राजपाल यादव

राजपाल यादव बॉलीवुड  फिल्मों के एक हास्य अभिनेता हैं।

सिनेमा जगत में जॉनी वॉकर से लेकर जॉनी लीवर ,महमूद से लेकर विजय राज तक कई ऐसे कलाकार हैं ,

जिन्होंने अपनी शानदार कॉमेडी टाइमिंग से दर्शकों का दिल जीता है।

इन्हीं कलाकारों में से एक हैं राजपाल यादव।

जिन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से इंडस्ट्री में खुद को स्थापित किया।

उनके द्वारा निभाया गया हर एक किरदार, चाहे वह कॉमेडी हो या कैरेक्टर रोल, हो यादगार बन गया है ।

फिल्म मुझसे शादी करोगी में एक गैंग का बॉस और पंडित के रूप में राजपाल

के द्वारा निभाए दोहरे किरदार को कौन भूल सकता है?

“भूल भुलैया” के छोटे पंडित और “फिर हेरा फेरी” के पप्पू को कौन भूल सकता है?

फिल्म “चुप चुप के” की नौकरानी बंद्या और “भागम भाग” की लंदन कैब ड्राइवर को कौन भूल सकता है?

“खट्टा मीठा” से रंगीला और फिल्म “ढोल” से मारू को कौन भूल सकता है?

उन्होंने थिएटर, टेलीविजन और फिल्म सहित हर माध्यम में अपनी अभिनय(acting) प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

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राजपाल यादव का बचपन व शिक्षा (Rajpal Yadav’s childhood and education)

राजपाल का बचपन का समय बेहद गरीबी में गुजरा था।

उनके परिवार में कभी किसी ने यह सपने में भी नहीं सोचा था कि राजपाल आगे चलकर एक  ऐक्टर बनेगा।

राजपाल यादव का जन्म 16 मार्च 1971 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के

कुंडरा नामक गांव के एक साधारण परिवार में हुआ है।

यादव के पिता का नाम नौरंग सिंह यादव है वो एक किसान थे।

यादव की माता का नाम गोदावरी है वो एक गृहणी है।

राजपाल के पिताजी राजपाल के बारे में बताते है  की राजपाल को पढ़ाई का बहुत शोक था।

और वो पढ़ाई में भी तेज़ थे।

8वीं तक की पढ़ाई राजपाल ने अपने गांव के स्कूल से ही की थी।

राजपाल को पढ़ाते समय उनके माता पिता का कोई सपना नहीं था।

कि उन्हें पढ़कर क्या बनना है, यह फैसला उनके परिवार ने उन्ही पर छोड़ दिया था।

चूँकि राजपाल पढ़ाई में बहुत तेज थे तो उनके परिवार वालो को यही लगता था कि

वे बड़ा होकर या तो मास्टर बनेगा या डॉक्टर।

राजपाल यादव के कुल 6 भाई हैं (Rajpal Yadav has total 6 brothers)

यादव के कुल 6 भाई हैं जिनके नाम इस प्रकार से  हैं –

राजपाल यादव ,श्रीपाल यादव, चंद्रपाल यादव, इंद्रपाल यादव, राजेश यादव, सत्यपाल यादव, राजपाल यादव।

दैनिक भास्कर से हुई संवाद में वे अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए राजपाल यादव बताते है की

“उस समय गांव में एक भी पक्‍का  घर नहीं हुआ करता था”

यादव बताते है कि मैं अपने बचपन के दोस्‍तों के साथ गडढ़ों में भरे गंदे पानी में खेलता था।

राजपाल यादव की स्कूल से सम्बंधित एक घटना (An incident related to Rajpal Yadav’s school)

राजपाल ने ये भी बताया था कि एक बार उन्होंने School का homework पूरा  नहीं किया था।

उस वजह से उनके टीचर ने राजपाल यादव की पिटाई एक पतली लकड़ी से की थी।

यह बात कुछ दिन के बाद उनके पिता को पता लगी ।

उनके पिता School पहुंचे और प्रिंसिपल से कहा की अगर यह अपनी परिश्रम से परीक्षा में पास होता है

तो ठीक है , नहीं तो इसे आप पास मत करना।

अगर ये पढ़ाई करना चाहता है तभी  हम इसको आगे पढ़ाएंगे

नहीं तो हम खेती-बारी करके फालतू पैसे खर्च नहीं सकते।

इसके बाद, उनके पिता ने ग्रामीण इलाकों से दूर शहर के सरदार पटेल स्कूल में उनके नामांकन की व्यवस्था की।

राजपाल कहते हैं कि भले ही उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।

फिर भी उनके पिता उन्हें एक उत्कृष्ट शिक्षा देना चाहते थे ।

और उन्हें एक अच्छा व्यक्ति बनाना चाहते थे।

दोस्तों राजपाल यादव स्कूल तक ट्रक(truck) से जाया करते थे।

अपने एक साक्षात्कार में, उन्होंने उल्लेख किया था कि एक बार वह शहर गए हुए थे अपने बड़े भाई श्रीपाल यादव के साथ।

लेकिन उस दिन बहुत देर हो गई थी और उन्हें घर जाने के लिए कोई सवारी ही नहीं मिल रही थी ।

राजपाल याद कहते हैं, कि ”उस दिन मैं 65 किलोमीटर साइकिल चलाकर घर पहुंचा था वो दिन मुझे आज भी याद है।

राजपाल यादव

जब लगा लॉटरी का चस्का राजपाल को  (When Rajpal felt the love of lottery)

राजपाल यादव बताते हैं कि एक दिन उनके पास बिल्‍कुल  भी पैसे नहीं थे। 

और जेब खाली थी, 1 पैसा तक नई था , लेकिन उनके बड़े भाई के पास उन्होंने एक रुपया  देखा था। 

स्‍टेशन के पास से गुज़रते समय उनकी नज़र बिक रही लॉटरी की टिकटों पर गई,

उन्होंने अपने भाई से पैसे लेकर एक लॉटरी का टिकट खरीद लिया था। 

जब उनके भाई को ये बात पता लगी तो उन्होंने राजपाल यादव को काफी डाँट लगायी थी।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जब वह अगले दिन स्कूल के लिए शहर लौटा

और लॉटरी में गया, तो उसे पता चला कि उसका 65 रुपये का इनाम भी निकल चुका है।

65 रुपये में से उसने फिर 10 रुपये का टिकट खरीदा,

और अपने बड़े भाई को 50 रुपये देते हुए अपने लिए 5 रुपये रखे।

राजपाल कहते हैं, “अपनी जेब में 5 रुपये पाकर, मैं खुद को राजा के रूप में सोच रहा था।

हालांकि, भाई ने आगे जाकर लॉटरी की टिकट न खरीदने की सलाह दी।

राजपाल यादव का पारिवारिक जीवन (Family life of Rajpal Yadav)

अपने निजी जीवन की बात करें तो राजपाल यादव की दो शादियां हो चुकी हैं।

राजपाल की पहली पत्नी करुणा से एक बेटी हुई, जिसका नाम ज्योति रखा गया।

दरअसल, ज्योति के जन्म से पहले ही उनकी मां का देहांत हो गया था।

19 नवंबर, 2017 को अपने गृहनगर कुंद्रा में, राजपाल ने अपनी बेटी ज्योति की शादी बैंकर संदीप यादव से की।

इटावा के रहने वाले संदीप आगरा के एक सहकारी बैंक में कैशियर हैं।

2003 में राजपाल ने दूसरी बार शादी की।

राजपाल अपनी पत्नी राधा से कैसे मिले और उनका प्रेम प्रसंग भी बहुत आकर्षक है।

दरअसल, राधा ने राजपाल के जीवन में तब प्रवेश किया

जब वह अपने एकाकी जीवन से बचने के प्रयास में फिल्मों में पूरी तरह से लीन हो गए थे।

राजपाल ने 2002 में “द हीरो: लव स्टोरी ऑफ स्पाई” की शूटिंग के लिए कनाडा गए हुए थे।

अभिनेता प्रवीण डबास ने उसी समय उनकी मुलाकात राधा से करवाई थी।

उन्होंने कैलगरी, कनाडा में एक कॉफी शॉप में अपनी प्रारंभिक मुलाकात के दौरान पर्सनल लाइफ पर चर्चा की।

राधा और राजपाल दस दिन वहीं रहे, इसी दौरान दोनों में प्यार हो गया।

दस दिनों के बाद, राजपाल भारत लौट आया।

लेकिन उन्होंने फोन पर बात करना जारी रखा।

राजपाल कहते है कि जब तक हम फोन पर बात करते रहे, 

तब तक मैंने फोन का भारी-भरकम बिल भरा था ।

दस महीने के बाद, राधा भारत शिफ्ट हो गई क्योंकि स्थिति इतनी ठीक नहीं थी।

एक interview में, राधा ने कहा, “जब मैं पहली बार मुंबई आई थी ,

तो राजपाल मुझे अपने घर ले गया था । 

घर के अंदर का इंटीरियर उसी होटल की तरह बनाया गया था जैसे कनाडा में होटल था,

जहां पर  हम पहली बार मिले थे।

उसके बाद 10 जून 2003 को दोनों की शादी हुई।

राधा और राजपाल यादव की दो बेटियां हैं, मोनी और हनी।

राजपाल यादव का अभिनय, संघर्ष की शुरुआत  (Rajpal Yadav’s acting, the beginning of the struggle)

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, राजपाल ने आगे की पढ़ाई के लिए शाहजहांपुर में दाखिला लिया।

अपने शैक्षणिक कार्यों के अलावा, राजपाल ने स्नातक होने के समय तक

कॉलेज और स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू कर दिया था।

राजपाल यादव ने शाहजहांपुर के ही ‘Coronation Theatre’ नाम के एक theater group को जॉइन कर लिया।

high school पास करते ही इनको Shahjahanpur Ordnance कपड़ा Factory में अप्रेंटिस करने का मौका मिल गया था।

वहां दो साल तक अप्रेंटिस करने के बाद आज भी यादव फैक्ट्री के अवैतनिक कर्मचारी हैं।

राजपाल की एक्टिंग की शुरुआती थिएटर कंपनी से हुई थी। (Rajpal’s acting started with the theater company)

वह अपने समूह के साथ “अंधेर नगरी चौपट  राजा” नाटक में प्रदर्शन करने के लिए गए थे।

वहा उन्हें अच्छी प्रशंसा मिली फिर राजपाल समझ गए कि acting में अपना करियर बनाना चाहिए।

उनको यह भी अहसास हुआ कि वो केवल एक्टिंग फिल्ड के लिए ही बने है।

राजपाल यादव 1992 में अपनी डिग्री प्राप्त करने के बाद लखनऊ में भारतेंदु नाट्य अकादमी में शामिल हो गए।

उसी वर्ष, उन्हें दूरदर्शन पर प्रसारित संस्कृत टेलीविजन श्रृंखला स्वप्नवासवदत्तम में एक जोकर के रूप में एक हास्य भूमिका भी मिली।

भारतेन्दु नाट्य Academy में एक्टिंग सीखने के लिए लिया था दाखिला (Was enrolled to learn acting in Bharatendu Natya Academy)

भारतेन्दु नाट्य Academy से उन्होंने 2 साल तक एक्टिंग की बारीकियां को समझा था।

1994 में राजपाल ने  दिल्ली स्थित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया था और उन्हें वहाँ दाखिला भी मिल गया।

वहां राजपाल ने तीन साल की ट्रेनिंग पूरी की थी।

साल 1997 में राजपाल फ़िल्मों में काम करने के इरादे से मुंबई जा पहुँचे। 

एक्टर बनने के संघर्ष की शुरुआत (मुंबई ) (Beginning of the struggle to become an actor )

मुंबई में उनको काफी संघर्ष करना पड़ा था ।

काम पाने के लिए राजपाल अपनी फोटो  को लेकर कई  फिल्म directors और producers के ऑफिसों में जाते थे।

पर उनको  काम नहीं मिलता था ।

काफी  बार उनका मज़ाक बनाया गया और उनको भगा भी दिया जाता था।

ख़ैर शाम हो जाती थी और वे वापस लौट आते थे ।

और अगले दिन फिर निकल पड़ते थे काम की तलाश में।

अपने स्ट्रगल वाले दिनों को याद करते हुए उन्होंने  कहा  है कि –

जब आप काम की तलाश में मुंबई आते हैं तो आपको एक अपरिचित शहर मिलता है। 

काफी सारे अपरिचित लोग मिलते है।

आप कई लोगों के साथ ऑटो शेयर करते है।

 जब आपके पास पैसे नहीं होते तो आपको  पैदल ही चलना पड़ता  हैं।

1999 में प्रसारित लोकप्रिय शो में राजपाल यादव की भूमिका (Role of Rajpal Yadav in the popular show aired in 1999)

किसी न किसी प्रकार से राजपाल की मेहनत रंग लाई और लंबे परिश्रम  के बाद

उन्हें दूरदर्शन के धारावाहिक ‘मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल’ में मुख्य भूमिका के लिये चुन लिया गया।

जो कि दूरदर्शन के एक बेहद लोकप्रिय शो “मुंगेरीलाल के हसीन सपने”था

जिसे डायरेक्टर प्रकाश झा के द्वारा  बनाया गया   था।

साल 1999 में प्रसारित इस लोकप्रिय शो से राजपाल भी मशहूर हो गये।

इस धारावाहिक की सफलता की एक वजह यह थी कि राजपाल जहां पर भी जाते थे लोग इन्हें

राजपाल यादव नहीं नौरंगी लाल कहकर पुकारते थे।

बड़ी दिलचस्प सी बात है कि राजपाल के पिता का नाम नौरंग है।

राजपाल उनके लाल यानि बेटे हैं।

कहीं उनके इस किरदार का नाम नौरंगी लाल इसीलिए तो नहीं रखा गया था?

राजपाल  का फिल्मी करियर (Rajpal’s film career)

राजपाल यादव ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1999 में फिल्म “दिल क्या करे” में एक छोटे से हिस्से से की थी।

इसके बाद, उन्होंने मस्त और शूल जैसी लोकप्रिय फिल्मों में भी संक्षिप्त भूमिकाएँ निभाईं।

राम गोपाल वर्मा फिल्म शूल में राजपाल के अभिनय से इतने प्रभावित हुए कि

उन्होंने राजपाल को अपनी भविष्य की फिल्म “जंगल” में  एक निगेटिव रोल  दे दिया ।

राजपाल यादव के लिए यह एक बड़ी सफलता थी।

2000 की फिल्म सिप्पा के परिणामस्वरूप राजपाल को एक नई पहचान मिली,

जिसने उन्हें सर्वश्रेष्ठ नकारात्मक(Negative) भूमिका के लिए स्क्रीन अवार्ड भी दिलाया।

फिर ऐसा कोई मोड़ नहीं आया जहां राजपाल  को पीछे मुड़कर देखना पड़ा ,

उसके बाद उन्होंने एक के बाद एक हिट फिल्मो में काम किया।

राजपाल की भूमिका नायिका-केंद्रित फिल्म “मैं माधुरी दीक्षित बनाना चाहती  हूं”

में राजपाल का रोल लीड ऐक्टर के बराबर ही था।

जिसके लिए उन्हें यश भारती पुरस्कार भी दिया गया था।

दोस्तों राजपाल ने कई तरह की भूमिकाएँ निभाई हैं, लेकिन कॉमेडी ने उन्हें वास्तव में प्रसिद्ध बना दिया।

उनकी फिल्मों की बात करें तो, उनके कुछ पसंदीदा फिल्मों में प्यार तूने क्या किया, रोड, हंगामा, कल हो ना हो, गर्व, टार्जन, वास्तु शास्त्र, मैंने प्यार क्यूं किया,

 मालामाल वीकली, फिर हेरा फेरी, भागम भाग, पार्टनर और भूलभुलैया शामिल हैं।

इसके आलावा दे दनादान, खट्टा-मीठा, कृष 3 और जुड़वा 2, वक्त: द रेस राजपाल ने 150 से अधिक फिल्मों और कई विज्ञापनों में भाग लिया है।

उनका ऐश्वर्या राय के साथ किया गया कोक का विज्ञापन बहुत मशहूर हुआ था।

इसके अतिरिक्त  राजपाल ने तमिल की फ़िल्म ‘शिवाजी द बॉस’के हिंदी डबिंग (dubbing) में ऐक्टर विवेक के लिये अपनी आवाज़ भी डब की है।

विवाद और अफ़वाह- (Controversies and rumours)

वर्ष 2013 में, दिल्ली के एक businessman ने राजपाल यादव के खिलाफ Delhi High Court में एक याचिका दायर की थी।

उस पर 5 करोड़ की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी उन्हें दस दिन जेल की सजा सुनाई।

आरोप यह था कि उन्होंने अपने प्रोडक्शन की फ़िल्म ‘अता पता लापता’ सिलसिले में एक फ़ाइनेंसर के साथ मिलकर पैसो की धोखाधड़ी की है।

10 दिन की जेल ने उनकी आंखे खोल दी थी।

वे कहते है की जेल प्रबंधन और क़ैदियों ने मुझे बहुत प्यार दिया।

लेकिन भगवान ना करे कि कभी किसी को जेल जाना पड़े।

जेल के जीवन से बुरा कुछ नहीं होता।

राजपाल यादव कहते हैं कि यही जिंदगी है कभी बहुत बुरा तो कभी बहुत अच्छा

यहां दोनों तरह का तजुर्बा इंसान को मिलता है।

राजपाल अपनी कामयाबी का सारा श्रेय अपने परिवार को देते है।

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