तुलसीदास का भी नाम लिया जाता है।
अंत में वो अपनी पत्नी को क्षमा करके अपना शिष्य बना लेते है।

गोस्वामी तुलसीदास के अमर कार्य (Immortal Works of Goswami Tulsidas)

गोस्वामी तुलसीदास ने 12 पुस्तकें लिखीं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध रामायण का हिंदी संस्करण है।
जिसे “द रामचरितमानस” कहा जाता है।
उनकी सबसे बड़ी रचना 1575 ईस्वी में शुरू हुई और इसे पूरा होने में दो साल लगे।
यह कार्य अयोध्या में रचा गया था। इस कार्य को पूरा करने के तुरंत बाद ये वाराणसी चले गए।
जहां उन्होंने शिव के महाकाव्य का पाठ किया।
“विनय पत्रिका” तुलसीदास द्वारा लिखित एक अन्य महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसे उनकी अंतिम रचना माना जाता है।

महाकवि तुलसीदास | Goswami Tulsidas | The Author Of Ramayana

गोस्वामी तुलसीदास के चमत्कार और भटकना(Miracles and Wanderings of Goswami Tulsidas)

उन्होंने अपना अधिकांश जीवन वाराणसी में बिताया।
एक बार भगवान कृष्ण के मंदिरों को देखने के लिए वृंदावन की यात्रा की।
उन्होंने कृष्ण की मूर्ति देखी, वे बोले भगवान “मैं आपकी सुंदरता को पर्याप्त रूप से कैसे समझा सकता हूं?
तब भगवान ने, तुलसीदास को, भगवान राम के रूप में धनुष और तीर चलाने के रूप में प्रकट किया।  

एक प्रसिद्ध कथा का दावा है तुलसीदास के आशीर्वाद ने, एक महिला के मृत पति को, फिर से जीवित कर दिया।
दिल्ली में मुगल सम्राट को इस बारे में पता चला, उन्होंने तुलसीदास संत से कुछ चमत्कार करने का अनुरोध किया।

तुलसीदास ने यह कहते हुए मना कर दिया, की “मेरे पास कोई अलौकिक शक्ति नहीं है।
सम्राट ने उसे उसकी अवज्ञा(disobedience) के लिए  उनको कैद कर लिया।

तुलसीदास ने भगवान हनुमान से प्रार्थना की, जिससे मजबूत बंदरों के झुंड ने शाही दरबार पर हमला किया।
भयभीत सम्राट ने क्षमा की याचना करके तुलसीदास को कारागार से मुक्त कर दिया।
बाद में तुलसीदास और सम्राट के बीच घनिष्ठ मित्रता हो गई।
हनुमान जी ने तुलसीदास को भगवान राम के दर्शन प्राप्त करने में सहायता की।
तुलसीदास एक बार राम की भक्ति में इतने लीन हो गए कि वे सब कुछ भूल गए।

भगवान राम जी के दर्शन (Darshan Of Lord Rama)

एक बार काशी में राम कथा सुनाते हुए उनको हनुमान जी के दर्शन हुए ।
उसके बाद उन्होंने हनुमान जी को कहा की मुझे भगवान राम के दर्शन करने है।
हनुमान जी ने तुलसीदास को बताया कि चित्रकूट में ही आपको राम के दर्शन हो सकते है ।

यह सुनकर तुलसीदास ने चित्रकूट के रामघाट में अपना डेरा स्थापित किया।
एक अवसर पर, उन्होंने यात्रा के दौरान दो आकर्षक युवकों को घोड़े पर बैठा देखा।

उनको देखकर ही तुलसीदास विचलित हो गए थे।
हनुमान ने उन्हें बताया कि यह राम और लक्ष्मण थे क्योंकि बच्चे उनके आगे चल रहे थे।
तुलसीदास को यह जानकर बहुत निराशा हुई कि वह अपने स्वामी की पहचान नहीं कर सके।
हनुमान ने तुलसीदास जी को कुछ सांत्वना देते हुए कहा, “कल सुबह तुम फिर से राम लक्ष्मण को देखोगे।”
माघ मास की मौनी अमावस्या को सुबह स्नान करने के बाद, तुलसीदास घाट पर लोगों को चंदन चढ़ाने के लिए गए।
भगवान राम ने उन्हें एक बच्चे के रूप में दर्शन दिए और कहा, “बाबा हमें चंदन नहीं देंगे।”
हमुमान जी को लगा की तुलसीदास इस बार भी राम को न पहचान सकेंगे ,इसलिए तोते का रूप धारण करके गाने लगे “चित्रकूट के घाट पर ,भई संतन की भीड़ ,तुलसीदास चंदन घिसे ,तिलक लगाए रघुवीर “
भगवान राम ने तुलसीदास का हाथ पकड़ कर स्वयं तिलक लगा कर तुलसी दास के माथे पर भी तिलक लगा दिया।

कुछ रोचक तथ्य (Facts About Tulsidas)

  • वाराणसी में गंगा नदी पर तुलसी घाट उनके नाम पर है।
  • उन्होंने वाराणसी में हनुमान जी को समर्पित, संकटमोचन मंदिर का निर्माण किया।
  • यह वही स्थान है जहां उन्होंने पहली बार हनुमान जी को देखा था।
  • गोस्वामी तुलसीदास ने रामलीला नाटक भी शुरू किया, जो रामायण का लोक-नाट्य रूपांतरण(conversion) है।
  • भारतीय कला, संस्कृति और समाज पर तुलसीदास और उनके कार्यों का प्रभाव महत्वपूर्ण है।
  • आज भी स्थानीय भाषा में रामलीला, नाटकों, हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, लोकप्रिय संगीत और टेलीविजन श्रृंखला में देखा जा सकता है।

आखरी दिन(last day)

1623 में तुलसीदास अपने सांसारिक शरीर को छोड़कर  अमरता और शाश्वत आनंद के निवास में चले गए।

पवित्र नगरी वाराणसी में उनका अंतिम संस्कार गंगा (बनारस) के असी घाट पर किया गया।

गोस्वामी तुलसीदास की कृतियाँ(Works of Tulsidas)

“श्री रामचरितमानस” की सफलता के कारण, अतिरिक्त भाषा बोलने वालों ने मानस पढ़ने के लिए हिंदी सीखी।

“श्री रामचरित मानस” के अलावा पूज्य कवि तुलसीदास ने “दोहावली,” “गीतावली,” “विनय पत्रिका,” “कविता रामायण,” “बरवई रामायण,” “जानकीमंगल,” “राम लल्लनहाचू,” “हनुमान बाहुक” भी लिखी।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

शी जिनपिंग कैसे बने चीन के सबसे ताकतवर नेता, शी का खेतिहर मजदुर से लेकर सत्ता तक का सफर

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के बारे में जाने

प्रफुल्ल चंद्र राय ऐसे वैज्ञानिक थे जिनकी बात न गाँधी काट पाते थे न नेहरू

वायु प्रदूषण क्या होता है ? मानव जाति पर वायु प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है ?

वैष्णो देवी मंदिर कब अस्तित्व में आया? और किसने लगाया मंदिर का पता?

बाल दिवस क्या है? भारत में बाल दिवस मनाना कब से  शुरू हुआ ? बाल दिवस क्यों मनाया जाता है ?

पर्यावरण क्या है ? पर्यावरण का मानव जीवन  में क्या महत्व है?

क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?

संत स्वामी रामानन्द की जीवन कथा

कॉमेडियन कादर खान का फिल्मी सफर

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post गोस्वामी तुलसीदास की दिव्य कथा: (Tulsidas) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%b8%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%a4%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%b8%e0%a5%80%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/feed/ 0 486
दारा सिंह जीवनी (Dara Singh Biography) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/#respond Tue, 06 Sep 2022 10:13:48 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=457 दारा सिंह रंधावा का जन्म पंजाब में अमृतसर के धरमूचक गांव में बलवंत कौर और सूरत सिंह रंधावा के घर 19 नवंबर 1928 हुआ था।रंधावा एक अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिसने की कुस्ती में करीब 500 दंगल लड़े और उन 500 दंगलों में कभी नहीं हारे ।दारा सिंह के पहलवानी के समय में कोई भी […]

The post दारा सिंह जीवनी (Dara Singh Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
दारा सिंह रंधावा का जन्म पंजाब में अमृतसर के धरमूचक गांव में

बलवंत कौर और सूरत सिंह रंधावा के घर 19 नवंबर 1928 हुआ था।
रंधावा एक अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिसने की कुस्ती में करीब 500 दंगल लड़े और उन 500 दंगलों में कभी नहीं हारे ।
दारा सिंह के पहलवानी के समय में कोई भी एक ऐसा पहलवान नहीं था, जो की दारा सिंह को हरा सका हो।

दारा सिंह ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में बहुत मुस्किले देखी है और उनका सामना भी किया है।

इनकी शादी जबरन हुई थी ( They were forcibly married )

शुरुआती दिनों में दारा सिंह खेतों में काम किया करते थे।

घरवालों ने 14 साल की उम्र में ही उनकी मर्जी के खिलाफ दारा सिंह की शादी करबा दी थी।

उनकी पत्नी का नाम बचनो कौर है
बचनो कौर उम्र में दारा सिंह से काफी बड़ी थी।

ऐसे में उनके घर वालो ने उनकी खुराक बढ़ा दी ।
दूध-दही के साथ- साथ उनकी डाइट में अधिक मात्रा में बादाम को भी शामिल किया गया।

दारा सिंह की उम्र 17 साल थी जब वो पिता बन गए थे।

दारा सिंह

जब किंग कांग उससे हार गया था (when king kong was defeated by him)

50 के दशक में दारा सिंह और किंग कॉन्ग का मैच था।

इसी दौरान इन्होने ऑस्ट्रेलिया के किंग कॉन्ग को रिंग में ही पटखनी दे दी थी।
फिर उन्हें उठाकर रिंग के बाहर ही फेंक दिया था।

उनका ये मैच हमेशा याद रखने बाला है।

दारा सिंह का वजन उस समय 130 किलो था, जबकि किंग कांग का वजन 200 किलो था ।
वहीं, भारत को इन्होने कुश्ती में दुनिया के सबके सामने अलग पहचान दिलाई थी।

फिल्मी दुनिया में ऐसे हुई थी एंट्री:( Such was the entry in the film world)

इनको कुश्ती के दिनों से ही फिल्मों में काम मिलना शुरू हो गया था।

दारा सिंह ने फिल्मों में काम सिकंदर-ए-आजम और डाकू मंगल सिंह से शुरू किया था।
ये अपनी अंतिम फिल्म में करीना कपूर के दादा के रोल में नजर आए थे।
ये मूवी इम्तियाज अली की 2007 में रिलीज हुई थी।

रामायण में हनुमान जी का किरदार भी दारा सिंह ने निभाया था।
इनके दवारा 148 फिल्मों में काम किया गया है।

दारा सिंह हर फिल्म के लिए 4 लाख रुपये लेते थे।

इनकी ये फिल्में काफी पसंद की जाती है।
‘जैसे फौलाद’, ‘मर्द’,’मेरा नाम जोकर’,’कल हो ना हो’ और ‘जब वी मेट’ इत्यादि ।

दारा सिंह की डाइट कैसी थी?:( how was the diet of dara singh?)

वे अपने खाने -पीने पर बहुत ध्यान देते थे।

वो हर रोज दो लीटर दूध, आधा किलो मीट, 6-8 रोटी रोजाना खाते थे।

तथा हर रोज 100 ग्राम बादाम भी खाते थे।
वे प्रतिदिन मुरब्बा और घी खाते थे।

कहा जाता है कि ब्रैकफास्ट करना हेल्थ के लिए जरूरी है,

लेकिन दारा सिंह दिन में दो टाइम ही खाना खाते थे।

जिसमें लंच और डिनर शामिल है। साथ ही, वर्कआउट के साथ ठंडाई भी लेते थे।

वो हफ्ते में एक दिन व्रत भी रखते थे ताकि उनके शरीर का मेटोबोलिज्म ठीक रहे ।
26 साल की उम्र में, उन्होंने 1954 में राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियन का खिताब जीता।

उनके कुश्ती कौशल ने उन्हें पूरे देश में पहचान और सम्मान दिलाया।

उन्होंने 1947 में सिंगापुर की यात्रा की, जहां तरलोक सिंह को हराकर उन्हें मलेशिया का चैंपियन बनाया गया।

उन्होंने 1959 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीतने के लिए

किंग कांग, जॉर्ज गोर्डिएन्को और जॉन डेसिल्वा सहित 7 पहलवानों को हराया।

1968 में, सिंह ने अमेरिकी लू थेज़ को हराकर विश्व चैंपियन का खिताब जीता।
एक पेशेवर पहलवान के रूप में, उन्हें 1996 में रेसलिंग ऑब्जर्वर

न्यूज़लैटर हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया था।
रुस्तम-ए-हिंद और रुस्तम-ए-पंजाब जैसे कई सम्मान और उपाधियाँ उन्हें प्रदान की गई हैं।
1983 में दिल्ली में आयोजित एक प्रतियोगिता में, उन्होंने प्रतिस्पर्धी कुश्ती से संन्यास की घोषणा की।

राजीव गांधी ने टूर्नामेंट को अपनी आधिकारिक शुरुआत दी,

और तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने विजेता के खिताब से सम्मानित किया।

राजनीति में भी आजमाया हाथ (Tried hand in politics too)

खेलो , और फिल्मो के अलावा दारा सिंह ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था।

देश के ये पहले ऐसे खिलाड़ी थे जिनको राज्यसभा में भी सीट मिली थी।
साल 2003 से लेकर 2009 तक भारतीय जनता पार्टी में यह राज्य सभा के सदस्य बनकर रहे ।

2012 में बीमारी के बाद निधन : (Died in 2012 after illness)

83 वर्षीय दारा सिंह को दिल का दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

डॉक्टरों ने कहा कि उनके ठीक होने की बहुत कम संभावना है

और उनके मस्तिष्क को काफी नुकसान पंहुचा था जिससे अंततः उनकी मृत्यु हो गयी।

जिसके बाद उन्हें बुधवार की रात को घर ले जाया गया था।

1960 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप जीतने वाले सिंह ने कई बॉलीवुड फिल्मों

और टेलीविजन धारावाहिकों में अभिनय किया।

उन्होंने हिंदू महाकाव्य रामायण के टेलीविजन रूपांतरण में हनुमान जी की भूमिका

निभाते हुए बड़ी लोकप्रियता हासिल की। वह 2003 से 2009 तक संसद के सदस्य भी थे,

जब उन्हें भारत की संसद के ऊपरी सदन,

राज्यसभा में नियुक्त किया गया था।

श्रद्धांजलि:( Tribute)

*उन्होंने अनेक फिल्मे बनाई।

जैसे की किंग कांग, फौलाद, कल हो ना हो और 2007 की स्मैश जब वी मेट इत्यादि ।
*प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने उनकी मृत्यु पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा की ,

दारा सिंह एक “प्रसिद्ध व्यक्तित्व के थे।

और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाने-माने पहलवान” थे।
*एक बयान के मुताबिक, सूचना एवं प्रसारण मंत्री, दारा सिंह के निधन से ‘बहुत अधिक परेशान’ हो गए थे ।

उन्होंने कहा, “एक अभिनेता, निर्देशक और निर्माता के रूप में विभिन्न क्षमताओं में

भारतीय फिल्म उद्योग में उनके अपार योगदान के लिए

दारा सिंह के लिए हमेशा हमारे दिल में एक विशेष स्थान रहेगा।”
*बॉलीवुड सितारे और प्रशंसक माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर श्रद्धांजलि पोस्ट कर रहे थे ।
*सुपरस्टार अमिताभ बच्चन, जिनके साथ सिंह ने 1985 की एक्शन फिल्म मर्द में अभिनय किया था,

अमिताभ बच्चन ने उन्हें “एक महान भारतीय और बेहतरीन इंसानों में से एक” के रूप में वर्णित किया।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

2022 के फीफा वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट विजेता किलियन एम्बाप्पे की जीवनी

गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर
क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?
मैरी कॉम एक शानदार बॉक्सिंग करियर की बेहतरीन मिसाल

युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेट जिसने लगाए छह गेंदों पर छह छक्‍के।

भारत के नवाब क्रिकेटर नवाब पटौदी का बचपन और प्रारंभिक जीवन

सुनील गावस्कर का जीवन परिचय

टीम इंडिया के ओपनर बल्लेबाज शिखर धवन 2022 में भारत के लिए सबसे ज्यादा वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी

जानिये कौन है क्रिकेटर संजू सैमसन जिसे भारतीय टीम में मौका नहीं दिए जाने पर लगातार बातें हो रही हैं

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post दारा सिंह जीवनी (Dara Singh Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a4%be-%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%82%e0%a4%b9-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/feed/ 0 457
भारत की नई उड़न परी हिमा दास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी( Complete information about India’s new flying angel Hima Das)  https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/#respond Mon, 05 Sep 2022 12:16:07 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=448 हिमा दास का नाम उन लड़कियों में से एक है जिसने अपने खेल से भारत का नाम रौशन किया है। वह एक भारतीय एथलीट हैं जो असम की रहने वाली हैं। वह आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली और एकमात्र  भारतीय एथलीट हैं। हिमा दास शुरू में फुटबॉल में […]

The post भारत की नई उड़न परी हिमा दास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी( Complete information about India’s new flying angel Hima Das)  appeared first on Learn With Vikas.

]]>
हिमा दास का नाम उन लड़कियों में से एक है जिसने अपने खेल से भारत का नाम रौशन किया है।

वह एक भारतीय एथलीट हैं जो असम की रहने वाली हैं।

वह आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप ट्रैक इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने वाली

पहली और एकमात्र  भारतीय एथलीट हैं।

हिमा दास शुरू में फुटबॉल में अपना करियर बनाना चाहती थी

लेकिन स्कूल के समय में ही शमसुल हक नाम के एक शिक्षक ने हिमा दास की प्रतिभा को पहचान लिया था।

शमसुल हक ने हिमा दास को एथलीट में अपना  करियर बनाने की सलाह दी और हेमा सहमत हो गयी।

प्रशिक्षक शमसुल हक की सलाह पर हिमा छोटी और मध्यम दूरी की दौड़ में भाग लेना शुरू कर दिया।                                                          

हिमा दास का जन्म:(Birth of Hima Das)   

 हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम के नागांव जिले के कंधुलीमारी गांव

के पास एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम रणजीत दास तथा माता का नाम जोनाली  दास हैं।

इनके पिता अपने राज्य में चावल की खेती किया करते हैं।

जबकि इनकी मां घर को संभालती हैं।

इनके परिवार में इनके माता पिता के अलावा इनके पांच भाई और बहन हैं ।

वह अपने माता पिता की सबसे छोटी बेटी हैं।                                                                                                                                                  

हिमा दास की शिक्षा व रूचि: (Education and interests of Hima Das)   

हिमा दास आज जहां पहुंची हैं उसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की है।

उसने मई 2019 में अपनी 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास की।

वह वर्तमान में कॉटन यूनिवर्सिटी, असोस से बीए की डिग्री हासिल कर रही हैं।

जवाहर नवोदय विद्यालय के शिक्षक शमशुल शेख ने ही फुटबॉल खेलते हुए उनकी

अविश्वसनीय गति को देखकर उन्हें एथलीट खेलने का सुझाव दिया।

शमशुल हक़ ने हिमा दास की  मुलाकात  नगाँव स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर रॉय से कराई।

इसके बाद हिमा दास का चयन  जिला स्तरीय प्रतियोगिता में हो गया और यहाँ उसने  दो स्वर्ण पदक जीतीं।

हिमा दास ने गेम के लिए छोड़ दी परीक्षा ( Hima Das left the exam for the game)

4 अप्रॅल से 15 अप्रॅल के बीच 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट टूर्नामेंट  हुए।

हिमा टूर्नामेंट से पहले दुविधा में थीं। क्योंकि उसी दौरान उनकी बोर्ड परीक्षाएं होने वाली थीं।

घरवालों ने कहा कि खेलने का ऐसा मौका 4 साल के बाद ही मिलेगा, बोर्ड परीक्षा अगले साल भी हो सकती है।

हिमा की उलझन दूर हुई। कॉमनवेल्थ में 400 मीटर की रेस में वे छठे स्थान पर रहीं।

4X400 रिले रेस में उनकी टीम सातवें स्थान पर रही।

अगले साल उन्होंने परीक्षा दी। 2019 में असम बोर्ड के रिजल्ट आए।

उसने फर्स्ट डिविजन से बारहवीं की परीक्षा पास की  ।  

हिमा दास

                                                                                                       

हिमा दास के बारे में कुछ और जानकारी(Some more details about Hima daas)

हिमा दास की जन्म तिथि 9 जनवरी सन 2000 है।

उनका जन्म असम राज्य के नगांव जिले के धिंग नामक गांव में हुआ है।                                                                                             

पूरा नाम : हिमा दास

उपनाम : ढिंग एक्सप्रेस, सोम जय,गोल्डन गर्ल

जन्म : 9 जनवरी 2000

जन्म स्थान : कंधुलिमारी गांव, ढिंग,नगांव, असम, भारत

आयु/उम्र : 22 वर्ष

जन्मदिन : 9 जनवरी

पेशा : एथलीट

राष्ट्रीयता : भारतीय

धर्म : हिंदू धर्म

गृहनगर : नागांव, असम

ऊंचाई : (लगभग) 1.65 मीटर या165 सेंटीमीटर

वजन:(लगभग)   54 Kg

नेट वर्थ : ज्ञात नहीं                                                                                         

इंटरनेश्नल रेसिंग प्रतियोगिताओं में महज 19 दिन में लगातार 5 गोल्ड मेडल जीतकर

खुद का  व देश का नाम रोशन करने वाली इस बेटी को धिंग एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है                                                                                                                                                     

हिमा दास का  स्पोर्ट्स में आने  का सफर:(The journey of Hima Das coming into sports)  

हिमा दास का बचपन से ही स्पोर्ट की ओर झुकाव था ।

और ये बचपन से ही कई तरह के स्पोर्ट खेला करती थी।

कहा जाता है कि हिमा अपने स्कूल के दिनों में लड़कों के साथ मिलकर फुटबॉल खेला करती थी ।

और इसी दौरान ही इनका स्टैमिना काफी बढ़ गया था।

जिसकी वजह से ये दौड़ते समय जल्दी से नहीं थकती थी ।

हिमा को एक रेसर बनने की सलाह सबसे पहले जवाहर नवोदय विद्यालय के

फिजिकल एजुकेशन के टीचर द्वारा दी गई थी। जिसके बाद

हिमा ने अपना ध्यान रेसिंग में लगाना शुरू कर दिया था।

और इन्होंने कई तरह की रेस से जुड़ी प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेना भी शुरू कर दिया था।

रनिंग ट्रैक की सुविधा मौजूद नहीं होने के चलते, हिमा ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में

रेसिंग की प्रक्टिस फुटबॉल मैदान में की थी।                                                                          

खेल (Sport)

देश :    भारत

खेल :  ट्रैक और फील्ड

इवेंट (स्प्रिंट)  :100 मीटर,200 मीटर,400 मीटर

कोच :  निपोन दास,गैलिना बुखारिना,एलिना और नबजीत मालाकार                                                                                                                                                                                      

हिमा दास के रिकॉर्ड:(Records of Hima Das)  

*अप्रैल 2018 में गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ खेलों की 400 मीटर की स्पर्धा में

हिमा दास ने 51.32 सेकेंड में दौर पूरी करते हुए छठवाँ स्थान प्राप्त किया था।

4X400 मीटर स्पर्धा में उन्होंने सातवां स्थान प्राप्त किया था।                                                                            

हाल ही में गुवाहाटी में हुई अंतरराज्यीय चैंपियनशिप में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था।

इसके अलावा 2018 में 18वें  एशियाई खेल जकार्ता में हिमा दास ने दूसरी बार महिला 400 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय रिकार्ड तोड़कर रजत पदक जीता है।

2019 में हिमा ने पहला गोल्ड मेडल 2 जुलाई को ‘पोज़नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स’ में 200 मीटर की रेस में जीता था।

इस रेस को उन्होंने 23.65 सेकंड में पूरा कर गोल्ड जीता था।

7 जुलाई 2019 को पोलैंड में ‘कुटनो एथलेटिक्स मीट’ के दौरान 200 मीटर रेस को

हिमा ने 23.97 सेकंड में पूरा करके दूसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था।

13 जुलाई 2019 को हिमा ने चेक रिपब्लिक में हुई ‘क्लांदो मेमोरियल एथलेटिक्स’ में

महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.43 सेकेंड में पूरा कर फिर से तीसरा गोल्ड मेडल हासिल किया था।

19 साल की हिमा ने बुधवार 17 जुलाई 2019 को चेक रिपब्लिक में आयोजित

‘ताबोर एथलेटिक्स मीट’ के दौरान महिलाओं की 200 मीटर रेस को 23.25 सेकेंड में

पूरा कर फिर से चौथा गोल्ड मेडल हासिल किया।

इस दौरान हिमा अपने रिकॉर्ड (23.10 सेकंड) के बेहद करीब पहुंच गई थी लेकिन वो इसे तोड़ नहीं पाईं।

उसने चेक गणराज्य में ही शनिवार 20 जुलाई 2019 में 400 मीटर की स्पर्धा दौड़ में

52.09 सेकेंड के समय में जीत हासिल की।

हिमा का जुलाई मास 2019 में मात्र 19 दिनों के भीतर प्राप्त किया गया यह पांचवां स्वर्ण पदक था ।                                  

हिमा दास ने इंटरनेशनल रेसिंग प्रतियोगिता में लगातार 5 गोल्ड मेडल जीते हैं।

इसके अलावा उन्होंने विश्व अंडर 20 एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता है ।

तथा ऐसा करने वाली वो देश की पहली महिला एथलीट हैं।                                                               

व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन:  (Hima Das’s personal best performance)

100 मीटर- (11.74 सेकेंड में),

200 मीटर- (23.10 सेकेंड में),

400 मीटर- (50.79 सेकेंड में) तथा

4X400 मीटर रिले- (3:33.61 में)।

पदक (Medals)

12 जुलाई 2018 को, उन्होंने फिनलैंड के टाम्परे में आयोजित विश्व अंडर -20 चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण पदक जीता।

जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेलों में महिलाओं के 4×400 मीटर में स्वर्ण पदक

2018 में जकार्ता आयोजित एशियाई खेलों में 400 मीटर की दौड़ में रजत पदक

जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेलों में मिश्रित 4×400 मीटर में स्वर्ण पदक

2 जुलाई 2019 को पोलैंड में आयोजित पॉज़्नान एथलेटिक्स ग्रांड प्रिक्स (Poznan Athletics Grand Prix) में 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक

7 जुलाई 2019 को पोलैंड में कुटनो एथलेटिक्स मीट (Kutno Athletics Meet) में 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक

13 जुलाई 2019 को चेक गणराज्य में क्लाडनो एथलेटिक्स मीट (Kladno Athletics Meet) में 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक

17 जुलाई 2019 को चेक गणराज्य में ताबोर एथलेटिक्स मीट (Tabor Athletics Meet) में 200 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक

20 जुलाई 2019 को, नोव मेस्टो, चेक गणराज्य में 400 मीटर में स्वर्ण पदक

 पुरस्कार और सम्मान: (Awards and Honors of Hima Das)

*25 सितंबर 2018 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा हिमा दास को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

*हिमा दास असम की दूसरी एथलीट हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता है।

*14 नवंबर 2018 को, यूनिसेफ इंडिया ने हिमा दास को पहली ‘युवा राजदूत’ नियुक्त किया था।

*1 नवंबर 2019 को, हिमा दास अभिनेता अमिताभ बच्चन द्वारा संचालित भारत के प्रसिद्ध टीवी रियलिटी-शो कौन बनेगा करोड़पति में दिखाई दीं।

*हिमा दास को असम सरकार द्वारा खेल के लिए असम ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया गया था।

*जुलाई 2019 में, बन्नेरघट्टा बायोलॉजिकल पार्क ने भारतीय एथलीट हिमा दास को सम्मानित करने के लिए एक बाघिन शावक को ‘हिमा’ नाम दिया था। 

हिमा दास से जुड़ी हुई कुछ अन्य जानकारियां : (Some other information related to Hima Das )

*2018 में, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व U20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद खुद ट्विटर पर बधाई दी थी।       

*हिमा दास असम फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज की ब्रांड एंबेसडर भी हैं।

*अक्टूबर 2018 में, जीक्यू इंडिया मैगज़ीन ने हिमा दास को “यंग इंडियन ऑफ़ द ईयर” के रूप में अपने कवर पर दिखाया था

*एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एएफआई) ने स्वर्ण पदक जीतने से पहले

उनकी अंग्रेजी का मजाक उड़ाया था,

लेकिन बाद में हिमा दास के स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनसे माफी मांगी थी।                                                                                                                                    

हिमा दास अभी क्या कर रही है?: (What is Hima Das doing now?)

ऐसे स्प्रिंटर को असम पुलिस में उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में शामिल किया गया है।

यह कार्यक्रम फरवरी में असम के गुवाहाटी में हुआ।                                                                                       

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

2022 के फीफा वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट विजेता किलियन एम्बाप्पे की जीवनी

गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर
क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?
मैरी कॉम एक शानदार बॉक्सिंग करियर की बेहतरीन मिसाल

युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेट जिसने लगाए छह गेंदों पर छह छक्‍के।

भारत के नवाब क्रिकेटर नवाब पटौदी का बचपन और प्रारंभिक जीवन

सुनील गावस्कर का जीवन परिचय

टीम इंडिया के ओपनर बल्लेबाज शिखर धवन 2022 में भारत के लिए सबसे ज्यादा वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी

जानिये कौन है क्रिकेटर संजू सैमसन जिसे भारतीय टीम में मौका नहीं दिए जाने पर लगातार बातें हो रही हैं

अपने बेहतरीन खेल प्रदर्शन के कारन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने वाले फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post भारत की नई उड़न परी हिमा दास के बारे में सम्पूर्ण जानकारी( Complete information about India’s new flying angel Hima Das)  appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%b8/feed/ 0 448
सरोजिनी नायडू जीवनी(Sarojini Naidu Biography) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a1%e0%a5%82/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a1%e0%a5%82/#respond Fri, 26 Aug 2022 11:20:05 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=396 सरोजिनी नायडू न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थीं बल्कि भारत की प्रख्यात महिला कवियों में से एक थीं। हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के अपने अध्ययन में गांधी, नेहरू, भगत सिंह के बारे में जानते हैं। जब महिलाओं की बात आती है, तो हम केवल 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई के योगदान के बारे […]

The post सरोजिनी नायडू जीवनी(Sarojini Naidu Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
सरोजिनी नायडू न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थीं बल्कि भारत की प्रख्यात महिला कवियों में से एक थीं।

हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के अपने अध्ययन में गांधी, नेहरू, भगत सिंह के बारे में जानते हैं।

जब महिलाओं की बात आती है, तो हम केवल 1857 की क्रांति में रानी लक्ष्मीबाई के योगदान के बारे में बात करते हैं।

हालांकि, अन्य महिला स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भारी योगदान दिया।

भारत की स्वतंत्रता में योगदान देने वाली महिलाओं में, सरोजिनी नायडू का भी नाम शामिल है।

उन्हें ‘नाइटिंगेल ऑफ इंडिया’ की उपाधि भी दी जाती है।

वह भारत के चौथे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल थीं।                                                                                                          

सरोजिनी नायडू की शिक्षा (Education of Sarojini Naidu)

सरोजिनी नायडू एक बुद्धिमान छात्रा थीं, जिन्हें बंगाली, फारसी, उर्दू, तेलुगु, अंग्रेजी और बंगाली भाषा का अच्छ ज्ञान था।

उसने 12 साल की उम्र में मद्रास विश्वविद्यालय मैट्रिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर आकर प्रमुखता हासिल की।

नतीजतन, उन्हें हैदराबाद के निज़ाम द्वारा विदेश में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति दी जाती थी।

नायडू के पिता चाहते थे कि वह एक गणितज्ञ बने, लेकिन उन्हें कविता लिखने में ज्यादा दिलचस्पी थी।

उनकी मुलाकात आर्थर सिमंस जैसे प्रसिद्ध साहित्यकारों से हुई।

गूज ने सुझाव दिया कि नायडू को अपने काव्य कार्यों में भारतीय विषयों का उपयोग करना चाहिए।                          

सरोजिनी नायडू की जीवनी(Sarojini Naidu Biography)

सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में हुआ था।

उनके पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय था जो एक प्रकांड भाषाविद्  थे।

उनकी माता  का नाम बरादा सुंदरी देवी था जो एक बंगाली कवयित्री थी।

उनके पिता भी हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले सदस्यों में से एक थे।

सरोजिनी नायडू एक कवयित्री, नारीवादी और राजनीतिक कार्यकर्ता थीं।

उन्होंने एक भारतीय महिला के रूप में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

उन्होंने अपनी कविता की बदौलत “द नाइटिंगेल ऑफ इंडिया” की उपाधि प्राप्त किया।

यहाँ आप सरोजिनी नायडू के आरंभ का वर्ष, गृहस्थी, शैक्षिक पृष्ठभूमि, विवाह, लेखन करियर, विरासत और अन्य विवरण के बारे में जानेंगे ।

सरोजिनी नायडू भारत की एक राजनीतिक कार्यकर्ता और कवयित्री थीं।

जिन्होंने औपनिवेशिक शासन से आजादी के लिए देश की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

वह किसी भारतीय राज्य की राज्यपाल और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष का पद

संभालने वाली पहली भारतीय महिला थीं।

उन्हें लोकप्रिय रूप से “भारत की कोकिला” के रूप में जाना जाता था।                 

जन्म : 13 फरवरी 1879                                                                            

जन्म स्थान  : हैदराबाद राज्य, ब्रिटिश भारत                                 

मृत्यु: 2 मार्च 1949 (उम्र 70 )                                            

मृत्यु का स्थान : लखनऊ, संयुक्त प्रांत, भारत डोमिनियन                      

अभिभावक/(माता ,पिता) पिता : अघोरेनाथ चट्टोपाध्याय, माता : वरदा सुंदरी देवी

पति: गोविंदराजुलु नायडू                                   

राजनीतिक संबद्धता (Political Affiliation ): भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस                             

संस्थान : (Memorial or Institutions ) सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज, सरोजिनी नायडू महिला कॉलेज, सरोजिनी नायडू स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड कम्युनिकेशन ।                                                  

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान ( Contribution in the Indian Independence Struggle )

नायडू ने अपनी प्रतिभा का इस्तेमाल आज़ादी अभियान में शामिल होने के लिए किया।

उन्होंने पुरुषों के सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा दिया।

1905 में जब बंगाल का विभाजन हुआ तो उन्होंने प्रतिष्ठित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकारियों के संपर्क में आयी। 1915 और 1918 के बीच महिलाओं के सामाजिक कल्याण की वकालत करने में उत्कृष्ट थीं।

वह महिलाओं से अपने घर छोड़ने और देश के लिए लड़ने का आग्रह किया।

1917 में, नायडू लंदन में संयुक्त चयन समिति के सामने महिलाओं के

मताधिकार की वकालत करने के लिए होम रूल की अध्यक्ष एनी बीसेंट के साथ गए।

उन्होंने लखनऊ समझौते के लिए भी समर्थन दिखाया, जो ब्रिटिश राजनीतिक सुधार की हिंदू-मुस्लिम की संयुक्त मांग थी। नायडू इसी वर्ष गांधी के सत्याग्रह और अहिंसक आंदोलन में शामिल हुए।

1919 में, ब्रिटिश शासन के खिलाफ अभियान में नायडू भी असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।

1925 में, नायडू ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में भी पदभार ग्रहण किया।

1930 में महिलाओं को नमक मार्च में भाग लेने की अनुमति देने के लिए गांधी उनके द्वारा आश्वस्त थे।

गांधी-इरविन समझौते की शर्तों के तहत, सरोजिनी नायडू ने 1931 में लंदन में गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।

हालाँकि, 1932 में, उन्हें जेल में डाल दिया गया था।

1941 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के परिणामस्वरूप नायडू को जेल का सामना करना पड़ा।  

1947 में नायडू को उत्तर प्रदेश के पहले राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था,

जिस वर्ष भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की थी। 1949 में अपने निधन तक वह अपने पद पर रहीं।

एलेनोर हेलिन ने 1990 में क्षुद्रग्रह 5647 की खोज की,

और इसे श्रद्धांजलि के रूप में सरोजिनी नायडू का नाम दिया गया।

भारत में राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने वाली सबसे मशहूर

महिला लेखकों और स्वतंत्रता सेनानियों में से एक सरोजिनी नायडू हैं।

सरोजिनी नायडू के बारे में अधिक जानकारी (More About Sarojini Naidu)

उन्होंने भारतीय राजनीति में महिलाओं के लिए मार्ग प्रशस्त किया,

इस तथ्य के बावजूद कि उनका नाम देश की पहली महिला प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के रूप में प्रभावी नहीं है।

वह महात्मा गांधी, अब्बास तैयबजी और कस्तूरबा गांधी की हिरासत के बाद

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में आवश्यक भूमिका निभाई,

उनके साथ नमक मार्च में दांडी तक और बाद में धरसाना सत्याग्रह का नेतृत्व किया।

भारत में महिला दिवस सरोजिनी नायडू के जन्मदिन पर मनाया जाता है।     

सरोजिनी नायडू का परिवार (Sarojini Naidu family) 

सरोजिनी नायडू को इंग्लैंड में रहते हुए 17 साल की उम्र में डॉ. मुथ्याला गोविंदराजुलु नायडू से प्यार हो गया।

वह आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे। वह अपनी  शादी से बहुत खुश थी।

इनकी शादी 1898 में मद्रास में हुई थी।

सरोजिनी नायडू के चार बच्चे थे  जयसूर्या, पद्मजा, रणधीर और लीलामणि।

गोविंदराजुलु एक गैर-ब्राह्मण थे जबकि सरोजिनी नायडू ब्राह्मण  परिवार से थी,

फिर भी इस शादी को उनके रिश्तेदारों ने स्वीकार किया।

एक मशहूर भारतीय कार्यकर्ता, वीरेंद्रनाथ चट्टोपाध्याय, नायडू के भाई थे।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, वीरेंद्रनाथ ने बर्लिन समिति की स्थापना करने में प्रभावी भूमिका निभाई

और वह हिंदू जर्मन योजना के प्रमुख सहयोगियों में से एक थे,

जो  भारत में ब्रिटिश-विरोधी, जर्मन-समर्थक विद्रोह को भड़काने की साजिश की थी।

बाद में, साम्यवाद के लिए अपना जीवन समर्पित करने का निर्णय लेने के बाद,

वह सोवियत रूस में स्थानांतरित हो गए।

यह माना जाता है कि वहाँ 1937 में,

जोसेफ स्टालिन के निर्देश पर, उसे मार डाला गया था।

इनके एक अन्य भाई, हरिंद्रनाथ ने एक अभिनेता के रूप में काम किया।  

सरोजिनी नायडू

सरोजिनी नायडू स्वतंत्रता सेनानी के रूप में(Sarojini Naidu as a Freedom Fighter)  

1905 में बंगाल के विभाजन के बाद, वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हो गईं।

1903 और 1917 के बीच, सरोजिनी ने गोपाल कृष्ण गोखले, रवींद्रनाथ टैगोर, मुहम्मद अली जिन्ना, एनी बेसेंट, सी. पी. रामास्वामी अय्यर, मोहनदास गांधी और जवाहरलाल नेहरू के साथ मिलकर काम किया।

1915 से 1918 तक, उन्होंने भारत में राष्ट्रवाद, महिलाओं की स्वतंत्रता, श्रम सम्मान और युवा लोगों के कल्याण पर व्याख्यान दिए।

महिला मताधिकार की वकालत करने के लिए, महिला भारतीय संघ (WIA) (1917) बनाने में मदद की।

उस वर्ष 15 दिसंबर 1917 को, वे भारत के ब्रिटिश विदेश मंत्री से मिलने के लिए

एक महिला प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, जो भारत का दौरा करके ,

महिलाओं के अधिकार और वोट की मांग कर रहा था।

प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को बताया कि महिलाएं अपने नागरिक दायित्वों के प्रति जाग रही हैं।

वह अगस्त 1918 में बॉम्बे में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के विशेष सत्र में महिलाओं के अधिकारों पर चर्चा की।

वे मई 1918 में संयुक्त चयन समिति के समक्ष महिलाओं के मताधिकार का मामला

बनाने के लिए WIA अध्यक्ष एनी बेसेंट के साथ लंदन की यात्रा की, जो संवैधानिक रूप से इसपर विचार कर रही थी।

उन्होंने सांसदों से कहा कि  भारत में बदलाव लाने तथा समाज को बदलने के लिए  भारतीय महिलाएं  उत्सुक हैं।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

जानिये कैसे द्रौपदी मुर्मू बनीं भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति? 

ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव की जीवनी

संत स्वामी रामानन्द की जीवन कथा

सोमनाथ मंदिर का इतिहास । आखिर क्यों हुए थे इस पर इतने आक्रमण

मुकेश अंबानी के सफलता का राज क्या है ?

छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरगाथा का वर्णन

भारत की आयरन लेडी श्रीमती इंदिरा गांधी की जीवनी

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post सरोजिनी नायडू जीवनी(Sarojini Naidu Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a4%b0%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%a8%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a1%e0%a5%82/feed/ 0 396
सुभाष चंद्र बोस का जीवन इतिहास(Life History of Subhash Chandra Bose) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b7-%e0%a4%9a%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b7-%e0%a4%9a%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b8/#respond Fri, 05 Aug 2022 12:54:26 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=326 भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक सुभाष चंद्र बोस थे। उन्हें आमतौर पर नेताजी के नाम से जाना जाता है। 23 जनवरी, 1897 को, उनका जन्म उड़ीसा के कटक में जानकी नाथ बोस और प्रभावती देवी के घर हुआ था। उनकी माँ एक धर्मनिष्ठ महिला थीं, जबकि उनके पिता एक […]

The post सुभाष चंद्र बोस का जीवन इतिहास(Life History of Subhash Chandra Bose) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे महत्वपूर्ण शख्सियतों में से एक सुभाष चंद्र बोस थे।

उन्हें आमतौर पर नेताजी के नाम से जाना जाता है।

23 जनवरी, 1897 को, उनका जन्म उड़ीसा के कटक में जानकी नाथ बोस और प्रभावती देवी के घर हुआ था।

उनकी माँ एक धर्मनिष्ठ महिला थीं, जबकि उनके पिता एक प्रसिद्ध वकील थे।

वह चौदह बच्चों में से दसवें थे।

यद्यपि वह एक बहुत ही वास्तविक और इंटेलिजेंट छात्र थे,

उन्होंने कभी भी खेलों में अधिक रुचि नहीं दिखाई।

उन्होंने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से दर्शनशास्त्र में बी.ए. किया।

वह एक छात्र के रूप में अपनी उत्साही देशभक्ति के लिए पहचाने जाते थे

और स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से बहुत प्रभावित थे।

आइए इस असाधारण महत्व वाले नायक के जीवन बारे में जाने।

जैसा कि “पराक्रम” का अर्थ साहस होता है, हाल ही में यह कहा गया था कि

मुक्ति आंदोलन में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन को “पराक्रम दिवस” ​​के रूप में मनाया जाएगा ।

यह उनके जन्मदिन को साहस के दिन के रूप में नामित करके उनके विशाल योगदान का सम्मान करता है।

यह दिन अब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के नायक नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाएगा,

जिन पर किसी का ध्यान नहीं गया था।

सुभाष चंद्र बोस की शिक्षा(Education of Subhas Chandra Bose)

जानकीनाथ बोस और प्रभावती दत्त के कुल चौदह बच्चे थे, जिनमें सुभाष चंद्र बोस दसवें थे।

अपने अन्य भाई-बहनों के साथ, वह कटक के प्रोटेस्टेंट यूरोपियन स्कूल में गए,

जिसे आज स्टीवर्ट हाई स्कूल के नाम से जाना जाता है।

उन्होंने स्कूल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया ।

उसमे ज्ञान के लिए एक स्वाभाविक योग्यता थी,

जिससे उन्हें मैट्रिक परीक्षा में दूसरा स्थान प्राप्त करने में मदद मिली।

जब वे 16 वर्ष के थे और कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज (अब विश्वविद्यालय) में दाखिला लिया,

तो उन्होंने स्वामी विवेकानंद और श्री रामकृष्ण परमहंस देव के लेखन की खोज की

और उनकी विचारधाराओं का उनपर गहरा प्रभाव पड़ा।

बाद में उन्हें इस आधार पर कॉलेज से निष्कासित कर दिया गया था कि उन्होंने प्रोफेसर ओटेन पर हमला किया था,

उनके विरोध के बावजूद कि वह केवल एक दर्शक थे।

इस कृत्य ने उनमें विद्रोह की जबरदस्त भावना जगा दी,

और अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ किए गए दुर्व्यवहार को उन्होंने कलकत्ता में होते हुए देखा,

इस घटना ने उनके अंदर की आग को भड़काया।

उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्कॉटिश चर्च कॉलेज में दाखिला लिया

और 1918 में वहां दर्शनशास्त्र में डिग्री हासिल की।

उस समय आयोजित होने वाली भारतीय सिविल सेवा परीक्षा के लिए अध्ययन करने के लिए,

उन्होंने और उनके भाई सतीश ने लंदन की यात्रा की।

उसने परीक्षा दी और वह इतना बुद्धिमान छात्र थे कि उसने पहली कोशिश में ही इसे हासिल कर लिया!

हालाँकि, वह अभी भी विवादित थे क्योंकि अब वह ब्रिटिश-संस्थागत प्रशासन के लिए काम करेगा,

जिसे वह पहले ही नापसंद कर चुका थे।

भयानक जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अंग्रेजों का विरोध करने के लिए,

उन्होंने वर्ष 1921 में भारतीय सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया।

सुभाष चंद्र बोस की शादी(Subhash Chandra Bose’s marriage)

सुभाष चंद्र बोस ने एमिली शेंकेल से शादी की।

हालाँकि क्रांतिकारी व्यक्ति की पत्नी को इतिहास में ज्यादा जगह नहीं मिली है ।

उनकी एक बेटी है, जिसका नाम अनीता बोस है!

उन्होंने सार्वजनिक रूप से कभी ज्यादा कुछ नहीं कहा

और हमेशा अपनी निजी जिंदगी को बहुत ही शांत रखना चाहते थे।

उन्होंने अपने परिवार के साथ ज्यादा समय नहीं बिताया और अपना पूरा ध्यान देश को दिया।

उनका एक ही लक्ष्य था कि एक दिन जीवित रहकर एक स्वतंत्र भारत का साक्षी बनें!

आजादी की लड़ाई में सुभाष चंद्र बोस की भूमिका (Role of Subhash Chandra Bose in the freedom struggle)

महात्मा गांधी के प्रभाव में, सुभाष चंद्र बोस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) में शामिल हो गए

और उन्होंने “स्वराज” समाचार पत्र लॉन्च किया, जिसका अर्थ है स्वशासन।

इसने राजनीति में उनके परिचय और स्वतंत्रता के लिए भारत के चल रहे संघर्ष में

उनकी भागीदारी की शुरुआत को चिह्नित किया।

उनके रोल मॉडल चित्तरंजन दास थे।

वे 1923 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए

और प्रकाशन “फॉरवर्ड” के संपादक नियुक्त हुए, जिसकी स्थापना स्वयं सी.आर. दास ने की थी।

उस समय, उन्हें कलकत्ता के मेयर के रूप में सेवा देने के लिए भी चुना गया था।

उन्होंने नेतृत्व की मानसिकता विकसित की और जल्दी से कांग्रेस के शीर्ष पर पहुंच गए।

मोतीलाल नेहरू समिति 1928 में भारत के लिए डोमिनियन स्टेटस चाहती थी,

लेकिन जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने तर्क दिया कि

अंग्रेजों से भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता से कम कुछ भी पर्याप्त नहीं होगा।

अहिंसा में दृढ़ विश्वास रखने वाले गांधीजी ने बोस के तरीकों का विरोध किया।

1930 में सविनय अवज्ञा अभियान के दौरान उन्हें जेल में डाल दिया गया था ।

1938 में हरिपुरा सत्र के दौरान उन्हें INC अध्यक्ष के रूप में चुना गया था

और उन्हें 1939 में फिर से अध्यक्ष के रूप में चुना गया था।

जब प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया, तो उन्होंने कड़े मानकों को बरकरार रखा

और मांग की कि भारत छह महीने के भीतर अंग्रेजों से पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त कर ले।

उन्हें कांग्रेस के भीतर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जिसने उन्हें कांग्रेस छोड़ने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने विदेशी युद्धों में भारतीय सैनिकों के इस्तेमाल के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया,

जिसने देशवासियों  का काफी समर्थन और ध्यान आकर्षित किया।

नतीजतन, उन्हें कलकत्ता में नजरबंद कर दिया गया, लेकिन वे जनवरी 1941 में भेष बदलकर भाग गए,

वे अफगानिस्तान के रास्ते जर्मनी गए, और वहां नाजी नेता से मिले

और अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने में उनकी सहायता मांगी।

उन्होंने जापान से भी मदद मांगी।

उन्होंने इस कहावत को पूरी तरह से लागू किया “दुश्मन का दुश्मन एक दोस्त है।”

आजाद हिन्द फौज का गठन(Formation of Azad Hind Fauj)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों को किसी भी प्रकार की सहायता

प्रदान करने का विरोध किया।

सितंबर 1939 में, द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ,

और जैसा कि बोस ने भविष्यवाणी की थी, भारत के गवर्नर जनरल ने एकतरफा रूप से भारत को एक जुझारू

राज्य (अंग्रेजों की ओर से) घोषित किया।

इसके बाद उन्होंने युद्ध में भारतीय संसाधनों और कर्मियों के इस्तेमाल के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। औपनिवेशिक और साम्राज्यवादी शक्तियों की खातिर,

गरीब भारतीयों का खून बहाते रहने  का उनके लिए कोई मतलब नहीं था।

उनके आह्वान को भारी प्रतिक्रिया मिली और अंग्रेजों ने उन्हें जल्दी से कैद कर लिया।

उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की, और उपवास के ग्यारहवें दिन उनकी हालत बिगड़ने के बाद,

उन्हें रिहा कर दिया गया और उन्हें नजरबंद कर दिया गया।

अंग्रेज केवल यही कर सकते थे कि उन्हें जेल में डाल दिया जाए।

1941 में सुभाष चंद्र बोस रहस्यमय तरीके से गायब हो गए।

अधिकारियों को इसके बारे में पता चलने से पहले वह कई दिनों तक अपने बैरक से अनुपस्थित रहे (जिस घर में उनकी रखवाली की जा रही थी)।

नवंबर 1941 में जर्मन रेडियो से उनके प्रसारण ने अंग्रेजों को झकझोर दिया

और भारतीय जनता को उत्साहित कर दिया,

जिन्हें पता चला कि उनका कमांडर अपनी मातृभूमि को मुक्त करने के लिए एक भव्य योजना को अंतिम रूप दे रहा है।

इसके अतिरिक्त, इसने भारतीय क्रांतिकारियों को नई आशा दी

क्योंकि वे विभिन्न तरीकों से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बड़े राष्ट्रों, मुख्य रूप से जर्मनी द्वारा अंग्रेजों से लड़ने के लिए

सैन्य और अन्य समर्थन का वादा किया गया था।

इस समय तक, जापान ने खुद को एक और महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर लिया था

और एशिया में महत्वपूर्ण डच, फ्रेंच और ब्रिटिश संपत्ति पर कब्जा कर लिया था।

जर्मनी और जापान नेताजी बोस के सहयोगी थे।

कथित तौर पर उन्हें आखिरी बार 1943 की शुरुआत में कील नहर के पास के इलाके में जर्मनी में देखा गया था।

सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस का गायब होना(Disappearance of  Subhash Chandra Bose)

वह जुलाई 1943 में सिंगापुर आए, रास बिहारी बोस के भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नियंत्रण करना स्वीकार किया,

और आजाद हिंद फौज की स्थापना की, जिसे आमतौर पर भारतीय राष्ट्रीय सेना के रूप में जाना जाता है।

इस बिंदु पर उनकी प्रशंसा की गई और उन्हें “नेताजी” उपनाम दिया गया, जिससे वे आज भी जाने जाते है

उनके द्वारा स्वतंत्रता की खोज के इतिहास में बाद की घटनाएं धुंधली हैं।

सुभाष चंद्र बोस ने अपने पूरे जीवन में कई आश्चर्य और खतरनाक घटनाओं का अनुभव किया।

21 अक्टूबर, 1943 को “आजाद हिंद सरकार” के नाम से जानी जाने वाली सरकार की स्थापना हुई।

नेताजी बोस ने इसे इंडियन नेशनल आर्मी (INA) करार दिया।

अंडमान और निकोबार द्वीपों को आईएनए द्वारा मुक्त कराया गया था

और उन्हें स्वराज और शहीद नाम दिया गया था।

भारत को पूर्वी मोर्चे से मुक्त करने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने वकालत की।

उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि किसी भी दिशा से जापानियों का हस्तक्षेप न हो।

केवल भारतीय ही सेना की कमान, प्रशासन और संचार की देखरेख करते थे।

सुभाष, आजाद और गांधी ब्रिगेड की स्थापना की गई।

आईएनए ने बर्मा पर आक्रमण किया और भारतीय सीमा पर स्थित कॉक्सटाउन पर अधिकार कर लिया।

जब सैनिक अपनी “मुक्त” मातृभूमि में पहुंचे, तो यह एक मार्मिक दृश्य हुआ।

वे भारत में प्रवेश कर चुके थे और अंग्रेजों को खदेड़ने के लिए तैयार थे।

लड़ाई का नारा था “दिल्ली चलो” (चलो दिल्ली चलते हैं)।

हिरोशिमा और नागासाकी बम विस्फोटों ने मानव इतिहास को बदल दिया।

जापान को हार मानने के लिए मजबूर होना पड़ा।

ऐसा माना जाता था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी।

हालांकि उनका शव कभी नहीं मिला।

उनके लापता होने को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।

स्थिति को देखने और सच्चाई का निर्धारण करने के लिए भारत सरकार द्वारा कई समितियों की स्थापना की गई थी।

बोस की अनुमानित मृत्यु के आसपास की परिस्थितियों की जांच के लिए शाह नवाज समिति ने

मई 1956 में जापान का दौरा किया।

केंद्र ने उस देश के साथ राजनीतिक संबंधों की कमी का हवाला देते हुए ताइवान की सरकार से सहायता का अनुरोध करने से इनकार कर दिया।

न्यायमूर्ति मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, जो 17 मई, 2006 को संसद में प्रस्तुत की गई थी,

बोस की विमान दुर्घटना में मृत्यु नहीं हुई थी और उनकी राख रेंकोजी मंदिर में नहीं बिखरी थी।

हालांकि, सरकार ने निष्कर्षों को खारिज कर दिया।

हालांकि उनकी मृत्यु का कोई भी स्पष्ट विवरण उपलब्ध नहीं है

लेकिन वे आज भी हर भारतीयों के दिलों में जिन्दा है।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

दुनियाँ में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले सीईओ टिम कुक के बारे सम्पूर्ण जानकारी

भारत कोकिला और स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के बारे में जाने ?

इलेक्ट्रिक वाहन क्या है और हमें इसकी आवश्यकता क्यों है?

श्रद्धा कपूर का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

बॉलीवुड की रानी कंगना रनौत का जीवन

अशोक महान का जीवन

भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन की जीवनी

वीर शिरोमणी हिन्दू ह्रदय सम्राट महाराणा प्रताप की जीवनी

शहीदे आजम भगत सिंह के जीवन की अनजानी बातें

अग्निपथ भर्ती योजना क्या है

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post सुभाष चंद्र बोस का जीवन इतिहास(Life History of Subhash Chandra Bose) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%ad%e0%a4%be%e0%a4%b7-%e0%a4%9a%e0%a4%82%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%b0-%e0%a4%ac%e0%a5%8b%e0%a4%b8/feed/ 0 326
युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने छह गेंदों में छह छक्के लगाए।(Yuvraj Singh An Indian cricketer who hit six sixes in six balls) https://learnwithvikas.com/yuvraj-singh/ https://learnwithvikas.com/yuvraj-singh/#respond Mon, 25 Jul 2022 13:34:56 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=240 Yuvraj Singh का जन्म योगराज सिंह (भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी) और शबनम सिंह के पंजाबी सिख परिवार में हुआ था। माता-पिता के अलग होने के बाद युवराज सिंह अपनी मां के साथ घर चले गए। युवराज सिंह(Yuvraj Singh) के पिता योगराज सिंह भी भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं। इसके अलावा योगराज सिंह […]

The post युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने छह गेंदों में छह छक्के लगाए।(Yuvraj Singh An Indian cricketer who hit six sixes in six balls) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
Yuvraj Singh का जन्म योगराज सिंह (भारत के पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी)

और शबनम सिंह के पंजाबी सिख परिवार में हुआ था।

माता-पिता के अलग होने के बाद युवराज सिंह अपनी मां के साथ घर चले गए।

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) के पिता योगराज सिंह भी भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके हैं।

इसके अलावा योगराज सिंह ने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया है।

इस वजह से, युवराज सिंह(Yuvraj Singh) पंजाबी फिल्मों “मेहंदी शगना दी(Mehndi Shagna Di)” और “कैंट सरदार(Kaint Sardar)” में

एक युवा अभिनेता के रूप में कैमरे में दिखाई दिए।

पेशेवर क्रिकेट के क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले युवराज सिंह को क्रिकेट में विशेष रुचि नहीं थी।

रोलर स्केटिंग और टेनिस युवराज के दो पसंदीदा बचपन के शौक थे।

राष्ट्रीय अंडर-14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप में, युवराज ने असाधारण रूप से अच्छा प्रदर्शन किया था।

हालाँकि, यह उनके पिता योगराज थे जिन्होंने उन्हें क्रिकेट खेलना शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

योगराज सिंह(Yuvraj Singh) के समर्थन और निर्देशन ने युवराज को

भारतीय क्रिकेट में एक महत्वपूर्ण खिलाडी बनने में मदद की।

युवराज की शिक्षा (Education of  Yuvraj Singh)

युवराज सिंह ने चंडीगढ़ के डीएवी पब्लिक स्कूल में अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की।

उसके बाद युवराज सिंह ने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से कॉमर्स में स्नातक की डिग्री हासिल की,

जो पंजाब यूनिवर्सिटी से जुड़ा हुआ है।

युवराज सिंह की शादी (Marry of  Yuvraj Singh)

2011 में, युवराज सिंह और बॉलीवुड अभिनेत्री हेज़ल कीच ने एक दोस्त की

जन्मदिन की पार्टी में एक दूसरे से मिले ।

द कपिल शर्मा शो” के साथ एक साक्षात्कार में, युवराज सिंह ने दावा किया कि

जन्मदिन समारोह के बाद, उन्होंने और हेज़ल कीच ने दो साल तक ज्यादा बातचीत नहीं किया।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, दोनों में गहरी दोस्ती हो गयी ।

युवराज और हेज़ल कीच ने 2015 में सगाई करने के बाद 30 नवंबर, 2016 को शादी कर ली।

उनके बेटे ओरियन कीच सिंह का जन्म जनवरी 2022 में हुआ।

Yuvraj Singh

युवराज सिंह का करियर (Career of  Yuvraj Singh)

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) के क्रिकेट करियर के पहले दो साल 1995 और 1996 थे।

उस समय युवराज केवल 11 साल के थे।

युवराज इस समय पंजाब की अंडर-12 टीम के लिए खेलते थे।

इसके बाद, युवी 2000 में मोहम्मद कैफ के भारतीय अंडर -19 क्रिकेट द्वारा

विश्व कप चैम्पियनशिप जीतने के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में प्रसिद्ध हो गए।

युवराज को आईसीसी नॉकआउट ट्रॉफी के लिए चुना गया था और उन्हें अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप में “प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट” नामित किया गया था।

युवराज सिंह का पहला अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच (Yuvraj Singh’s first international one-day game)

युवी ने 2000 में केन्या के खिलाफ एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों

में भारत का प्रतिनिधित्व करना शुरू किया, जो उनके अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत थी।

टीम इंडिया के इस चुनौती को जीतने में नाकाम रहने के बावजूद

युवराज सिंह के प्रयास की काफी तारीफ हुई।

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के 304 एक दिवसीय मैच खेले।

एकदिवसीय क्रिकेट में, युवी ने 14 शतक और 52 अर्धशतक के साथ 8701 रन बनाए।

इसके अलावा युवराज सिंह ने अपने सभी वनडे मैचों में कुल 111 विकेट लिए हैं।

युवराज सिंह ने अपना अंतिम एकदिवसीय मैच जून 2017 में वेस्टइंडीज के खिलाफ खेला था।

युवराज सिंह का पहला अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच (Yuvraj Singh’s first international test game)

युवी ने 2003 में अपने पहले टेस्ट मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था ।

युवराज सिंह ने 40 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट खेला है।

युवी ने अपने 40 टेस्ट मैचों में 1900 रन बनाए, जिसमें उनका एक पारी में सर्वाधिक 169 रन था।

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) के टेस्ट करियर में तीन शतक और ग्यारह अर्धशतक हैं।

उन्होंने 40 टेस्ट मैचों में 547 रन देकर 9 विकेट भी लिए।

युवराज सिंह का अंतिम टेस्ट मैच दिसंबर 2012 में इंग्लैंड के खिलाफ था।

युवराज सिंह का पहला अंतरराष्ट्रीय T20 खेल (Yuvraj Singh’s first international T20 game)

युवी ने 13 सितंबर, 2007 को स्कॉटलैंड के खिलाफ अपने पहले अंतरराष्ट्रीय टी20 मैच में भाग लिया।

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) ने अपने अंतरराष्ट्रीय टी20 करियर के दौरान खेले गए 58 मैचों में 1177 रन बनाए।

युवराज के नाम अलग-अलग देशों के लिए खेलते हुए अपने टी20 करियर में आठ अर्धशतक हैं।

आपको बता दें कि युवराज के नाम टी20 क्रिकेट में सबसे तेज 50 रन बनाने का रिकॉर्ड है।

इंग्लैंड के खिलाफ इस मैच के दौरान युवराज ने छह गेंदों के अंतराल में छह छक्के लगाए।

युवराज ने अपने टी20 करियर के दौरान 28 विकेट भी लिए।

युवराज सिंह(Yuvraj Singh) ने अपना आखिरी टी20 मैच फरवरी 2017 में इंग्लैंड के खिलाफ खेला था।

आईपीएल में युवराज सिंह (Yuvraj Singh in IPL)

Yuvraj Singh ने पहले दो आईपीएल सीज़न के लिए किंग्स 11 पंजाब टीम के कप्तान के रूप में काम किया।

यह साझेदारी बिजनेस मैग्नेट नेस वाडिया और बॉलीवुड अभिनेत्री प्रीति जिंटा द्वारा बनाई गई थी।

वह उस समय आईपीएल के सबसे महंगे खिलाड़ी थे।

उन्होंने कई एकदिवसीय मैचों में भाग लिया, जिनमें से सभी ने भारतीय जीत में योगदान दिया।

उन्हें क्रिकेट के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में से एक के रूप में पहचाना जाता है।

स्ट्राइकर के रूप में मशहूर युवराज अपने सामान्य अंदाज से आईपीएल में नहीं खेले।

उससे बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन वह उन पर खरा नहीं उतरे।

परिणामस्वरूप, कुमार संगकारा को अगले सत्र के लिए टीम का कप्तान नियुक्त किया गया।

नई फ्रेंचाइजी पुणे वारियर्स 2011 में आईपीएल में शामिल हुई। इस टीम का गठन किया गया

और युवराज को कप्तान के रूप में चुना गया। इस दौरान युवराज ने 14 मैचों में 343 रन बनाए।

कुछ विवादों के कारण इस टीम ने 2012 में आईपीएल में हिस्सा नहीं लिया था।

युवराज की उपलब्धियां (Achievements of Yuvraj Singh)

Yuvraj Singh ने भारत के लिए एक शानदार क्रिकेट खिलाड़ी बनने के अलावा

अपने जीवन में बहुत कुछ हासिल किया है।

उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  • 2007 के आईसीसी विश्व कप टी -20 मुकाबले की पहली छह गेंदों में उन्होंने छह छक्के लगाए।
  • 300 से अधिक रन और 15 से अधिक विकेट के साथ विश्व कप जीतने वाले पहले ऑलराउंडर बनकर उन्होंने रिकॉर्ड स्थापित की।
  • 2011 के आईसीसी विश्व कप में उन्हें “मैन ऑफ द टूर्नामेंट” के रूप में मान्यता दी गई थी।
  • भारत में दूसरा सबसे बड़ा खेल रत्न पुरस्कार, अर्जुन पुरस्कार, उन्हें 2012 में भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा प्रदान किया गया था।
  • 2014 में, उन्होंने “पद्म श्री” सम्मान भी अर्जित किया।
  • उन्होंने फरवरी 2014 में वर्ष के सबसे प्रेरणादायक खिलाड़ी का फिक्की पुरस्कार जीता

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को hindi में पढ़ सकते है।

The post युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेटर जिन्होंने छह गेंदों में छह छक्के लगाए।(Yuvraj Singh An Indian cricketer who hit six sixes in six balls) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/yuvraj-singh/feed/ 0 240
कैटरीना कैफ जीवनी(Katrina Kaif Biography) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%9f%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%ab-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%9f%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%ab-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/#respond Mon, 25 Jul 2022 13:31:35 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=236 कैटरीना कैफ बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में काफी मशहूर हैं। ब्रिटिश नागरिक होने के साथ-साथ उनके पास भारतीय कार्य(work) वीजा भी है और वह बॉलीवुड की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री बन गई हैं। उन्होंने कथित तौर पर सबसे अधिक प्रभाव वाले सलमान खान के साथ बॉलीवुड उद्योग में प्रवेश किया। अक्षय कुमार और सलमान […]

The post कैटरीना कैफ जीवनी(Katrina Kaif Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
कैटरीना कैफ बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में काफी मशहूर हैं।

ब्रिटिश नागरिक होने के साथ-साथ उनके पास भारतीय कार्य(work) वीजा भी है

और वह बॉलीवुड की सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री बन गई हैं।

उन्होंने कथित तौर पर सबसे अधिक प्रभाव वाले सलमान खान के साथ बॉलीवुड उद्योग में प्रवेश किया।

अक्षय कुमार और सलमान खान जैसी प्रसिद्ध हस्तियों के साथ काम करते हुए

उन्हें अपने करियर की शुरुआत में एक बड़ा ब्रेक मिला।

उन्होंने जल्द ही बॉलीवुड फिल्म उद्योग में अपना नाम

और उपस्थिति स्थापित कर ली। उन्हें बॉलीवुड की बार्बी गर्ल कहा जाता है ।

कैटरीना कैफ का प्रारंभिक जीवन(Early Life of Katrina Kaif)

कैटरीना कैफ का जन्म 16 जुलाई 1983 को हुआ था, वह 2022 में 39 साल की हो गईं। ।

जब वह ब्रिटिश हांगकांग में पैदा हुई थीं, तब उन्हें उपनाम कैटरीना टर्कोट दिया गया था।

हालाँकि वह जन्म से ब्रिटिश है, लेकिन वह इस्लाम की उत्साही समर्थक है।

उनके पिता मोहम्मद कैफ एक कश्मीरी हैं।

उनकी मां ईसाई हैं, जबकि उनके पिता मुस्लिम हैं।

उनकी मां का नाम सुसान टरक्वेट है।

कैटरीना कैफ जब छोटी थीं तब उनके माता-पिता अलग हो गए थे।

परिवार को बहुत घूमना पड़ा क्योंकि वह मानवीय कार्यों में शामिल थी।

नतीजतन, ट्यूटर्स की एक टीम ने घर पर कैटरीना कैफ और उनके भाई-बहनों को पढ़ाया।

उन्होंने कई पत्राचार पाठ्यक्रमों में भी भाग लिया।

इन सब के अलावा, कैटरीना ने मॉडलिंग शुरू कर दी थी जब वह केवल एक छोटी बच्ची थी।

मॉडलिंग करियर बनाने के लिए वह लंदन चली गईं।

उन्होंने लंदन के एक कॉलेज में भी दाखिला लिया,

जहाँ उन्होंने तीन से चार साल बिताए,

लेकिन अंततः बॉलीवुड में अपना करियर बनाने के लिए कॉलेज छोड़ दिया.

कैटरीना का डेब्यू(debut of Katrina)

अपने मॉडलिंग करियर के दौरान, कैटरीना ने अपनी एक अलग प्रतिष्ठा बनाई

और कई प्रतिष्ठित एजेंसियों के लिए एक स्वतंत्र मॉडल के रूप में काम किया।

उन्होंने इस समय के आसपास “लंदन फैशन वीक” में भी भाग लिया।

जब फिल्म निर्माता कैजाद गुस्ताद ने पहली बार उन्हें देखा, तो उनके काम के लिए उनकी प्रशंसा की।

कैजाद ने उन्हें अपनी फिल्म “बूम” में कास्ट किया, जहां उन्होंने अभिनय की शुरुआत की।

ऐसी फिल्म में अमिताभ बच्चन और गुलशन ग्रोवर जैसे कलाकार थे।

परस्पर विरोधी समीक्षा प्राप्त करने के बावजूद, यह फिल्म 2003 में रिलीज़ हुई थी।

कैटरीना कैफ

कैटरीना कैफ का करियर(Career of Katrina Kaif)

बॉलीवुड छोड़ने के बाद तेलुगु फिल्म “मल्लेश्वरी” से कैटरीना ने अभिनय की शुरुआत की।

वेंकटेश दग्गुबाती और कैटरीना ने इस फिल्म में एक साथ काम किया,

और अपनी शुरुआत की सफलता के बाद, वह कई और तेलुगु फिल्मों में दिखाई दीं।

वह 2005 में अल्लारी पिडुगु फिल्म में दिखाई दीं।

कुछ जानकारों के अनुसार, कैटरीना ने इस फिल्म के लिए 70 लाख रुपये कमाए,

जिससे वह सबसे अधिक भुगतान पाने वाली अभिनेत्री बन गईं।

2006 में “बलराम बनाम थरदास” की रिलीज़ के साथ, कैटरीना ने मलयालम सिनेमा में अपनी शुरुआत की।

इसके बाद उन्होंने विशेष रूप से बॉलीवुड पर ध्यान देना शुरू किया।

2006 में, कैटरीना ने बिपासा के साथ ब्लॉकबस्टर फिल्म हमको दीवाना कर गए में सह-अभिनय किया,

जिसमें अक्षय कुमार ने भी अभिनय किया।

तब से, कैटरीना ने कई बॉलीवुड फिल्मों में अभिनय किया है,

जैसे कि पार्टनर, नमस्ते लंदन, वेलकम, रेस, दे दना दन, बैंग बैंग,

अजब प्रेम की गजब कहानी, बॉडीगार्ड, भारत, राजनीति, बार बार देखो,

एक था टाइगर , धूम 3, अंग्रेजी मीडियम, टाइगर ज़िंदा है, हंटम, जीरो, सूर्यवंशी, और अन्य।

कैटरीना के अफेयर्स (Affairs of  Katrina Kaif)

बॉलीवुड की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक, कैटरीना कैफ का एक बड़ा प्रशंसक वर्ग  है।

उनके प्रशंसक उनकी सुंदर उपस्थिति, प्रतिभाशाली अभिनय, सुंदर नृत्य

और सादगी के लिए उनकी प्रशंसा करते हैं।

उन्होंने और विक्की कौशल ने हाल ही में शादी की है।

हालाँकि, बॉलीवुड अभिनेत्री को कई  बार मशहूर हस्तियों से जोड़ा गया था,

और बॉलीवुड उसके कथित प्रेम जीवन से प्रभावित था।

कैटरीना का विवाह (katrina kaif marriage)

विक्की कौशल और कैटरीना कैफ ने साल 2019 में डेटिंग शुरू की थी।

उनका रोमांटिक रिश्ता उनकी शादी की तरह ही गुप्त  रहा है।

9 दिसंबर 2021 को इनकी शादी राजस्थानी सिक्स सेंस रिजॉर्ट में हुई थी।

शादी में करीबी दोस्त और रिश्तेदार शामिल हुए थे और वहां  सेलफोन का इस्तेमाल प्रतिबंधित था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस जोड़े ने शादी के प्रसारण के लिए एक ओटीटी बिजनेस के साथ डील की थी।

कैटरीना कैफ से जुड़े विवाद(Disputes involving Katrina Kaif)

कैटरीना कैफ अपने फिल्मी करियर की शुरुआत से ही चर्चा में रही हैं।

उसने कई कारणों से विवाद में रही   है, जिसमें अंडररेटेड फिल्म बूम में उसका प्रदर्शन शामिल है।

यहां, हम उन मुट्ठी भर लोगों के बारे में बात करेंगे जिन्होंने उसे परेशानी में डाल दिया।

बूम(Boom) : बूम कैटरीना कैफ की सबसे खराब फिल्मों में से एक थी क्योंकि इससे उनकी आलोचना हुई थी।

कैटरीना को अपने आक्रामक व्यवहार के साथ-साथ असफल फिल्म से जूझना पड़ा,

जिसे वह कभी नहीं भूल पाएंगी।

फिल्म “मैंने प्यार क्यों किया ” में सलमान खान ने उनकी मदद की और उन्हें एक नई शुरुआत दी।

2. सिद्धार्थ माल्या(Siddharth Mallya : कैटरीना एक बार फिर विवादों में घिर गईं जब उनकी और सिद्धार्थ माल्या की एक फोटो अप्रत्याशित सामग्री के साथ वायरल हो गई।

घटना के समय वह आईपीएल टीम आरसीबी की ब्रांड एंबेसडर थीं।

लेकिन बाद में वायरल हुई तस्वीर को फर्जी घोषित कर दिया गया।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

लाल किले के बारे में अनसुनी बातें
भारत के महान गणितज्ञ व खगोलविद आर्यभट्ट
गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर

आईएएस अधिकारी कैसे बनते है

भारतीय मूल के गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के सफलता और संघर्ष की कहानी

दुनिया की टॉप कंपनी एमेजॉन बनाने वाले जेफ बेजोस कौन है

भारत पकिस्तान विवाद क्या है

वायु प्रदूषण क्या होता है ? मानव जाति पर वायु प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है ?

बॉलीवुड और दक्षिण भारत के सुपरस्टार रजनीकांत की जीवनी।

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों (news) को पढ़ सकते है।

The post कैटरीना कैफ जीवनी(Katrina Kaif Biography) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%9f%e0%a4%b0%e0%a5%80%e0%a4%a8%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%88%e0%a4%ab-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/feed/ 0 236
भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जीवनी(Biography of Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%85%e0%a4%9f%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%af%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%85%e0%a4%9f%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%af%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/#respond Thu, 14 Jul 2022 13:24:58 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=155 अटल बिहारी वाजपेयी उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करते हुए, माननीय राजनेताओं को उचित मार्गदर्शन दी। उन्होंने अपने शासन के दौरान भाजपा को एक नए स्तर पर खड़ा किया, जिसने भारतीय जनता पार्टी को अंततः एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय पार्टी बनने में मदद की। उन्होंने लगातार तीन […]

The post भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जीवनी(Biography of Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
अटल बिहारी वाजपेयी उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करते हुए,

माननीय राजनेताओं को उचित मार्गदर्शन दी।

उन्होंने अपने शासन के दौरान भाजपा को एक नए स्तर पर खड़ा किया,

जिसने भारतीय जनता पार्टी को अंततः एक प्रसिद्ध और लोकप्रिय पार्टी बनने में मदद की।

उन्होंने लगातार तीन बार प्रधान मंत्री के रूप में सेवा करने का गौरव प्राप्त किया।

उन्हें भारत के सबसे सम्मानित राजनेताओं में से एक माना जाता है।

हर कोई, चाहे उनकी अपनी पार्टी में और विपक्ष में, दोनों ने उनका बहुत सम्मान किया

और उनकी आज्ञा का पालन किया।

अटलबिहारी वाजपेयी एक प्रतिभाशाली वक्ता और उच्चतम क्षमता के कवि थे।

वह उदार, लोकतांत्रिक और लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ एक सम्मानित राजनीतिज्ञ थे।

उन्हें 2015 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिला।

अटल बिहारी वाजपेयी का आगरा से विशेष लगाव था

क्योंकि वे मूल रूप से आगरा जिले के बटेश्वर के रहने वाले थे।

भारत रत्न से सम्मानित अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रतिभाशाली कवि और राजनेता थे।

ग्वालियर रियासत में, उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी अपने समय के एक प्रसिद्ध कवि थे।

अटल बिहारी वाजपेयी को कवि का गुण उनके पिता से विरासत में मिले थे।

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म (Birth of Atal Bihari Vajpayee)

वाजपेयी, भारत के महानतम राजनेताओं में से एक और समर्पित राजनेता थे।

जिन्होंने आदर्शवादी सांचे में भारतीय राजनीति को आकार देने में मदद की ।

उनका जन्म 25 दिसंबर, 1924 को क्रिसमस के दिन मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था।

उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी स्कूल में अध्यापक थे।

उनकी माता का नाम श्रीमती कृष्णा देवी वाजपेयी है। 

उनके 7 भाई बहन भी थे। वाजपेयी जी ने कभी शादी नहीं की उन्होंने दो बच्चियों को गोद लिया था।

 अटल बिहारी वाजपेयी की शिक्षा (Education)

अटल बिहारी वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा कानपुर के डीएवी कॉलेज

और ग्वालियर के विक्टोरिया (लक्ष्मीबाई) कॉलेज में हुई।

स्नातक करने के बाद, अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति विज्ञान में अपना करियर बनाया।

अटल बिहारी बाजपेयी का पालन-पोषण एक शिक्षित घर में हुआ था

जहाँ शिक्षाविदों को अत्यधिक महत्व दिया जाता था।

उन्होंने अपनी शिक्षा के लिए सरस्वती शिशु मंदिर गोरखी, बारा, ग्वालियर में भाग लिया।

वाजपेयी के पास राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री है।

उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक किया।

वह एक छात्र के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हुए

और बाद में राष्ट्रीय स्तर पर वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया।

अटल जी एक छात्र के रूप में अपने समय से राजनीतिक घटनाओं के बारे में वाद-विवाद में अक्सर भाग लेते थे।

बाद में 1939 में, उन्होंने एक छात्र के रूप में अपने पूरे समय में एक स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया।

इसके अतिरिक्त, वह एक हिंदी समाचार पत्र के संपादक थे।

अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि के रूप में (Atal Bihari vajpayee as a poet)

अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक अच्छे कवि भी थे।

उनको उनके कविता संग्रह “मेरी इक्यावन कविता” के लिए जाना जाता है।

वाजपेयी जी की काव्यात्मकता और शैली की समझ विरासत में मिली थी।

ग्वालियर रियासत में, उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी अपने समय के एक प्रसिद्ध कवि थे।

वे खड़ी बोली और ब्रजभाषा में कविताएँ लिखते थे।

परिवार के साहित्यिक और काव्यात्मक वातावरण के परिणामस्वरूप

उनकी रगों में काव्यात्मक रक्त और रस प्रवाहित होता रहा है।

अपने किशोरावस्था में, अटल जी ने “हिंदू तन-मन (कविता) हिंदू जीवन,

राग-राग हिंदू मेरा परिचय” नामक एक सुंदर कविता लिखी,

जो राष्ट्रीय हित की सेवा के लिए उनकी प्रारंभिक प्रवृत्ति को प्रदर्शित करती है।

राजनीति के साथ-साथ राष्ट्र और राष्ट्र के प्रति उनकी व्यक्तिगत संवेदनशीलता अनादि काल से ही प्रकट होती रही है।

उनका संघर्षपूर्ण जीवन, बदलते हालात, राष्ट्रव्यापी आंदोलन, जेल-जीवन आदि अनेक आयामों के प्रभाव

और अनुभव की अभिव्यक्ति हमेशा कविता में मिलती रही।

प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक जगजीत सिंह ने भी अटल जी की चुनी हुई कविताओं की रचना करके एक एल्बम निकाला था।

अटल बिहारी वाजपेयी का राजनितिक जीवन/ सफर(Political Life / Journey of Atal Bihari Vajpayee)

अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत एक स्वन्त्रता सेनानी के रूप में की थी।

अन्य नेताओं के साथ, उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया,

और कैद में रहते हुए, उन्होंने भारतीय जनसंघ के प्रमुख श्यामा प्रसाद मुखर्जी से मुलाकात की

और उनके आग्रह करने पर उन्होंने भारतीय जनसंघ पार्टी को ज्वाइन कर लिया। ।

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय जनसंघ का नेतृत्व संभाला और इसे पूरे देश में फैला दिया

क्योंकि मुखर्जी जी की तबीयत बिगड़ने लगी और कुछ ही समय बाद उनका निधन हो गया।

जनसंघ पार्टी ने 1957 में उत्तर प्रदेश जिले की बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए

अटल बिहारी वाजपेयी जी को नामित किया।

अटल जी ने लोकसभा के लिए अपना पहला चुनाव जीता,

इस सीट के लिए पार्टी के उम्मीदवार बने।

एक बार सभी को उनकी सफलता का एहसास होने के बाद उन्हें पार्टी का अध्यक्ष नामित किया गया।

दो साल तक, 1977 से 1979 तक, अटल जी ने मोरारजी देसाई के मंत्रिमंडल में

विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।

इस समय के दौरान, उन्होंने अन्य राष्ट्रों के लिए हमारे राष्ट्र पर अधिक भरोसा करने के लिए

मंच तैयार करने में बहुत सहायता की।

1968 में जब दीनदयाल उपाध्याय का निधन हुआ,

तो अटल जी ने जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला।

नानाजी देसाई, बलराज मधोक और लाल कृष्ण आडवाणी के साथ,

उन्होंने भारतीय राजनीति में जनसंघ पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए कुछ समय के लिए बहुत प्रयास किया।

इसके बाद, 1980 में, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने अपने स्वयं के राजनीतिक संगठन,

भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना की, और 6 अप्रैल 1980 को पार्टी अध्यक्ष का पद ग्रहण किया।

भारतीय जनता पार्टी ने 1996 के लोकसभा चुनावों में अपना पहला राष्ट्रव्यापी चुनाव जीता।

इस चुनाव के साथ, भाजपा सत्ता में देश की पहली पार्टी बन गई,

और अटल जी ने 6 मई से 21 जून, 1996 तक सिर्फ 13 दिनों के लिए देश के दसवें प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।

विपक्ष के अनुरोध पर, 1991 में संसदीय चुनाव का एक और दौर हुआ,

जिसमें भाजपा ने 120 सीटों के साथ जीत हासिल की।

अटल जी ने 1993 में सांसदों में विपक्ष के नेता के रूप में कार्य किया।

नवंबर 1995 में, अटल जी को मुंबई में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान

प्रधान मंत्री के लिए भाजपा के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था।

इस बार, बाजपेयी प्रशासन ने पांच साल तक सेवा की,

और यह पहली गैर-कांग्रेसी पार्टी की सरकार थी।

अटल जी ने सभी दलों के समर्थन से देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत करने के लिए

निजी क्षेत्र को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना

और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अटल जी की दो प्राथमिक पहल थीं।

अटल बिहारी वाजपेयी ने आईटी उद्योग के बारे में जागरूकता बढ़ाई

और विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया। 2000 में अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन की भारत यात्रा का

दोनों देशों के बीच संबंधों के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।

पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को 2001 में अटल जी से भारत आने का निमंत्रण मिला था।

लोग आज भी आगरा में हुई चर्चाओं को याद करते हैं क्योंकि वे चाहते थे कि भारत-पाक संबंधों में सुधार हो।

उसके बाद अटल जी स्वयं लाहौर जाने वाली बस में सवार हो गए।

उनके अभियान की विदेश नीति में कोई खास बदलाव नहीं आया, लेकिन जनता ने इसे बहुत पसंद किया।

अटल जी द्वारा कई आर्थिक सुधार पहल शुरू की गईं,

और परिणामस्वरूप 6-7 प्रतिशत की वृद्धि दर का उल्लेख किया गया।

इस समय, भारत का नाम दुनिया भर में फैलने लगा।

कांग्रेस की 2004 की चुनावी जीत के परिणामस्वरूप, अटल जी ने प्रधान मंत्री के रूप में इस्तीफा दे दिया।

अटल जी ने 2005 में राजनीति से अपने प्रस्थान की घोषणा की।

 

अटल बिहारी वाजपेयी पुरस्कार व अचिवेमेंट्स (Atal Bihari Vajpayee  Awards & Achivements)

1.पद्म विभूषण, 1992।
2. 1993: डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)।
3. लोकमान्य तिलक पुरस्कार, 1994।
4. 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार।
5. भारत रत्न गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार 1994 में दिया गया।
6. दिसंबर 2014 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
7. 2015: डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)।
8.2015 में “फ्रेंड्स ऑफ़ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड” दिया गया था। (बांग्लादेश सरकार द्वारा प्रदान किया गया)।
9. 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

अटल जी को 1992 में राष्ट्र के लिए उनकी उत्कृष्ट सेवा के लिए पद्म विभूषण मिला।

उन्हें 1994 में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार दिया गया था।

अटल जी को 2014 में देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था।

25 दिसंबर को उनके घर पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें उनके जन्मदिन पर यह सम्मान दिया था।

अटल जी के सम्मान में पहली बार किसी राष्ट्रपति ने परंपरा की अवहेलना की

और सम्मान की निशानी के रूप में घर चले गए।

अटल जी को प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह के रूप में जाना जाता है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और दिल्ली के चार राज्यों ने

मिलकर अटल जी को संसद सदस्य के रूप में चुना।

निधन (Death)

2009 में एक स्ट्रोक पीड़ित होने के बाद, वाजपेयी ने बात करने की क्षमता खो दी।

किडनी में संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण,

उन्हें 11 जून, 2018 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था,

जहाँ 16 अगस्त, 2018 को शाम 05:05 बजे उनका निधन हो गया।

अगले दिन 17 अगस्त को उनकी दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य ने

हिंदू परंपरा के अनुसार उनका दाह संस्कार किया ।

उनका मकबरा राजघाट के बगल में शांति वन में एक स्मारक परिसर में स्थित है।

वाजपेयी के निधन की खबर सुनते ही भारत सरकार ने सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की।

संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन, बांग्लादेश, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल

और जापान सहित कई देशों ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया।

देश के सभी प्रमुख जलमार्गों में अटल जी की अस्थियां प्रवाहित की गयी ।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

लाल किले के बारे में अनसुनी बातें
भारत के महान गणितज्ञ व खगोलविद आर्यभट्ट
गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर

आईएएस अधिकारी कैसे बनते है

भारतीय मूल के गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के सफलता और संघर्ष की कहानी

भारत पकिस्तान विवाद क्या है

दुनियाँ में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले सीईओ टिम कुक के बारे सम्पूर्ण जानकारी

भारत कोकिला और स्वतंत्रता सेनानी सरोजिनी नायडू के बारे में जाने ?

इलेक्ट्रिक वाहन क्या है और हमें इसकी आवश्यकता क्यों है?

श्रद्धा कपूर का प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

बॉलीवुड की रानी कंगना रनौत का जीवन

अशोक महान का जीवन

भारत के महान वैज्ञानिक सीवी रमन की जीवनी

वीर शिरोमणी हिन्दू ह्रदय सम्राट महाराणा प्रताप की जीवनी

शहीदे आजम भगत सिंह के जीवन की अनजानी बातें

अग्निपथ भर्ती योजना क्या है

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

The post भारत रत्‍न अटल बिहारी वाजपेयी जी की जीवनी(Biography of Bharat Ratna Atal Bihari Vajpayee) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%85%e0%a4%9f%e0%a4%b2-%e0%a4%ac%e0%a4%bf%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%9c%e0%a4%aa%e0%a5%87%e0%a4%af%e0%a5%80-%e0%a4%9c%e0%a5%80%e0%a4%b5%e0%a4%a8%e0%a5%80/feed/ 0 155
हरिवंश राय बच्चन जीवनी (Biography of Harivansh Rai Bachchan) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8/#respond Mon, 11 Jul 2022 09:37:01 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=134 हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के पास प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव पट्टी में हुआ था। शिक्षा (Education) हरिवंश राय  बच्चन जी ने अपनी शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल से शुरू की थी, इसके बाद वे उर्दू सीखने के लिए कायस्त स्कूल चले गए। 1938 में इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से […]

The post हरिवंश राय बच्चन जीवनी (Biography of Harivansh Rai Bachchan) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को इलाहाबाद के पास

प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव पट्टी में हुआ था।

शिक्षा (Education)

रिवंश राय  बच्चन जी ने अपनी शिक्षा म्युनिसिपल स्कूल से शुरू की थी,

इसके बाद वे उर्दू सीखने के लिए कायस्त स्कूल चले गए।

1938 में इन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में MA किया

और 1952 तक वे इसी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भी रहे.

इस दौरान वे देश की स्वतंत्रता के लिए महात्मा गाँधी से भी जुड़े।

लेकिन थोड़े ही समय में उनको ये अहसास हुआ कि वे ज़िन्दगी में कुछ और करना चाहते है

और वे फिर बनारस यूनिवर्सिटी चले गए.

1952 में इंग्लिश लिटरेचर में PHD करने के लिए इंग्लैंड की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए।

इसके बाद वे अपने नाम के आगे श्रीवास्तव की जगह बच्चन लगाने लगे।

वे दुसरे भारतीय थे जिन्हें कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई थी।

वापस आकर वे फिर से यूनिवर्सिटी में पढ़ने लगे साथ ही साथ ऑल इंडिया रेडियो अलाहाबाद में काम करने लगे।

वैवाहिक  जीवन (Married Life)

हरिवंश राय बच्चन जब बी.ए. प्रथम वर्ष में थे, उसी दौरान उनकी मुलाकात श्यामा बच्चन से हुई।

जिसके बाद दोनों के बीच प्रेम हो गया। प्रेम होने के बाद 1926 में दोनों ने सबकी रजामंदी के शादी कर ली।

शादी से पहले हरिवंश राय बच्चन की कई मशहूर कविताएं प्रसिद्ध हुई।

जिसके बाद उनके घर में लोग और दोस्त उनसे मिलने आने लगे।

तभी शादी होने के कुछ समय बाद उनकी पत्नी श्यामा बच्चन का अचानक ही निधन हो गया।

उनके इस दुनिया से जाने से हरिवंश राय बच्चन काफी अकेले और उदास रहने लगे।

उसके बाद वो अपने दोस्त प्रकाश के पास आए जहां उनकी मुलाकात मिस तेजी

सूरी से हुई यही से शुरूआत हुई उनकी दोबारा लव स्टोरी की।

24 जनवरी 1942 को हरिवंश राय बच्चन ने तेजी सूरी से शादी कर ली।

हरिवंश राय बच्चन

 प्राप्त सम्मान एवम ख्याति (Received honor and fame)

1955  में हरिवंश राय जी Delhi  चले गए और भारत सरकार ने उन्हें विदेश मंत्रालय में

हिंदी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त कर लिया।

1966  में इनका नाम राज्य सभा के लिए लिया गया था।

3 साल बाद भारत सरकार द्वारा इनको साहित्य अकादमी अवार्ड दिया गया।

1976 में हिंदी साहित्य में इनके योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

हरिवंश राय जी को सरस्वती सम्मान, नेहरु अवार्ड, लोटस अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था।

हरिवंश राय जी ने शेक्सपियर की  Macbeth and Othello  को हिंदी में रूपांतरित किया

जिसके लिए उन्हें सदैव स्मरण किया जाता है।

1984  में हरिवंश राय जी ने इंदिरा गाँधी की मौत के बाद अपनी आखिरी रचना “ 1 नवम्बर 1984 ” लिखी थी।

प्रेरणा (Inspiration)

‘बच्चन’ ने इस ‘हालावाद’ के द्वारा व्यक्ति जीवन की सारी नीरसताओं को स्वीकार किया ।

उसकी सारी बुराइयों और कमियों के बावज़ूद अपनाने की प्रेरणा दी।

उर्दू कवियों ने ‘वाइज़’ और ‘बज़ा’, मस्जिद और मज़हब, क़यामत

और उक़वा की परवाह न करके दुनिया-ए-रंगों-बू को निकटता से देखा ।

ख़्याम ने वर्तमान क्षण को जानने, मानने, अपनाने और भली प्रकार इस्तेमाल करने की सीख दी है

और ‘बच्चन’ के ‘हालावाद’ का जीवन-दर्शन भी यही है।

यह पलायनवाद नहीं है, क्योंकि इसमें वास्तविकता का अस्वीकरण नहीं है,

न उससे भागने की परिकल्पना है, प्रत्युत्त वास्तविकता की शुष्कता को अपनी मनस्तरंग

से सींचकर हरी-भरी बना देने की सशक्त प्रेरणा है।

यह सत्य है कि ‘बच्चन’ की इन कविताओं में रूमानियत और क़सक़ है,

पर हालावाद ग़म ग़लत करने का निमंत्रण है; ग़म से घबराकर ख़ुदकुशी करने का नहीं।

‘बच्चन’ की कविता इतनी सर्वग्राह्य और सर्वप्रिय है क्योंकि ‘बच्चन’ की लोकप्रियता

मात्र पाठकों के स्वीकरण पर ही आधारित नहीं थी।

जो कुछ मिला वह उन्हें अत्यन्त रुचिकर मानते थे ।

वे छायावाद के अतिशय सुकुमार्य और माधुर्य से,

उसकी अतीन्द्रिय और अति वैयक्तिक सूक्ष्मता से,

उसकी लक्षणात्मक अभिव्यंजना शैली से उकता गये थे।

उर्दू की गज़लों में चमक और लचक थी, दिल पर असर करने की ताक़त थी, वह सहजता और संवेदना थी.

मगर हिन्दी कविता जनमानस और जन रुचि से बहुत दूर थी।

‘बच्चन’ ने उस समय (1935 से 1940 ई. के व्यापक खिन्नता और अवसाद के युग में) मध्यवर्ग के विक्षुब्ध, वेदनाग्रस्त मन को वरदान दिया।

उन्होंने सीधी, सादी, जीवन्त भाषा और सर्वग्राह्य शैली में, छायावाद की लाक्षणिक वक्रता की जगह

संवेदनासिक्त अभिधा के माध्यम से, अपनी बात कहना आरम्भ किया ।

हरिवंश राय बच्चन की कविताएँ (Poems of Harivansh Rai Bachchan)

तेरा हार। (1932)

मधुशाला। (1935)

मधुबाला। (1936)

मधुकलश। (1937)

निशा निमन्त्रण। (1938)

एकांत-संगीत। (1939)

आकुल अंतर। (1943)

सतरंगिनी।  (1945)

हलाहल।  (1946)

बंगाल का काल।  (1946)

खादी के फूल। (1948)

सूत की माला।  (1948)

मिलन यामिनी। (1950)

प्रणय पत्रिका। (1955)

धार के इधर उधर। (1957)

आरती और अंगारे। (1958)

बुद्ध और नाचघर। (1958)

त्रिभंगिमा। (1961)

चार खेमे चौंसठ खूंटे। (1962)

चिड़िया का घर।

सबसे पहले।

काला कौआ।

हरिवंश राय बच्चन की रचनाएँ (Works of Harivansh Rai Bachchan)

युग की उदासी।

आज मुझसे बोल बादल।

क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी।

साथी सो ना कर कुछ बात।

तब रोक ना पाया मैं आंसू।

तुम गा दो मेरा गान अमर हो जाये।

आज तुम मेरे लिये हो।

मनुष्य की मूर्ति।

हम ऐसे आज़ाद।

उस पार न जाने क्या होगा।

रीढ़ की हड्डी।

हिंया नहीं कोऊ हमार!

एक और जंज़ीर तड़कती है, भारत माँ की जय बोलो।

जीवन का दिन बीत चुका था छाई थी जीवन की रात।

हो गयी मौन बुलबुले-हिंद।

गर्म लोहा।

टूटा हुआ इंसान।

मौन और शब्द।

शहीद की माँ।

क़दम बढाने वाले: कलम चलाने वाले।

एक नया अनुभव।

दो पीढियाँ।

क्यों जीता हूँ।

कौन मिलनातुर नहीं है?

है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है?

तीर पर कैसे रुकूँ मैं आज लहरों में निमंत्रण!

क्यों पैदा किया था?

 हरिवंश राय बच्चन का निधन (Harivansh Rai Bachchan passes away)

हरिवंश राय बच्चन जी का निधन 18 जनवरी 2003 में 95 वर्ष की आयु में बम्बई में हो गया था।

उन्होंने 95 वर्ष के इस जीवन में पाठको एवम श्रोताओं को अपनी कृतियों के रूप में जो तौहफा दिया हैं वो सराहनीय हैं ।

म्रत्यु तो बस एक क्रिया हैं जो होना स्वाभाविक हैं

लेकिन हरिवंश राय बच्चन जी अपनी कृतियों के जरिये आज भी जीवित हैं

और हमेशा रहेंगे और हमेशा याद किये जायेंगे ।

इनकी रचनाओं ने इतिहास रचा और भारतीय काव्य को नयी दिशा दी

जिसके लिए सभी इनके आभारी हैं और गौरवान्वित भी है कि ऐसे महानुभाव ने भारत भूमि पर जन्म लिया ।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

लाल किले के बारे में अनसुनी बातें
भारत के महान गणितज्ञ व खगोलविद आर्यभट्ट
गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर

आईएएस अधिकारी कैसे बनते है

भारतीय मूल के गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई के सफलता और संघर्ष की कहानी

दुनिया की टॉप कंपनी एमेजॉन बनाने वाले जेफ बेजोस कौन है

भारत पकिस्तान विवाद क्या है

प्रफुल्ल चंद्र राय ऐसे वैज्ञानिक थे जिनकी बात न गाँधी काट पाते थे न नेहरू

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों (news) को पढ़ सकते है।

The post हरिवंश राय बच्चन जीवनी (Biography of Harivansh Rai Bachchan) appeared first on Learn With Vikas.

]]>
https://learnwithvikas.com/%e0%a4%b9%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%82%e0%a4%b6-%e0%a4%b0%e0%a4%be%e0%a4%af-%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a4%a8/feed/ 0 134