सोमनाथ मंदिर

गुजरात के सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास सोमनाथ मंदिर के नाम से

जाना जाने वाला एक बहुत पुराना शिव मंदिर है।

इसे भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है।

प्रभास पाटन उस क्षेत्र का वर्तमान नाम है।

जहां पर यह मंदिर स्थित है।

सोमनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था।

और इसका स्पष्ट रूप से ऋग्वेद, स्कंद पुराण, भागवत और प्रभास खंड में भी उल्लेख किया गया है।

इस मंदिर को अक्सर मुगल आक्रमणकारियों द्वारा वर्ष 1955 में पहले नष्ट कर दिया गया था।

फिर भी हिंदू राजाओं के द्वारा लगातार इस मंदिर का पुननिर्माण किया गया था।

सोमनाथ मंदिर के इतिहास से जुड़ी घटनाओं पर चर्चा करने के लिए

रात के 7:30 से 8:30 बजे तक मंदिर के प्रांगण में लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है।

जो मंदिर के इतिहास की कहानी और उससे जुड़ी लोककथाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से बताता है।

Table of Contents

मंदिर में किए जाने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य ( Religious and cultural functions performed in the temple)

सबसे बड़ा पूजा स्थल होने के अलावा, सोमनाथ मंदिर में महत्वपूर्ण रूप से

धार्मिक और सांस्कृतिक कार्य भी किए जाते है।

श्राद्ध और नारायण बाली जैसे धार्मिक संस्कारों के लिए यह मंदिर स्थानीय आबादी के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसरण में चैत्र में, भाद्रपद और कार्तिक माह में यहाँ पर धार्मिक कार्य

और श्राद्ध कार्य करने का खास महत्व बताया गया है।

सोमनाथ मंदिर में तीन पवित्र हिंदू नदियाँ हिरण्य, सरस्वती और कपिला का  संगम स्थल है।

इस वजह से देश भर से काफी सारे श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए यहां आते रहते हैं।

सोमनाथ मंदिर की पौराणिक कथा का वर्णन (The description of the legend of Somnath Temple)

  1. सोमनाथ मंदिर के निर्माण और नामकरण से जुडी रोचक कथा

यहाँ पर एक सबसे पौराणिक कथा है जो बहुत ज्यादा बार सुनी जाती है ।

राजा दक्षप्रजापति की 27 पुत्रियाँ थी।

चन्द्रमा जी ने दक्षप्रजापति की 27 पुत्रियों से विवाह कर लिया था।

चन्द्रमा दक्षप्रजापति की सभी पुत्रियों में से एक पुत्री रोहिणी का बहुत सम्मान करते और बहुत स्नेह किया करते थे।

इस कारण चन्द्रमा की बाकि सभी पत्निया नाराज हो गई और अपने पिता से शिकायत की ।

पिता ने अपने दामाद को समझाने का प्रयास किया था।

दक्षप्रजापति ने अपने दामाद को कहा कि वो अपनी सभी पत्नियों को समान रूप से प्रेम करें।

चन्द्रमा ने दक्षप्रजापति की कोई भी बात नहीं मानी थी। 

दक्षप्रजापति ने क्रोध में आकर चन्द्रमा को श्राप दे दिया और

कहा की तुम्हारी चमक दिन प्रतिदिन कम होती रहेगी ।

इस कारण चद्रमा की रोशनी कम होने लग पड़ी और पृथ्वी पर भी अँधेरा बढ़ने लगा ।

इस समस्या से मुक्त होने के लिए सभी देवता मिल कर दक्षप्रजापति के पास जाते है

और उनसे प्रार्थना करते है कि चन्द्रमा को श्राप से मुक्त कर दीजिए।

दक्षप्रजापति देवताओं से कहते है कि मेरे श्राप से मुक्ति पाने के लिए

चन्द्रमा को भगवान शिव से प्रार्थना करनी चाहिए।

इस सुझाव के अनुसार चन्द्रमा ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कड़ी  तपस्या करनी शुरू कर दी ।

तपस्या से खुश होकर भगवान शिव चन्द्रमा को श्राप से मुक्त होने का उपाय बताते है।

सोमनाथ मंदिर

“सोम”के नाम की उपाधि (The title of the name of “Soma”)

पुराणों में चन्द्रमा को “सोम”भी कहा जाता है।

भगवान शिव की सहायता से चन्द्रमा श्राप मुक्त हो जाते है।

बाद में चन्द्रमा इस स्थान पर भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना करते है।

वैदिक काल में चन्द्रमा को सोम कह कर बुलाया जाता था। 

इसी के अनुसार इस स्थान को “सोमनाथ”के रूप में पूजा जाने लगा।

ऐसी मान्यता है कि अपनी चमक पुनः प्राप्त करने के लिए

चन्द्रमा ने यहाँ बहने वाली सरस्वती नदी में स्नान भी किया था।

  •  दूसरी पौराणिक कथा भगवान श्री कृष्ण से जुडी हुई  है।

ऐसा माना जाता है की एक बार जब भालुका तीर्थ पर भगवान श्री कृष्ण आराम कर रहे थे।

तब वहाँ पर एक शिकारी आता है और वो श्री कृष्ण के तलुए में बने पद्मचिह्न को

किसी हिरण की आँख समझ लेता है और भर्मित होकर तीर चला देता है।

वो तीर सीधा जाकर श्री कृष्ण के तलुए में लगता है।

इस घटना में कृष्ण अपने शरीर को त्याग कर वैंकुंठ धाम चले जाते है।

सोमनाथ मंदिर के पास आज भी भगवान कृष्ण का एक बड़ा ही सुन्दर मंदिर बना हुआ है।

बार-बार मुगलों द्वारा हमला(repeatedly attacked by the Mughals)

सोमनाथ मंदिर पर बार-बार मुगलों द्वारा हमला किया गया,

जिन्होंने इस मंदिर को अक्सर क्षतिग्रस्त भी किया।

जब – जब  मुगलों ने इसे घेरा तब -तब इस धरती के हजारों बहादुर पुत्रों ने

इस पवित्र मंदिर की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

एक वीर योद्धा हमीर सिंह गोहिल जिनका नाम बहुत बार लिया जाता है।

जफर खान सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण करने की तैयारी कर रहा था। 

जैसे ही हमीर सिंह गोहिल को यह सूचना मिली वैसे ही वे अपने

200 सहयोगियों के साथ सोमनाथ मंदिर की रक्षा के लिए निकल पड़ते हैं।

भील सरदार वेगड़ा से उनका सामना यात्रा के दौरान होता है।

भील भी अपने 300 सैनिकों के साथ मंदिर की रक्षा के लिए रवाना होते है।

इन दोनों का सामना जफर खान के सेनिको से हुआ।

युद्ध 11 दिनों तक चला था।

इसके दौरान हमीर सिंह गोहिल और भील सरदार वेगरा जी दोनों मारे जाते है।

युद्ध करते समय हमीर सिंह का सिर धड़ से अलग हो जाता है

और उनका शरीर बीना धड़ के कुछ देर तक युद्ध करता रहा था ।

इन दोनों की मूर्तियाँ आज भी सोमनाथ मंदिर के पास स्थित हैं।

सोमनाथ मंदिर का अतीत (Past of Somnath Temple)

भगवान शिव को समर्पित सोमनाथ का मंदिर भारत में इकलौता एक ऐसा मंदिर है

जिस पर सबसे ज्यादा मुग़ल और विदेशी आक्रमण हुए।

कई इतिहासकारों के अनुसार सोमनाथ मंदिर पर 17 बार हमला हुआ।

उसे नष्ट किया गया और 7 बार इसको फिर से बनाया गया था ।

आखिरी बार इस मंदिर के निर्माण का कार्य 1947 में शुरू हुआ था।

और 1951 में इसे पूरा किया गया था।

आज तक, सोमनाथ मंदिर की निर्माण तिथि का कोई महत्वपूर्ण प्रमाण नहीं मिला है।

ऋग्वेद, स्कंद पुराण, भागवत और प्रभास खंड सहित अन्य प्राचीन

हिंदू पुस्तकों में इस मंदिर का और वहां स्थित शिवलिंग को नष्ट करने का स्पष्ट वर्णन मिलता  है।

इन धार्मिक लेखों में दावा किया गया है कि सतयुग काल में स्वयं चंद्रमा जी ने (सोमदेव)

पहला सोमनाथ का मंदिर सोने से बनवाया था।

रावण के द्वारा त्रेता युग में इस मंदिर का निर्माण चांदी से करवाया था।

द्वापर युग में मंदिर के निर्माण के लिए भगवान कृष्ण के द्वारा चंदन की

लकड़ी का उपयोग किया गया था।

सोमनाथ मंदिर पर किया गया पहला आक्रमण (The first attack on Somnath temple)

किस मुस्लिम शासक ने सबसे पहले सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था ?

सोमनाथ मंदिर पर सबसे पहला आक्रमण 1024 ई. वी. को हुआ था।

ये आक्रमण तुर्क शासक महमूद गजनवी के द्वारा किया गया था।

उन्होंने लगभग 5000 सेनिको के साथ मिलकर सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण किया था।

महमूद ने मंदिर की करीब 20 मिलियन दीनार लूटकर ज्योतिर्लिंग को क्षतिग्रस्त कर दिया था।

महमूद गजनवी ने उस क्षेत्र में मुस्लिम शासन को स्थापित किया।

सोमनाथ मंदिर पर किए गए अन्य आक्रमण (Other attacks on Somnath temple)

इतिहासकारों के अनुसार, वल्लभी के मैत्री राजाओं ने लगभग 650 ई. के आसपास

सोमनाथ के जीर्णोद्धार या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को पूरा किया।

लगभग 75 साल बाद, 725 ईस्वी में, सिंध के अरब राजा अल जुनैद ने सोमनाथ

पर अपना पहला आक्रमण किया , मंदिर को लूट लिया और मंदिर की सारी संपत्ति छीन ली।

हालाँकि, इस आक्रमण का कोई निश्चित प्रमाण अभी तक नहीं मिला है।

गुर्जर प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय ने इस आक्रमण के लगभग 90 साल बाद, वर्ष 815 ईस्वी में इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया।

ऐतिहासिक अभिलेखों और विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार, सोमनाथ

पर मुगल विजेताओं ने बार-बार हमला किया और इसे नष्ट कर दिया।

अल जुनैद, महमूद गजनी (1024), अफजल खान, अलाउद्दीन खिलजी (1296), मुजफ्फर शाह (1375), महमूद बेगड़ा ( 1451), और औरंगज़ेब (1665) उन नामों में से जिन्होंने मंदिर पर  आक्रमण किए  हैं।

कई हिंदू राजाओं ने कई हमलों के बावजूद सोमनाथ का बार-बार पुननिर्माण करने में कामयाबी हासिल की।

सबसे पहले सोमनाथ के जीर्णोद्धार (renovation) का आदेश करीब 2500 साल पहले उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने दिया था।

वल्लभी के राजा (650 ईस्वी), अन्हिलवाड़ा के भीमदेव (11वीं शताब्दी), जूनागढ़ के राजा खंगारा (1351 ईस्वी), महारानी अहिल्याबाई होल्कर (18वीं शताब्दी), और अंत में भारत ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद,

13 नवंबर, 1947 को पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने सोमनाथ का पुननिर्माण

का कार्य (जीर्णोद्धार ) शुरू करवाया था । 

यह मंदिर 1 दिसंबर 1955 को बनकर तैयार हुआ।

डॉ राजेंद्र प्रसाद जो उस समय राष्टपति पद पर थे उन्होंने 01 दिसंबर 1955 को सोमनाथ

को आम नागरिकों को समर्पित कर दिया था ।

सोमनाथ मंदिर का संरचना (Somnath Temple Design (Structure)

वर्तमान में सोमनाथ मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 1955 में पूरा हो गया था।

फिर भी इस मंदिर के निर्माण के समय इसकी प्राचीन स्थापत्य शैली का पूरा ध्यान रखा गया है।

इसी कारण वर्तमान सोमनाथ चालुक्य शैली में निर्मित हिन्दू वास्तुकला का अत्यंत सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करता है।

आपको मंदिर के चारों ओर बहुत ही अच्छी सजावट देखने को मिलती है।

मुख्य मंदिर की दीवारों पर हजारों हिंदू देवी-देवताओं की अति सुंदर नक्काशी के साथ सुंदर मूर्तियां दिखाई देती हैं।

सोमनाथ को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिन्हें गृभगृह, नृत्यमंडप और सभा मंडप के नाम से जाना जाता है।

नृत्य मंडप और सभा मंडप पहली दो संरचनाएं हैं जिन्हें आप मंदिर में प्रवेश करते समय देखते हैं।

गर्भगृह, जहां भगवान शिव का प्राचीन शिवलिंग स्थित है, मंदिर के पीछे स्थित है।

सोमनाथ के चारों ओर 42 पुराने और नए मंदिर बने हैं।

जो लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।

सोमनाथ परिसर में माता पार्वती, माँ गंगा, माता लक्ष्मी, माता सरस्वती और नंदी के विग्रह भी हैं।

इसके अलावा, मंदिर के मैदान में एक शानदार गणेश का मंदिर भी है।

गौरीकुंड के नाम से एक पवित्र झील भी मंदिर के नजदीक स्थित है।

जहां शिवलिंग भी स्थित है।

मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार के पास एक फोटो गैलरी है।

जहां मंदिर के खंडहर, खुदाई, पुनर्निर्माण और बहाली के चित्र दिखाए गए हैं।  

बाण स्तंभ सोमनाथ का मंदिर (Baan Pillar Temple of Somnath)

बाण स्तम्भ, जो सोमनाथ के दक्षिण में स्थित है,

लंबे समय से मंदिर में आने वाले भक्तो के लिए मुख्य आकर्षण के रूप में कार्य करता है।

इतिहास के ग्रंथों में तीर स्तंभ का उल्लेख छठी शताब्दी में कहीं पर किया गया है।

 इस तथ्य के बावजूद कि कोई सटीक तिथियां प्रदान नहीं की गई हैं।

वास्तव में, सोमनाथ में रखा गया तीर स्तंभ एक मार्गदर्शक स्तंभ है।

जिसके शीर्ष पर एक तीर है जो समुद्र की ओर है।

तीर के खंभे पर एक संस्कृत शिलालेख भी है जिसमें लिखा है, “असमुद्रंत दक्षिणी ध्रुव, परंतहित ज्योतिमर्ग।”

आम आदमी के शब्दों में, यह इशारा करता है कि समुद्र के इस बिंदु से दक्षिणी ध्रुव तक

एक सीधी रेखा किसी भी बाधा से रहित है।

यदि आप समुद्र के इस छोर से दक्षिण ध्रुव तक समुद्र के रास्ते की यात्रा करते हैं,

तो आपको तीर के खंभे पर उकेरे गए इन संस्कृत वाक्यांशों के अनुसार भूमि का कोई रूप नहीं मिलेगा।

सोमनाथ मंदिर में प्रवेश करने का समय (Timing to enter Somnath Temple)

सोमनाथ भक्तो के लिए सुबह 06:00 बजे से लेकर रात को 10:00 बजे तक खुला रहता है।

नोट :- मंदिर में प्रवेश के समय में बदलाव भी  किया जाता  है ।

इसलिए जब भी आप मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएँ तब एक बार मंदिर के 

अंदर जाने के समय के बारे में जरूर पता कर ले ।

सोमनाथ  में आरती के समय की सूची (List of Aarti Timings in Somnath Temple)

मंदिर में तीन बार आरती की जाती है –

सुबह की आरती 07:00 बजे,

दोपहर को  12:00 बजे और

शाम को  (संध्या  की आरती  )07:00 बजे

सोमनाथ मंदिर के  आस -पास घूमने का स्थान (places to visit near somnath temple)

सोमनाथ बीच (Somnath Beach)

पंच पांडव गुफा  (Panch Pandava Caves)

लक्ष्मीनारायण मंदिर (Laxmi Narayan temple)

चोरवाड़ बीच (Chorwad Beach)

सूरज मंदिर(Suraj Mandir,)

अहिल्या बाई का मंदिर (Ahilya Bai Temple)

सोमनाथ जाने के रास्ते  (Ways to reach Somnath)

हवाई मार्ग से सोमनाथ की यात्रा कैसे करें (How to travel to Somnath by Air)

दीव में हवाई अड्डा सोमनाथ के सबसे नजदीक है।

एक पारंपरिक वाणिज्यिक हवाई अड्डा नहीं होने के बावजूद, प्रत्येक सप्ताह केवल कुछ उड़ानें होती हैं।

और वे केवल कुछ शहरों से आती हैं।

इसके अलावा, राजकोट हवाई अड्डा सोमनाथ के सबसे नजदीक है।

राजकोट हवाई अड्डे से सोमनाथ की दूरी सिर्फ 200 किलोमीटर है।

इसके अलावा, अहमदाबाद का सरदार वल्लभभाई पटेल हवाई अड्डा सोमनाथ का निकटतम हवाई अड्डा है।

सोमनाथ दीव, राजकोट और अहमदाबाद से बस, टैक्सी और कैब के माध्यम से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

सोमनाथ तक ट्रेन से यात्रा कैसे करें (How to travel to Somnath by Train)

वेरावल रेलवे स्टेशन वह है जो सोमनाथ के सबसे नजदीक है।

सोमनाथ से वेरावल ट्रेन स्टेशनकी दूरी केवल 5 मील है।

वेरावल रेलवे स्टेशन का देश के कई महत्वपूर्ण स्टेशनों से उत्कृष्ट जुड़ाव है।

टैक्सी और कैब से आप वेरावल रेलवे स्टेशन से सोमनाथ तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

सड़क मार्ग से सोमनाथ की यात्रा कैसे करें (How to travel to Somnath by road)

सड़कों के माध्यम से सोमनाथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

राजकोट, पोरबंदर और अहमदाबाद जैसे प्रमुख गुजराती शहर नियमित बस सेवा प्रदान करते हैं।

इसके अलावा टैक्सी और कैब से सोमनाथ तक जाना काफी आसान हो जाता है।

इसके अलावा, सोमनाथ जाने के लिए अपनी खुद की कार चलाना एक आसान तरीका है।

सोमनाथ मंदिर के प्रमुख त्यौहार  (Major Festivals of Somnath Temple)

भगवान शिव के प्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में पूज्नीय सोमनाथ में हिन्दू धर्म से जुड़े हुए

सभी त्योंहार बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाए जाते है।

कुछ त्योंहार को ज्यादा ही प्राथमिकता दी जाती है।

सबसे पहला त्योंहार जो बहुत धूमधाम से मनाया जाता है वो है महा शिवरात्रि का त्योंहार। 

शिवरात्रि वाले दिन लाखो की संख्या में भक्त यहां दर्शन ले लिए आते है

और मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाते है।

स्थानीय महिलाएं भी सोमनाथ मंदिर में दर्शन के लिए आती है।

सोमनाथ मंदिर में सभी महिलाओ के द्वारा एक अनोखी तरह की पूजा  की जाती है।

यह पूजा अपने परिवार के स्वास्थ्यके लिए की जाती है। 

सोमनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि वाले दिन प्रसाद वितरित किया जाता है। 

प्रसाद  में मुख्य ठंडाई, भांग, दूध और बादाम होते है।

सावन के महीने में यहाँ पर श्रद्धालुओं की एक भीड़ देखने को मिलती है।

सोमनाथ मंदिर में दिवाली त्यौहार के साथ साथ कार्तिक पूर्णिमा का

पौराणिक त्योहार भी बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन शिव ने राक्षस त्रिपुसर का वध किया था।

आप इन्हें भी पढ़ना पसंद कर सकते हैं

लाल किले के बारे में अनसुनी बातें
भारत के महान गणितज्ञ व खगोलविद आर्यभट्ट
गौतम गंभीर का क्रिकेट खिलाड़ी से लेकर राजनीति तक का सफर

कौन हैं ब्रिटेन नवनिर्वाचित पीएम ऋषि-सुनक? कौन हैं इंफोसिस संस्थापक के दामाद ऋषि सुनक ?

दुनियाँ में सबसे अधिक सैलरी पाने वाले सीईओ टिम कुक के बारे सम्पूर्ण जानकारी

सुभाष चंद्र बोस का जीवन इतिहास

प्रफुल्ल चंद्र राय ऐसे वैज्ञानिक थे जिनकी बात न गाँधी काट पाते थे न नेहरू 

अपने बच्चों को फ़ोन का उपयोग करने से कैसे रोकें

जैविक खेती क्या है? हम इसे क्यों करते हैं?

इंजीनियर बनने की तैयारी कब से शुरू कर देनी चाहिए? इंजीनियरिंग की तैयारी किस तरीके से करनी चाहिए?

टीम इंडिया के ओपनर बल्लेबाज शिखर धवन 2022 में भारत के लिए सबसे ज्यादा वनडे रन बनाने वाले खिलाड़ी

अपने बेहतरीन खेल प्रदर्शन के कारन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करने वाले फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेसी

आप हमारी वेबसाइट Learn With Vikas(https://learnwithvikas.com/) पे जाके और भी नए-नए जानकारी और बेहतरीन खबरों(news) को पढ़ सकते है।

By Vikas

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *