पर्यावरण

पर्यावरण से हमारा तात्पर्य चारों ओर के उस परिवेश से है जिससे हम घिरे हैं।

आसान शब्दों में कहे तो जो कुछ भी जीव के चारों ओर उपस्थित होता है, वह उसका पर्यावरण कहलाता है।

इस तथ्य के कारण कि वर्तमान में तकनीकी प्रगति के कारण

पहले से कहीं अधिक मिलें, कारखाने और ऑटोमोबाइल हैं।

इससे पर्यावरण की समस्या दिन-ब-दिन बदतर होती जा रही हैं।

मनुष्य और पर्यावरण एक दूसरे पर निर्भर करते है।

इस प्रकार यदि हमारे वातावरण में कोई परिवर्तन होता है, तो इसका सीधा प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ेगा।

प्राकृतिक एक परिवेश है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाने में सहायता करता है।

मनुष्यों, जानवरों और अन्य जीवित चीजों का विकास प्राकृतिक पर्यावरण द्वारा सहायता प्राप्त है।

जो पृथ्वी पर जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।

मनुष्य अपनी कुछ बुरी आदतों और खराब व्यवहारों के कारण पर्यावरण को बर्बाद कर रहा है।

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पर्यावरण का क्या अर्थ है (What is meant by environment)

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परी+आवरण= पर्यावरण का अर्थ हमारे चारों ओर का आवरण या वातावरण है।

परी का अर्थ हमारे चारों और का वातावरण (चारों तरफ से) और आवरण का अर्थ है घेरना (ढँके हुए) है।

इस प्रकार पर्यावरण या फिर वातावरण शब्द का अर्थ यह हुआ “व्यक्ति के

आस-पास और चारों ओर जो कुछ भी है, वही उसका पर्यावरण या वातावरण है।

मनुष्य के चारों और फैले हुए वातावरण को ही पर्यावरण कहा जाता है।

मानव अपने जन्म से लेकर मृत्यु  तक पर्यावरण से जुड़ा रहता है।

पर्यावरण की परिभाषा (definition of environment)

  1. जे.एस. रॉस के अनुसार “पर्यावरण या वातावरण वह बाहरी कारक है जो हमें प्रभावित करते  है,” ।
  • डगलस और हॉलैंड के अनुसार, “पर्यावरण” शब्द उन सभी बाहरी ताकतों, प्रभावों और स्थितियों को संदर्भित करता है जिनका किसी जीव के जीवन, प्रकृति, व्यवहार, विकास और परिपक्वता पर प्रभाव पड़ता है।
  • हर्स कोक्वाट्स के अनुसार, पर्यावरण इन सभी बाहरी कारकों की परिणति है जो  प्राणी के जीवन और अस्तित्व के तरीके को प्रभावित करते हैं।
  • डॉ डेविज के अनुसार- “मनुष्य के सम्बन्ध में पर्यावरण से अभिप्राय धरती पर मानव के चारों ओर फैले उन सभी प्राकृतिक  स्वरूपों से है  जिससे वह लगातार प्रभावित होते रहते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के अध्ययन से स्पष्ट हो जाता है की पर्यावरण होता क्या है 

पर्यावरण में वह सब कुछ शामिल है जो हमारे आसपास मौजूद है,

जिसमें हवा, जमीन, पानी, जानवर, पक्षी, पौधे आदि शामिल हैं।

जिस तरह हमारा पर्यावरण हमें प्रभावित करता है,

उसी तरह हमारी गतिविधियों का भी पर्यावरण पर प्रभाव पड़ता है।

पेड़ों को उनकी लकड़ी के लिए काटे जाने से वन लुप्त हो रहे हैं,

जिसका प्रभाव वन जीवों के अस्तित्व पर पड़ रहा है।

यह कई विलुप्त प्रजातियों और संकटग्रस्त प्रजातियों का कारण है जो आज दुनिया में पाई जा सकती थी।

पर्यावरण

पर्यावरण के अंग (parts of the environment)

  1. स्थल मण्डल (site circle)

स्थल मण्डल सतह का वह हिस्सा है जो समुद्र तल से ऊपर उठा हुआ है और कुल क्षेत्रफल का लगभग 29% है।

यह स्थल तीन परतें से मिलकर बना हुआ है।

  • पहली परत पृथ्वी की सतह है धरती से इस परत की गहराई लगभग 100 कि.मी. है।

इस परत में अलग अलग प्रकार की मिट्टियाँ व शैलें समाई हुई है।

इस भाग का औसत धनत्व लगभग 2.7 है ।

  • उपाचयमण्डल दूसरी परत है इसकी गहराई स्थल मण्डल के नीचे तक लगभग   200 कि.मी. है ।
  • इसमें सिलिकन और मैगनीशियम की प्रभुत्व  है और इसका औसत धनत्व लगभग 3.5 कि.मी ऑका गया है। 
  • परिणाम मण्डल तीसरी परत  है, जो पृथ्वी का केन्द्रीय  मण्डल  (सेंट्रल ) है और कठोर धातुओं से  मिलकर बना हुआ है।
  • जल मण्डल (Water Circle)

हाइड्रोस्फीयर” शब्द पृथ्वी के कुल जलीय हिस्से को संदर्भित करता है,

जिसमें सभी समुद्र और महासागर शामिल हैं।

दुनिया की सतह का 71% पानी से और 29% भूमि से ढकी है।

पृथ्वी की सतह लगभग 51 बिलियन वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है।

इसके 36 करोड़ वर्ग किमी में पानी है।

  • वायु मण्डल(Atmosphere)

हवा जो पृथ्वी को सैकड़ों किलोमीटर तक घेरे हुए है, एक पर्याप्त आवरण है,

जिसे वायुमंडल के रूप में जाना जाता है।

 पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से  वायु का यह घेरा पृथ्वी को जकड़े हुए है।

धरातल से इसकी ऊंचाई लगभग 800 किलोमीटर मानी जाती है।

परन्तु खोज के पश्चात यह ऊंचाई करीबन 1300 किलोमीटर ऑकी गयी है।

वायुमंडल कई परतों से मिलकर बना है। 

पर्यावरण के तत्व (elements of the environment)

पर्यावरण के तत्व के दो समूह हैं जो पर्यावरण के घटकों को बनाते हैं।

  1. निर्जीव वस्तुएं  (inanimate objects)
  2. जीवित  वस्तुएं (living things)

निर्जीव घटकों में : जलवायु, भूमि, जल, मिट्टी, खनिज, चट्टानें और स्थान सम्मलित है।

जैविक घटकों में : मानव, पौधे और जंतु प्रमुख रूप से सम्मलित है।

अजैविक समुदाय में –

जलवायु से संबंधित कारकों में : सूर्य का प्रकाश और ऊर्जा, तापमान, हवा, वर्षा,     

                            आर्द्रता और अन्य वायुमंडलीय गैसें शामिल हैं।

स्थलाकृति से संबंधित कारक :   जैसे कि ढलान, पहाड़ ,

                           समुद्र, झीलें, नदियाँ, और जल सम्मिलित हैं।

मिट्टी में              :      जल, वायु और मिट्टी के विभिन्न रूप शामिल हैं।

चट्टानों और खनिजों में  :      ऊर्जा खनिज, धात्विक और अधात्विक खनिज  

                           और चट्टानें शामिल हैं।

भौगोलिक स्थान       :     इसमें पहाड़ी, तटीय और मध्य  भूभाग शामिल है।

जैव तत्वों के समूह(group of biological elements)

इसमें सूक्ष्मजीव, मनुष्य, जानवर और पौधे शामिल हैं।

उनके लक्षणों के अनुसार, पर्यावरण के जैविक और गैर-जैविक घटक पर्यावरण का निर्माण करते हैं।

उनमें होने वाले परिवर्तनों का जिव पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है क्योंकि वे आपस में जुड़े हुए हैं।

पर्यावरण के कम  होने से जानवरों को कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ? (What are the problems animals are facing due to depleting environment?)

प्राणियों का बेघर होना (homelessness of animals)

जैसे की आपको भी पता है कि आजकल बहुत सारे जानवर विलुप्त होने की कगार पर है

क्योंकि हमने उनके प्राकृतिक घरो को छीन लिया है।

इस वजह से इन जीवों को कस्बों और शहरों के करीब जाने को भी मजबूर होना पड़ता है।

उन्होंने जीवित रहने के लिए लोगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है।

पर्यावरण का तात्पर्य केवल हमारा आस -पास का वातावरण ही नहीं है

बल्कि यह हमारे सामाजिक और व्यवहारिक जीवन को भी दर्शाता है।

पर्यावरण में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, जैविक और भौतिक घटक शामिल होते है।

इनसे व्यक्ति का जीवन घिरा रहता हैं और पर्यावरण पर भी इनका प्रभाव पड़ता हैं।

जंगली जानवरों और पक्षियों को – पानी की और घोंसले की दिक्कत होना (Wild animals and birds – having problems with water and nesting)

पेड़-पौधों और वनस्पतियों को मनुष्य अपनी जरूरत के लिए लगातार काट रहा है।  

जिसका असर जंगली जानवरों और पक्षियों पर भी पड़ रहा है।

पेड़ों की कमी की वजह से पक्षियों को पर्याप्त भोजन और पानी नहीं मिल रहा है ।

और घोंसले बनाने की जगह में भी कमी आ रही है।

पेड़ कम होने के कारण वर्षा कम होती है।

अधिक वनस्पति होने के कारण पक्षियों में पानी की आवश्यकता कम हो जाती है।

इसके अतिरिक्त, नियमित तापमान बनाए रखने के लिए पेड़ और अन्य पौधे महत्वपूर्ण हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण (Due to environmental pollution)

पर्यावरण में प्रदूषण बहुत से कारणों से होता है। जिनका वर्णन इस प्रकार से है –

  1. जनसंख्या में वृद्धि (increase in population)

प्रदूषण के मुख्य कारणों में से एक जनसंख्या में वृद्धि है।

क्योंकि इसके परिणामस्वरूप प्रदूषण (pollution) और प्रदूषक (pollutant) दोनों में वृद्धि होती है।

दूसरी ओर झील तथा नदियों को भी प्रदूषित किया जा रहा है।

उदाहरण के लिए घरों का कचरा एवं कूड़ा- करकट तथा लकड़ी

एवं कोयले को ईंधन के रूप मे जलाने से उत्पन्न धुएं से वातावरण मे प्रदूषण फैलता है।

  • प्राकृतिक स्त्रोतों का अनियंत्रित उपयोग (Uncontrolled use of resources)

भूमि, जल, जंगल, वायु, खनिज आदि जैसे संसाधनों के अनियंत्रित

और अनुचित उपयोग के कारण , जनसंख्या वृद्धि के दबाव में पर्यावरण प्रदूषण तेजी से फ़ैल रहा है।

  • आर्थिक प्रगति (economic progress)

पर्यावरण प्रदूषण का दूसरा कारण मनुष्य द्वारा किए जाने वाला आर्थिक विकास है।

आर्थिक विकास भी पर्यावरण प्रदूषण के लिए काफी हद तक उत्तरदायी है।

मनुष्य उत्पादन स्तर को बढ़ाने के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करता है। 

यह प्रदूषण को पैदा करते हैं और कई तरह की समस्याओं को जन्म देते हैं।

  • परिवहन में विस्तार(Expansion in transport)

औद्योगीकरण के परिणामस्वरूप परिवहन के तीनों साधनों – जल, भूमि

और वायु पर परिवहन की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है,

और परिणामस्वरूप, परिवहन हमारे वातावरण को धुएं के द्वारा तेजी से प्रदूषित कर रहे हैं।

प्रदूषण का यह क्रम और भी तीव्रता से परिवहन साधनों(यंत्र ) की संख्या के साथ बढ़ रहा है

और यह हमारे पर्यावरण के प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।

आधुनिक तकनीकों का प्रसार के कारण  (Due to the spread of modern technologies)

आधुनिक प्रौद्योगिकी ने अपनी प्रक्रियाओं(Procedures) से कई प्रकार की

विषाक्त गैसों, धुओं एवं विषाक्त रसायन युक्त अपजलों के माध्यम से जल,

थल एवं वायु सभी तत्वों को अशुद्ध कर दिया है।

जिससे पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हो गया है।

जनता का अशिक्षित एवं गरीब होना (public being uneducated and poor), उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग (Excessive use of fertilizers and pesticides) , वनों का विनाश (destruction of forests) , खेती के लिए बड़े पैमाने पर सिंचाई (huge irrigation) असंतुलन के प्रमुख करक है।

  • विषाक्त गैंसें (toxic gases)

कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड,

ओजोन और अन्य जहरीली गैसें कारखानों, बिजली संयंत्रों और अन्य स्रोतों से निकलती हैं।

यह वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

  • ध्वनि प्रदूषण ( Noise Pollution)

यह मशीनरी, वायुयान, रेलगाड़ियों, लाउडस्पीकरों और अन्य स्रोतों द्वारा

की जाने वाली तेज़ आवाज़ों के कारण होता है।

  • पर्यावरणीय रेडियोधर्मिता (Environmental Radioactivity)

रेडियोधर्मिता प्रदूषण विश्व में तेजी से फैल रहा है।

परमाणु बम विस्फोट परीक्षणों के कारण वायुमंडल में जो रेडियोधर्मिता विष फैलता है।

उससे वर्तमान मानव ही नही वल्कि आगे की पीढ़ियां भी प्रभावित हुए बगैर नही रह सकती है।

पर्यावरण का मानव जीवन में महत्व  (Importance of environment in human life)

पर्यावरण का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्व है।

इसके बिना मनुष्य का जीवित रहना असंभव है।

मानव जीवन की प्राथमिक आवशयकता ही वातावरण है।

जल, स्थल, वायु, अग्नि तथा आकाश इन्हीं पांच तत्वो के द्वारा मनुष्य का जीवन सम्भव है।

ये वातावरण ,पेड़ -पौधे  हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है।

प्राचीन समय में मनुष्य का जीवन बहुत सरल था। 

इसलिए वो अपने चारो और की सुन्दर प्रकृति को बहुत संभाल कर रखता था।

लेकिन(But) आधुनिक युग में लोग पर्यावरण शिक्षा के मूल्य की अनदेखी कर रहे हैं।

जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है।

पहले इंसान मीलों तक चल पाता था, लेकिन(But) आज ज्यादातर लोग

छोटी दूरियों को भी गाड़ी के बिना मैनेज nahi कर पाते हैं।

अतीत में, मनुष्य के पास विभिन्न प्रकार के पूर्ण पौष्टिक फल, सब्जियां,

और अन्य प्राकृतिक खाद्य पदार्थ उपलब्ध थे।

वह दिन भर ऊर्जावान महसूस करने के लिए इन खाद्य पदार्थों का सेवन करते थे

और बीमारी से मुक्त रहकर लंबा जीवन जीते थे।

हालाँकि (however) आज का आदमी सब्जियों को प्राप्त करने के लिए कई तरह की दवाओं

और कीटनाशकों का इस्तेमाल करता है,

जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है।

क्योंकि हम जो फल या सब्जी खाते है, वह दूषित हो गई है।

उन दवाओं के कारण, उनमें आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है।

इस वजह से, आज दस में से छह लोग को बीमारि की शुरुआत जल्दी से हो जाती है।

इसके बावजूद किसी को भी पर्यावरण की परवाह नहीं है।

और वह लगातार इसे नुकसान पहुंचा रहे  है।

पर्यावरण के प्रति मनुष्य  की क्या दायित्व  होती है? (What is the responsibility of man towards the environment?)

पर्यावरण की सुरक्षा करना समाज के हर व्यक्ति का कर्तव्य है।

इसके महत्वके बारे में सभी मनुष्य और ग्रामीण इलाके के लोगों को अवगत कराने की आज भी जरूरत है।

पर्यावरण की सुरक्षा और अपने सेहत के लिए हरियाली बनाये रखना जरुरी है। 

हमें अधिक से अधिक परिवेश को दूषित होने से बचाना चाहिए।

पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है और क्यों मनाया जाता है ?(When is Environment Day celebrated and why is it celebrated?)

हर साल 5 जून को पर्यावरण दिवस या विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

उद्योगीकरण की वृद्धि का पर्यावरण पर  ख़राब प्रभाव पड़ रहा है।

लेकिन(But) पेड़ और पौधे पर्यावरण में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए अपनी भूमिका निभाते हैं।

और गंदे वातावरण को साफ करने में पूरी तरह से योगदान देते  हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के स्तर के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं की संभावना बढ़ रही है।

यह महत्वपूर्ण है कि इस स्थिति में लोगों को अपने परिवेश के बारे में जागरूक किया जाए।

इसे पूरा करने के लिए हम हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाते हैं।

पहला पर्यावरण दिवस समारोह स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में आयोजित किया गया था।

इस राष्ट्र ने दुनिया के इतिहास में पहले पर्यावरण सम्मेलन की भी मेजबानी की, जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था।

इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की नींव रखी गई

और 5 जून को प्रति वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का निर्णय लिया गया।

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण के बढ़ते मुद्दे के कारण संयुक्त राष्ट्र ने

1972 में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की पहल की।

पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने प्रकृति और

पर्यावरण प्रदूषण पर दुनिया के बारे में चिंता व्यक्त की थी।

विश्व पर्यावरण दिवस पूरी तरह से पर्यावरण प्रदूषण के आसपास के मुद्दों के बारे में

जागरूकता बढ़ाने, प्रकृति और परिवेश के मूल्य पर दूसरों को शिक्षित करने

और दोनों को संरक्षित करने के प्रयासों में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।

निष्कर्ष (conclusion)

हमें अपने पर्यावरण(environment) के साथ खिलवाड़ करना बिलकुल बंद करना होगा।

भविष्य में अगर हमें अपने आसपास के वातावरण को साफ, सुंदर और जीवन  जीने लायक देखना है तो,

हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि पर्यावरण(environment) इस पृथ्वी पर जीवन के लिए सबसे जरुरी है।

हमें यह सोचना होगा की पर्यावरण(environment) है तो हम है।

अगर पर्यावरण(environment) में कसी भी तरह के बड़े बदलाव आते है तो

इससे मानव जीवन संकट में पर जाएगा।

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By Vikas

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