Mary Kom

चुंगनेइजंग मांगटे मैरी कॉम ओएलवाई (Chungneijung Mangte Mary Kom OLY),

जिसे उनके रिंग नाम मैरी कॉम से बेहतर जाना जाता है।

एक प्रसिद्ध भारतीय मुक्केबाज और भारत की संसद की एक वर्तमान सदस्य हैं।

मैरी कॉम एक पेशेवर शौकिया मुक्केबाज हैं। जिन्होंने हाल ही में राजनीति में प्रवेश किया है।

मैरी कॉम, जिसे अक्सर मैग्निफिसेंट मैरी के नाम से जाना जाता है।

भारत और बाकी दुनिया दोनों में सबसे प्रसिद्ध खेल हस्तियों(celebrities ) में से एक है।

हर कोई जिसे अपने काम में कठिनाई हो रही है, विशेष रूप से एथलीट में,

मैरी कॉम की कहानी से प्रेरणा प्राप्त कर सकते हैं।

और सीख सकते हैं कि जीवन में सफल होने के लिए अपनी बाधाओं से कैसे गुजरना है।

Table of Contents

मैरी कॉम का परिचय (Introduction of Mary Kom)

इनका जन्म 24 नवंबर 1982 को भारत के मणिपुर राज्य के छोटे से गाँव में हुआ था।

  • वह बहुप्रतीक्षित(much awaited) मैचों के दौरान अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध हुईं।
  • मैंगते चुंगनेइजंग मैरी कॉम ओएलवाई मैरी कॉम का पूरा नाम है ।
  • मैरी कॉम एक प्रसिद्ध भारतीय शौकिया मुक्केबाज और राजनीतिज्ञ हैं।
  • मैरी कॉम एकमात्र ऐसी महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने मुक्केबाजी करियर के बावजूद 2012 में लंदन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था।
  • मैरी कॉम ने बहुत कुछ हासिल किया है।
  • भारत की एकमात्र महिला मुक्केबाज जो 51 किलोग्राम फ्लाईवेट डिवीजन में प्रतिस्पर्धा करने के लिए योग्य थी।
  • वह मैरी कॉम थीं जिन्होंने इस डिवीजन में अपने देश के लिए कांस्य पदक भी जीता था।
  • इसके अलावा मैरी कॉम इतिहास की एकमात्र महिला मुक्केबाज हैं जिन्होंने अपनी पहली सात अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में से प्रत्येक में पदक जीता है।
  • उसने छह बार विश्व एमेच्योर मुक्केबाजी चैम्पियनशिप भी जीती है (अधिकतम किसी भी महिला द्वारा)।
  • वह इतिहास की पहली मुक्केबाज हैं जिन्होंने चैंपियनशिप स्पर्धाओं में आठ पदक जीते हैं।

जिसमें पुरुष और महिला दोनों खिताब शामिल हैं।

Mary Kom

मैरी कॉम को  मैग्निफिसेंट मैरी के नाम से भी जाना जाता है(Mary Kom is also known as Magnificent Mary.)

  • लाइट-फ्लाईवेट डिवीजन में मैरी कॉम को इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन (शौकिया) या संक्षेप में एआईबीए द्वारा पहला स्थान दिया गया था।
  • 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में मैरी कॉम स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला मुक्केबाज बनीं।
  • वह एशियाई खेलों (2014 में इंचियोन, दक्षिण कोरिया में एशियाई खेलों) में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी थीं।
  • मैरी कॉम एकमात्र ऐसी बॉक्सर हैं जिन्होंने छह बार एशियन एमेच्योर बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती है।
  • उन्होंने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति कप में 51 किलोग्राम महिला मुक्केबाज़ डिवीजन में स्वर्ण पदक भी जीता।

मैरी कॉम की पारिवारिक स्थिति (Family Status of Mary Kom)

इनका जन्म मणिपुर की एक छोटे से गाँव में हुआ था।

इनके पिता जी का नाम मांगते तोपों कॉम था।

और माता का नाम  मंगते अखम कोम था।

इनके पिता जी गरीब किसान थे।  

अपने चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी मैरी कॉम थी ।

मैरी कॉम ने हमेशा बहुत मेहनत की है।

वह अपने  अपने माता-पिता के साथ काम करती थी।

बड़ी बहन होने के नाते  वह  अपने भाइयों और बहनों की देखभाल करती थी।

मैरी कॉम की शिक्षा (education of mary kom)

मैरी कॉम ने  स्कूल में दाख़िला किया।

और यह  लोकतक क्रिश्चियन मॉडल हाई स्कूल में पढ़ने लगीं।

जहाँ उन्होंने छठी कक्षा तक पढ़ाई की।

बाद में उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई सेंट जेवियर्स कैथोलिक स्कूल में  की।

यहाँ  उन्होंने आठवीं तक पढ़ाई की।

नौवीं और दसवीं कक्षा में उन्होंने अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए आदिमजती हाई स्कूल में पढ़ाई की।

10वीं कक्षा में उनके लिए अपनी बॉक्सिंग और बोर्ड परीक्षाओं पर एक साथ ध्यान केंद्रित करना बहुत कठिन हो गया था।

मैरी कॉम बॉक्सिंग में इस कदर लिप्त हो गई थीं कि उनके पास अपनी बोर्ड परीक्षाओं की पढ़ाई के लिए दिन में समय ही नहीं बचा था।

और इसलिए मैरी कॉम अपनी मैट्रिक की बोर्ड परीक्षाओं में फेल हो गईं।

परीक्षा में फेल होने के कारण उसने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने एनआईओएस(NIOS) परीक्षा दी।

इसके बाद, उन्होंने इंफाल (मणिपुर की राजधानी) में चुराचांदपुर कॉलेज से स्नातक(graduate) किया।

मुक्केबाजी खेल की शुरुआत(boxing game start)

जब से वह छोटी थी तब से ही  मैरी कॉम को खेलों का शौक रहा है।

अपनी स्कूली शिक्षा के दौरान मैरी कॉम ने अपने स्कूल में आयोजित

सभी प्रकार के खेलों (वॉलीबॉल, फुटबॉल और एथलेटिक्स सहित) और खेल आयोजनों में भाग लिया।

लेकिन यह केवल ओलंपिक में डिंग्को सिंह की सफलता थी जिसने मैरी कॉम को

और अधिक शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

हालाँकि यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उसने कभी मुक्केबाजी में भाग नहीं लिया था।

महत्वपूर्ण तथ्य(important facts)

  • मणिपुर में जन्मे मुक्केबाज डिंगो सिंह ने 1998 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था।
  • मैरी कॉम ने  डिंगो बॉक्सिंग को देखकर बॉक्सिंग को करियर के रूप में चुना।
  • मैरी कॉम के परिवार सदस्य के द्वारा उनके फैसले पर आपत्ति  जताई गयी थी।
  • वे एक छोटे से शहर से थे और सोचते थे कि मुक्केबाजी पुरुषों के लिए एक खेल है।
  • वे मानते थे कि यह युवा लड़की एक ऐसा खेल खेलने के लिए तैयार नहीं है ।
  • क्योकि इसमें  बहुत अधिक मांसपेशियों और प्रयास की आवश्यकता होती है।
  • मैरी कॉम इस बात पर अड़ी थीं कि वह इस उद्देश्य को पूरा करेंगी चाहे इसके लिए उन्हें कुछ भी करना क्यों न हो।
  • मैरी कॉम ने अपने माता-पिता को बताए बिना बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना शुरू कर दी।
  • खुमान लम्पक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक बार लड़कों के साथ लड़कियों की लड़ाई देखकर वह चौंक गई थी।
  • उसने अपने गांव से इंफाल की यात्रा की जहां उसने राज्य के मुक्केबाजी कोच एम नरजीत सिंह से संपर्क किया और पूछा कि क्या वह प्रशिक्षण ले सकती है।
  • खेलों में अपना करियर बनाने के लिए मैरी कॉम ने अपना घर छोड़ने और इम्फाल खेल अकादमी में इम्फाल में रहने का फैसला किया जब वह केवल 15 वर्ष की थीं ।
  • वह वास्तव में एक तेज़ छात्रा थी और उसे मुक्केबाजी का बहुत शौक था।
  • मैरी कॉम देर रात तक अभ्यास करती थीं खेल के प्रति अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करती थी।

मैरी कॉम की निजी जिंदगी (Mary Kom’s personal life)

जब मैरी कॉम 2001 में पंजाब में राष्ट्रीय खेलों के लिए जा रही थी तो उनका सामना दिल्ली में ओनलर से हुआ।

उस समय ओनलर दिल्ली विश्वविद्यालय में law कर रहे थे ।

दोनों का एक दूसरे  पर महत्वपूर्ण  गहरा प्रभाव पड़ा। और चार साल तक दोनों के बीच गहरी दोस्ती रही।

इसके बाद दोनों ने 2005 में शादी कर ली। शादी के बाद इनके  तीन बेटे हैं

जिनमें से पहले दो 2007 में जुड़वा बच्चों के रूप में पैदा हुए थे। और तीसरे का जन्म 2013 में हुआ था।

इनका निजी जीवन काफी अच्छा चल रहा है।

मैरी कॉम के कोच (Mary Kom’s coach)

मैरी कॉम की ट्रैनिंग 3 कोच के द्वारा हुई थी। कोच के नाम है इबोमचा ,किशन ,और नरजीत।

खेलो में अधिक रूचि होने के कारण उनकी खेलो में पकड़ ज्यादा रही थी। 

इन्होने मुक्केबाजी खेल की बारिकियों को बहुत जल्द सीख लिया था।

इन्होने अपने खेल को लेकर काफी मेहनत  की थी ।

मैरी कॉम देर रत तक प्रैक्टिस करती थी।

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद मैरी कॉम ने खुमान लम्पक में एम नरजीत सिंह (जो उस समय राज्य के मुक्केबाजी कोच थे) के तहत प्रशिक्षण शुरू किया।

कई सालों तक मैरी कॉम ने अपने पिता (जो खुद एक पूर्व पहलवान थे) से बॉक्सिंग में अपनी गहरी दिलचस्पी को छिपाए रखा।

बॉक्सिंग में सक्रिय रूप से भाग लेने के साथ उसके पिता के लिए प्रमुख चिंता यह थी।

कि इस खेल में उसके चेहरे को नुकसान पहुंचाने की एक उच्च संभावना है।

जो अंततः उसके शादी करने की संभावनाओं को बर्बाद कर देगी।

इनके परिवार वालो को इनके खेल की खबर न्यूज़ पेपर से मिली थी।

जब उन्होंने सन 2000 में महिला मुक्केबाजी में जीत हासिल की थी।

3 साल तक की कड़ी मेहनत का नतीजा उनके सामने था। इनके नाम की खबरे अखबारों में आ चुकी थी ।

इसके बाद उन्होंने महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता  बेस्ट बंगाल में  स्वर्ण पदक जीता

और अपने राज्य का नाम रोशन किया। 

मैरी कॉम के पुरस्कार(Mary Como’s Award)

  • सन 2003 में इनको अर्जुन अवार्ड दिया गया था। महिला मुक्केबाजी में देश का नाम रोशन करने और स्वर्ण पदक जितने के लिए।
  • सन 2006 में इनको पद्मश्री अवार्ड देकर सम्मानित किया गया।
  • सन 2007 में खेल के सबसे बड़े सम्मान “राजीव गांधी खेल रत्न” के लिए नॉमिनेट किया गया था। सन 2007 में लिम्का बुक रिकॉर्ड द्वारा पीपल ऑफ द ईयर का सम्मान दिया गया था।
  • सन 2008 में CNN-IBN एव रिलायंस इंडस्ट्री द्वारा रियल हॉर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • सन 2008 में पेप्सी MTV यूथ आइकन अवार्ड दिया ।
  • सन 2008 में AIBA द्वारा “मैग्नीफिसेंट मैरी” अवार्ड दिया गया  था ।
  • सन 2009 में कॉम को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड दिया गया  था ।
  • सन 2010 में सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड द्वारा स्पोर्ट्स वूमेन ऑफ द ईयर का अवार्ड दिया गया
  • सन 2013 में  कॉम को देश के तीसरे सबसे बड़े सम्मान पद्मभूषण से सम्मानित किया गया ।

 कॉम के जीवन पर बनी एक फिल्म(A film on the life of Mary Kom)

  • डायरेक्टर उमंग  ने 5 सितंबर 2014 में उनके ऊपर एक फिल्म बनाई।
  • फिल्म का नाम  “कॉम ”  था।
  • फिल्म में कॉम के जीवन के सभी पहलुओं के बारे में बताया गया है।

 कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष किया और आज इस मुकाम तक आ गयी है। 

  • इस फिल्म में कॉम की भूमिका प्रियंका चोपड़ा द्वारा निभाई गयी है।

2002 तुर्की AIBA woman बॉक्सिंग चैंपियनशिप(2002 Turkish AIBA woman Boxing Championship)

  • तुर्की में हुए AIBA महिला मुक्केबाजी प्रतियोगिता में मेरी कॉम ने 45 किलोग्राम भार  की केटेगरी में स्वर्ण  पदक जीता है।
  • 2002 में आयोजित  मुक्केबाजी प्रतियोगिता में इन्होने 45  किलोग्राम  भार से  स्वर्ण  पदक जीता है।

2003 में

  • भारत में हुए एशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता में 46 किलोग्राम भार से स्वर्ण पदक जीता है।
  • इसके बाद इन्होने 2003 में ही नर्वो में हुई बॉक्सिंग प्रतियोगिता में फिर  से स्वर्ण जीता था।

2005 में

  • 2005 में Podolsk में वर्ल्ड चैंपियनशिप  में स्वर्ण  पदक हासिल किया। 2005  सन में मेरी कॉम रसिया में हुई मुक्केबाजी प्रतियोगिता की विनर रही थी।

2006 में

  • डेनमार्क में आयोजित वीनस प्रतियोगिता  में कॉम ने स्वर्ण पदक जीता था।

2008 में

  • भारत में आयोजित  मुक्केबाजी प्रतियोगिता में इन्होने सिल्वर पदक जीता।
  • 2008 में ही AIBA में स्वर्ण पदक हासिल किया ।
  • 2009 में वियतनाम में हुए मैच में  स्वर्ण पदक जीता था।
  • 2010 में उन्होंने 51 किलो भर वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया था।
  • 2012 में मगोलिया में हुई प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।
  • 2014 में दक्षिण कोरिया में आयोजित  एशियन मुक्केबाजी प्रतियोगिता में मेरी कॉम ने 52 किलोग्राम वर्ग भार ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।

मैरी कॉम प्रेरणा का एक उदाहरण (Mary Kom an example of inspiration)

कॉम ने कई भारतीय महिलाओं को कई तरह के खेलों में प्रेरित किया है।

बाधाओं को दूर करना (remove obstacles )

कॉम कई सामाजिक बाधाओं को तोड़कर और दृढ़ विश्वास के साथ बार-बार लड़कर मुक्केबाजी के अपने जुनून को आगे बढ़ाने में सफल रही हैं।

उसने गरीबी और कई कठिन परिस्थितियों से  भी संघर्ष किया है।

लिंग मानदंडों के खिलाफ खड़े होना(stand up against gender norms)

कॉम इन लिंग असमानता को दूर करने और महानता हासिल करने के लिए काफी मजबूत थे।

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इनको कई विवादों का सामना करना पड़ा था। 

लेकिन इन्होने अपने खेल को कभी नहीं छोड़ा। 

जब समाज और उनका अपना परिवार महिलाओं के मुक्केबाज होने की अवधारणा के खिलाफ था। 

तब भी इन्होने अपने खेल को अधिक प्रोत्साहन दिया था ।

विश्वास और आस्था का होना (having faith and belief)

जब एक नहीं बल्कि कई असमर्थनीय स्थितियां हों तो किसी को हार मानने में ज्यादा समय नहीं लगता है।

तब लोग आसानी से हार  मान लेते है। 

लेकिन हर चुनौती का सामना कॉम को करना पड़ा।

कॉम ने बहुत समझदारी से सभी चुनोतियो का सामना किया।

मुक्केबाज खिलाड़ी  बनने का सपना सजाया। 

कठोर परिश्रम (hard work)

निःसंदेह एक सफल मुक्केबाज के रूप में कॉम का करियर कठिन प्रयास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता से काफी प्रभावित था।

शादी से पहले और बाद में घर पर ज़िम्मेदारियाँ होने के बावजूद उसने अपने प्रशिक्षण में कड़ी मेहनत करना जारी रखा और परिणाम आश्चर्यजनक हैं।    

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर
क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?
मैरी कॉम एक शानदार बॉक्सिंग करियर की बेहतरीन मिसाल

युवराज सिंह एक भारतीय क्रिकेट जिसने लगाए छह गेंदों पर छह छक्‍के।

भारत के नवाब क्रिकेटर नवाब पटौदी का बचपन और प्रारंभिक जीवन

सुनील गावस्कर का जीवन परिचय

क्रिकेट विश्व कप क्या है ? इसकी शुरुआत कब और कहाँ हुई ?

2022 के फीफा वर्ल्ड कप में गोल्डन बूट विजेता किलियन एम्बाप्पे की जीवनी

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

By Vikas

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *