Pushpa Kamal Dahal

Table of Contents

पुष्प कमल दहल कौन है? (Pushpa Kamal Dahal):

Pushpa Kamal Dahal (पुष्प कमल दहल) तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री नियुक्त किये गए।

उन्हें “प्रचंड” के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने  माओवादी विद्रोह का नेतृत्व था और नेपाल में राजशाही शासन को समाप्त कर

लोकतांत्रिक गणराज्य की व्यवस्था शुरू करने का श्रेय इन्ही को जाता है।

लोकतांत्रिक देश नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य भी पुष्प कमल दहल को ही मिला।

वह इससे पहले 2008-09 और फिर 2016-17 तक दो बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

Pushpa Kamal Dahal

पुष्प कमल दहल का जन्म स्थान (Pushpa Kamal Dahal Birth Place):

पुष्प कमल दहल का जन्म 11 दिसंबर 1954 को मध्य नेपाल के कास्की जिले  के धिकुरपोखरी में हुआ था।

उनके परिवार एक गरीब किसान थे। उनके पिता का नाम मुक्तिराम दहल और माता का नाम भवानी दहल है।

पुष्प कमल दहल का शिक्षा (Pushpa Kamal Dahal Education):

11 साल की उम्र में उनके परिवार चितवन चले आये जहाँ उनकी पढ़ाई हुई।

चितवन में ही वह एक स्कूली शिक्षक के संपर्क में आये और उनका कम्यूनिज्म की तरफ रूचि बढ़ा।

इसके बाद 1975 में चितवन के रामपुर के के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड एनीमल साइंस से

कृषि विज्ञान में स्नातक किया।

पुष्प कमल दहल का राजनितिक कैरियर (Pushpa Kamal Dahal Political Career):

वह 1975 में यूएसएआईडी में शामिल हुए, फिर 1981 में दहल  नेपाल की

अंडरग्राउंड कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए।

इसके बाद उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा बढ़ी और 1989 में उन्हें नेपाल की

कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) का महासचिव चुना गया।

बाद में यही पार्टी  नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बन गयी।

1990 में लोकतंत्र की बहाली तक वह गुप्त रूप से काम  कर रहे थे।

1996 में जब नेपाल में राजशाही शासन का विद्रोह  शुरू हुआ तो शुरू के 10 वर्षो तक

वह अंडरग्राउंड रहे। जिसमे वह 8 साल भारत में ही  बिताए थे।

उन्होंने 1996 से 2006 तक दस वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष नेतृत्व किया।

जो ही 2006 में एक व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।

वह नेपाल में गृह युद्ध के बाद शांति प्रक्रिया और नेपाली संविधान सभा में नेपाल की

कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का नेतृत्व किया।

2008 के चुनाव में उनकी पार्टी ने सबसे अधिक वोट प्राप्त किया और वह प्रधानमंत्री बने।

2009 में उन्होंने  सेना प्रमुख के पद से जनरल रूकमंगुड कटवाल को बर्खास्त करने का प्रयास किया,

लेकिन राष्ट्रपति राम बरन यादव ने उनका विरोध किया

जिसके वजह से उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

प्रचंड के पीएम बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों पर क्या पड़ सकता है असर (What can be the impact on relations with India after Prachanda becomes PM?):

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) ने अपने विद्रोह के आठ साल भारत में ही बिताये थे।

लेकिन वह कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से जुड़े है। 

इसके साथ ही उनकी सहयोगी पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली भी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए है।

दूसरी ओर, भारत का वर्तमान सरकार दक्षिणपंथी विचारधारा से ज्यादा प्रभावित है।

ऐसे में यह दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा, दो साल पहले जब केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रभारी थे,

तब वे चीन के साथ बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक थे।

इस वजह से भी नेपाल की नयी सरकार भारत के लिए परेशानी की वजह बन सकती है।

इस नयी में सरकार सबसे अधिक हिस्सेदारी केपी शर्मा ओली की पार्टी की है।

ऐसे में इस नयी सरकार में उनका भी दखलंदाजी देखने को मिल सकता है।

नतीजतन, कालापानी और लिपुलेख को लेकर पहले जो विवाद शुरू  हुआ था,

वह अब फिर से सामने आ सकता है।

पुष्प कमल दहल की पत्नी (Pushpa Kamal Dahal Wife):

पुष्पा कमल दहल की पत्नी का नाम सीता पौडेल (Sita Poudel) है।

उनकी शादी 15 वर्ष की उम्र में ही हो गया था।

उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। गंगा दहल, प्रकाश दहल, ज्ञानू के.सी।

सीता दहल या सीता पौडेल पार्किसन जैसे लक्षण वाली दिमागी बीमारी से पीड़ित हैं।

उनका इलाज मुंबई के न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट  से चल रहा है।

इससे पहले वह अपना इलाज अमरीका और सिंगापुर में भी करा चुकी है। 

पुष्प कमल दहल का नेट वर्थ (Pushpa Kamal Dahal Net Worth):

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) सबसे धनी और सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक हैं।

उनकी कुल संपत्ति 5 मिलियन डॉलर है।

पुष्प कमल दहल 13 साल  तक अंडरग्राउंड रहे।

दहल अपने बचपन में गरीबी को देखा था, उनके माता पिता एक गरीब किसान थे।

वामपंथी दलों के लिए उनकी प्राथमिकता बाद में बदल गई।

1981 में, वह नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।

उन्होंने 1989 में पार्टी के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला।

1990 में नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के बावजूद, प्रचंड ने 13 साल अंडरग्राउंड होकर जीवन बिताया।

पुष्प कमल दहल तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने।

पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) को तीसरी बार नेपाल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

शेर बहादुर देउबा के साथ सहमति न बनने के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। 

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दहल का समर्थन किया है।

दोनों पार्टियों ने बारी-बारी से सरकार चलाने का फैसला किया है।

वह  2008-2009 और 2016-2017 के बीच भी  प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।

राजनीति में प्रवेश करने से पहले दहल नेपाल में माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया था।

उनके ट्विटर अकाउंट का नाम भी कामरेड प्रचंड है।

यह ऐसा समय था उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, तब उन्होंने पार्टी के गुप्त विंग का नेतृत्व किया।

जबकि बाबूराम भट्टाराई ने विधायिका में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के नेता के रूप में कार्य किया।

बाबूराम भट्टाराई ने 4 फरवरी, 1996 को नेपाल के प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा को 40 मांगों की एक सूची भेजी।

और मांग पूरी न होने पर उन्होंने गृहयुद्ध की धमकी दी।

इसमें राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और आजीविका से संबंधित मांग थी।

बाद में इन मांगों को 40 से घटा कर 24 कर दिया गया।

भारत से पुष्प कमल दहल का रिश्ता कैसा है ?

नेपाल के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, दहल (Pushpa Kamal Dahal) ने गृहयुद्ध के दौरान भारत  आ चुके है।

उन्होंने साल 2022 में तीन दिवसीय भारत यात्रा की।

दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।

उन्होंने इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मुद्दा उठाया।

इसके अलावा उन्होंने यहां 1950 के भारत-नेपाल मैत्री समझौते में संशोधन का अनुरोध किया।

उन्होंने दावा किया था कि कुछ ऐतिहासिक समस्याओं की खोज की गई थी

और उन्हें दूर करने की आवश्यकता थी।

यह संभव है कि प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद वह इस विषय को फिर से उठाएंगे।

पीएम मोदी ने पुष्प कमल दहल  को बधाई दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के नवनिर्वाचित पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) को बधाई दी।

मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों की दोस्ती को और मजबूत करने के लिए प्रचंड के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।

पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर दहल को हार्दिक बधाई।

भारत और नेपाल के अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और जनता से जनता के बीच

गर्मजोशी भरे संबंधों पर आधारित हैं।

मैं इस दोस्ती को और आगे बढ़ाने लिए आपके साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हूं।

पुष्प कमल दहल पहले एक शिक्षक थे

राजनीति में आने से पहले पुष्प कमल दहल एक शिक्षक थे।

साल 1972 में, उन्होंने चितवन के शिव नगर के एक स्कूल में पढ़ाया

और फिर 1976 से 1978 तक नवलपरासी के डंडा हायर सेकेंडरी स्कूल

और गोरखा के भीमोडाया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाया।

पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) लोकतांत्रिक देश नेपाल के पहले प्रधानमंत्री  बने थे।

उनके नेतृत्व में, सीपीएन (माओवादी) ने 10 अप्रैल, 2008 को हुए चुनावों में 220 सीटें जीतीं,

जिससे यह 601 सदस्यीय संविधान सभा में बहुमत वाली पार्टी बन गई।

अगले महीने नई विधानसभा ने नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के लिए मतदान किया,

जिससे राजशाही समाप्त हो गई और 15 अगस्त को प्रचंड  को प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया।

हालांकि वह इस पद पर अधिक समय तक रह नहीं सके।

2009 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद, 2016 में उन्हें एक बार फिर प्रधान मंत्री चुना गया।

उनकी पार्टी और नेपाली कांग्रेस पार्टी एक सत्ता-साझाकरण समझौता किया था।

समझौते की शर्तों के अनुसार, प्रचंड ने मई 2017 में इस्तीफा दे दिया

और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने उनकी जगह ली।

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) ने 237 साल पुरानी राजशाही शासन को समाप्त किया

सीपीएन (माओवादी) ने 13 फरवरी, 1996 को कई पुलिस स्टेशनों पर हमले के साथ

राजशाही को खत्म करने के लिए अपना विद्रोही अभियान शुरू किया।

विद्रोह के 10 वर्षों के दौरान, प्रचंड अंडरग्राउंड रहे और तब 8 साल उन्होंने भारत में बिताए। 

उनके अभियान ने नेपाल की 237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया। 

जून 2006 में प्रधान मंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और विपक्षी नेताओं के साथ देश की

नई सरकार के निर्माण पर बातचीत करने के लिए एक बैठक में प्रचंड ने अपनी सार्वजनिक उपस्थिति दी

और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी.।

नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से, सीपीएन (माओवादी) ने प्रचंड को

नई सरकार के प्रमुख के रूप में स्थापित करने के लिए काम किया।

पूरी तरह से राजनीति में आने से पहले कमल दहल नें 13 सालों तक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम किया।

वे नेपाल के कुछ गिने-चुने नेताओं में शुमार हैं, जो लगातार 32 सालों से पार्टी के उच्च पद को संभाल रहे हैं।

नेपाल में 10 सालों तक कमल दहल प्रचंड ने हिंदू राजशाही का विरोध किया था।

उन्होंने साल 1996 से लेकर 2006 तक सशस्त्र संघर्ष को लीड किया।

इस दौरान वो 10 सालों के लिए अंडरग्राउंड रहे, जिसमें 8 साल भारत में बिताए।

हालांकि प्रचंड के नेतृत्व वाले अभियान को आखिरकार सफलता मिली और अंततः नेपाल की

237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त करने के अपने लक्ष्य में वो सफल रह्.

ये सारी चीजें नवंबर 2006 में एक व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद खत्म हुआ.

नेपाल की नयी सरकार गठबंधन की सरकार है

नेपाल में पुष्प कमल दहल के नेतृत्व  में जो सरकार बनने जा रही है वह कई मानने में ‘जुगाड़ु’ सरकार है।

इस बार 6 दलों के आपसी गठबंधन के बाद ही पुष्प कमल ‘प्रचंड’ को पीएम बनने का मौका मिला है।

नेपाल के 6 दलों के आपसी गठबंधन वाली सरकार में पुष्प कमल दहल को

169 सदस्यों का समर्थन मिला हुआ है।

अगर इसमें शामिल पार्टियों के बारे में बात किया जाए तो सीपीएन-यूएमएल के 78,

माओवादी केंद्र के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14,

जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 4 सांसद

और 3 निर्दलीय विधायक उनके समर्थन में हैं।

पुष्प कमल दहल 1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का नेतृत्व किया

कमल दहल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal) को साल 1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया।

फिर साल 1983 में सीपीएन की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए, जो जल्द ही विभाजित हो गई।

1989 में महासचिव के पद पर भी आसीन हुए।

प्रचंड ने 1995 में माओवादी झुकाव को दिखाने के लिए अपनी पार्टी का नाम

बदलकर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी कर दिया।

पुष्प  कमल दहल का पीएम के रूप में कार्यकाल:

उनके नेतृत्व में, सीपीएन ने 10 अप्रैल, 2008 के चुनावों में 220 सीटें जीतीं

और 601 सदस्यीय संविधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई

और राजशाही समाप्त होने के बाद 15 अगस्त को पहली बार पीएम चुने गए.।

लेकिन अगले सिर्फ एक साल 2009 तक ही पीएम रहे।

पहली बार पीएम बनने के ठीक 8 साल बाद 2016 अगस्त में  संविधान सभा की ओर से फिर उन्हें पीएम चुना गया।

इस बार भी वो मात्र 1 साल तक के लिए पीएम रहे और मई 2017 में पीएम पद छोड़ना पड़ा,

जिसके बाद नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने उनकी जगह ली।

2022  में पुष्प कमल दहल को तीसरी बार नेपाल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया,

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

शेर बहादुर देउबा के साथ सहमति न बनने के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया।

इसके बाद  पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दहल का समर्थन किया है।

दोनों पार्टियों ने बारी-बारी से सरकार चलाने का फैसला किया है।

FAQ :

1. पुष्प कमल दहल कौन है? (Who is Pushpa Kamal Dahal?)

दहल एक खास मूल का एक नेपाली उपनाम है, और भारत के कुछ क्षेत्रों में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में भी प्रचलित है।

2. पुष्प कमल दहल की उम्र क्या है? (What is the age of Pushpa Kamal Dahal?)

उनका उम्र 68 साल है।  ( जन्म  – 11 दिसंबर, 1954)

3. पुष्प कमल दहल का जन्म कहाँ हुआ था? (Where was Pushpa Kamal Dahal born?)

उनका  जन्म 11 दिसंबर 1954 को मध्य नेपाल के कास्की जिले  के धिकुर पोखरी में हुआ था।

4. पुष्प कमल दहल कितनी बार प्रधानमंत्री बने? (How many Times Pushpa Kamal Dahal became prime minister?)

2022 के नेपाली आम चुनाव के बाद पुष्प कमल दहल को 25 दिसंबर 2022 को तीसरी बार प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

By Vikas

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *