भारत पाकिस्तान विवाद कोई नयी बात नहीं है।
आजादी के बाद से हिदोनों देशों के बिच कोई न कोई विवाद चलता रहता है।
भारत सरकार जम्मू और कश्मीर राज्य के लगभग 60% हिस्से पर प्रशासन करती है
और अपने इस रुख पर स्पष्ट है की “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।
राज्य के आधिकारिक नक्शा में जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित(Approved) है,
भारतीय क्षेत्र के हिस्से के रूप में गिलगित-बाल्टिस्तान, आज़ाद कश्मीर और अक्साई चिन सहित पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य को दर्शाया गया है।
भारत सरकार के अनुसार विलय(merger) पत्र एक कानूनी कार्य था
जिसे बिना किसी छल(Fraud) या जबरदस्ती के निष्पादित(Execution) किया गया था।
पाकिस्तान के अधिकारी 1933 के पाकिस्तान घोषणा पत्र का हवाला देते हैं
और दावा करते हैं कि कश्मीर उन भारतीय इकाइयों में से एक है
जिन्हें भारत से अलग होकर पाकिस्तान में शामिल होना था।
पाकिस्तान का दावा है कि भारत में कश्मीर का विलय असंवैधानिक था
क्योंकि उसने पाकिस्तान और जम्मू -कश्मीर की रियासत के बीच समझौते’ की शर्तों का उल्लंघन किया था।
इससे भारत पाकिस्तान विवाद को हवा मिलती है।
पाकिस्तान का गठन टू नेशन थ्योरी के आधार पर हुआ था।
चूंकि कश्मीर घाटी में रहने वाले ज्यादातर लोग मुसलमान हैं अंग्रेजों की फूट डालों और राज करो की निति के परिणाम स्वरूप 14 अगस्त 1947 को भारतपाक विभाजन के साथ पाकिस्तान को स्वतंत्रता प्राप्त हुई,
इसके ठीक एक दिन बाद 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्रता मिली थी।
भारत पकिस्तान विवाद के बिच असहमति का इतिहास (history of disagreement between India and Pakistan)
1947 में, इससे पहले कि ब्रिटिश सरकार अपने औपनिवेशिक(colonial) अधिकार वापस लेते,
ब्रिटिश सरकार ने भारतीय उपमहाद्वीप को दो राज्यों में विभाजित किया,
जो मुख्यतः धार्मिक जनसांख्यिकी पर आधारित था ।
मुख्य रूप से मुस्लिम राष्ट्र, पाकिस्तान का डोमिनियन, जो 14 अगस्त, 1947 को बनाया गया था
और हिंदू बहुसंखयक राज्य के रूप में भारत संघ का गठन 15 अगस्त, 1947 को हुआ था।
यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जनसंख्या स्थानान्तरण(transfer) के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक था ।
विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए।
लगभग 5 मिलियन से अधिक हिंदू और सिख भारत चले गए जो मुख्य रूप से पश्चिम पंजाब से थे
और लगभग 6 मिलियन मुसलमान भारत से वर्तमान पाकिस्तान में चले गए।
गलत तरीके से किए गए इस स्थानांतरण के परिणामस्वरूप हिंसक सांप्रदायिक(communal) विवाद हुए जिसमे लगभग 500,000 लोग मारे गए ।
तीन बड़े संघर्षों के बाद भी कश्मीर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच दुश्मनी बरकरार है।
माना जाता है कि पिछले 20 वर्षों में उग्रवाद के परिणामस्वरूप भारत पाकिस्तान विवाद में 47,000 लोग मारे गए हैं।
हालाँकि, कश्मीर क्षेत्र में राजनीतिक अशांति का इतिहास भारत पाकिस्तान विवाद से पहले का है।
भारत पाकिस्तान विवाद का एक प्राचीन अतीत : (An ancient past )
प्राचीन अतीत के संघर्ष का एक लंबा इतिहास है, जैसा कि कश्मीर क्षेत्र के इतिहास के गहन शोध से देखा जा सकता है।
यह भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र राज्य होने से पहले अस्तित्व में था।
प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाएं कश्मीर घाटी के संदर्भों से भरी हुई हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन कश्मीर पर कई राजाओं ने बहुत लंबे समय तक शासन किया था।
पहला राजा, एडगोनंद, 4249 ईसा पूर्व में सत्ता में आया ।
भारत -पाकिस्तान के बीच मुख्य विवाद : (Main dispute between India and Pakistan )सिंधु जल समझौता और विवाद : (Indus Water Treaty and Disputes )
जब 1947 को भारत आजाद हुआ तो भारत का पाकिस्तान के साथ पानी को लेकर विवाद शुरू हो गया ।
क्योकि 1948 में पाकिस्तान जाने वाले पानी पर भारत ने रोक लगा दी,
जिससे पाकिस्तान में पानी की कमी होना शुरू हो गयी ।
उसके बाद भारत व पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर समझोता हुआ।
1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है।
भारत की 6 नदियों के बीच समझौता तय हुआ , जो भारत से पाकिस्तान जाती है।
3 पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलज) के पानी पर भारत को पूरा हक दिया गया।
बाकी 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था ।
संधि के मुताबिक भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
भारत पकिस्तान विवाद का कश्मीर मुद्दा : (India-Pakistan Kashmir issue)
24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबाइलियों के जम्मू कश्मीर पर आक्रमण के बाद से ही
कश्मीर मुद्दा भारत, पाकिस्तान के बीच बना हुआ है।
जो भारत पकिस्तान विवाद की मुख्य वजह है।
इस हमले के बाद जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत में विलय कराने का फैसला किया।
जिसके बाद भारत और पकिस्तान के बीच आमने – सामने से युद्ध शुरू हो गया।
भारत इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र गया , जहां संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करते हुए युद्ध विराम का ऐलान किया।
लेकिन पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर भूभाग पर भारत को नियंत्रण नहीं मिल सका।
इस युद्ध के बाद से ही एक ओर जहां भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताते हुए वापस लौटाने की बात कहता है
तो वहीं पाकिस्तान की मंशा ये है कि वो बाकी के कश्मीर पर भी अपना कब्ज़ा कर ले ।
कश्मीर में चरमपंथी उभार – कश्मीर घाटी में चरमपंथी उभार 1989 से दिख रहा है।
कुछ इस्लामिक चरमपंथी गुटों ने कश्मीर को भारत से आज़ाद करने और पाकिस्तान में शमिल किए जाने के लिए विद्रोह शुरू किया। उस दौर से शुरू ये विद्रोह आज भी घाटी में देखने को मिलता रहता है।
हालाँकि ये पूरी दुनिया को मालूम है कि कश्मीर में आज़ादी की मांग करने वाले इन इस्लामिक चरमपंथी गुटों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है जो उन्हें पैसे और हथियार दोनों मुहैया कराता रहा है।
सर क्रीक विवाद : (Sir Creek controversy)
क्रीक मामले पर विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था ।
सर क्रीक विवाद दरअसल 60 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का विवाद है।
जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच स्थित है।
सर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है ,और यहां ज्वार भाटे के कारण यह तय नहीं होता कि कितने हिस्सों में पानी रहेगा और कितने में नहीं।
आजादी मिलने के बाद पाकिस्तान ने क्रीक खाड़ी पर अपना हक़ जता दिया।
इस पर भारत ने एक प्रस्ताव तैयार किया जिसमें समुद्र में कच्छ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सीधी रेखा खींची गयी और कहा कि इसे ही सीमारेखा मान लेना चाहिए।
यह प्रस्ताव पाकिस्तान ने ठुकरा दिया, क्योंकि इसमें 90 फीसदी हिस्सा भारत को मिल रहा था.
सियाचीन विवाद : (siachen dispute)
साल 1972 के शिमला समझौते में सियाचिन इलाके को बेजान और बंजर करार कर दिया गया था।
यानी यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है।
लेकिन इस समझौते में दोनो के बीच में सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था।
इस समझोते में यह नहीं बताया गया था की , सियाचिन में भारत और पाकिस्तान की सीमा कहाँ होगी। परिणाम स्वरूप पाकिस्तान इस पर अपना हक़ जताने लग गया।
इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर भारत का और निचले भाग पर पाकिस्तान का कव्जा है।
आपको बता दें, 1984 में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था।
लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया ।
13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने कब्जा कर लिया।
इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे।
आतंकवाद : (Terrorism)
आतंकवाद की घटना पूरी दुनिया में कही न कही होती रहती है।
इन घटनाओं का सम्बन्ध कही न कही पाकिस्तान से जुड़ा हुआ रहता है।
हर आतांकवादी घटना में पाकिस्तान का हाथ दिखाई देता है।
पाकिस्तान के मंत्री तक इस बात को क़ुबूल कर चुके हैं, कि उनके यहां आतंकी संगठन सक्रिय हैं।
ऐसे में भारत और अन्य देश, पाकिस्तान की पनाह में पल रहे आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
दाऊद इब्राहिम : (Dawood Ibrahim)
भारत का दुश्मन नंबर वन माना जाने वाला ,दाऊद इब्राहिम 1993 बम ब्लास्ट के बाद से ही मोस्ट वांटेड रहा है।
पिछले साल भारत ने यूएन में भी इसके सबूत दिए थे, कि दाऊद पाकिस्तान में है
और उसे पाकिस्तान सरकार की संरक्षण प्राप्त है। आपको बता दें, भारत का मोस्ट वांटेड भगोड़ा डॉन 1993 के मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी है। जिसमें करीब 260 लोग मारे गए थे।
करीब 24 साल पहले भारत से फरार हो चुका दाऊद तब से पाकिस्तान में रहकर अपना अंडरवर्ल्ड साम्राज्य चला रहा है। लेकिन पाकिस्तान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि दाऊद उसके देश में है।
भारत – पाकिस्तान सीमा विवाद: (India- Pakistan border dispute)
भारत और पकिस्तान की सीमाएं कुल 4 राज्यों से होकर गुज़रतीं हैं,
जिनमें पंजाब, गुजरात, और राजस्थान के साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य भी शामिल है।
पाकिस्तान के साथ गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित सर क्रीक सीमा रेखा को लेकर विवाद रहा है।
सर क्रीक सीमा रेखा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत अहम् हिस्सा है बल्कि ये गुजरात राज्य की सुरक्षा के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।
भारत और पाकिस्तान का कश्मीर संघर्ष : (Kashmir conflict between India and Pakistan)
महाराजा हरि सिंह नाम के एक हिंदू राजा ने कश्मीर की देखरेख की, जो एक महत्वपूर्ण मुस्लिम आबादी वाली रियासत थी। भारत के विभाजन के समय राज्य के राजा महाराजा हरि सिंह, अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहते थे।
और भारत के डोमिनियन या पाकिस्तान के डोमिनियन में शामिल नहीं होना चाहते थे।
वह चाहता था कि उसकी रियासत को भारत और पाकिस्तान दोनों एक स्वतंत्र, तटस्थ राष्ट्र के रूप में स्वीकार करें। पाकिस्तान के साथ गतिरोध समझौते के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी सेना को कश्मीर भेजा ।
पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों द्वारा समर्थित, पश्तून महसूद कबाइलियों ने अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर कब्जा करने के लिए कोड नाम “ऑपरेशन गुलमर्ग” के तहत कश्मीर पर आक्रमण किया। उन्होंने 25 अक्टूबर को बारामूला पर कब्जा कर लिया। महाराजा ने अब भारत की ओर रुख किया और भारत से कश्मीर की रक्षा के लिए सेना की मांग की।
क्योंकि उन्हें पता था कि पाकिस्तानी आक्रमण के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को क्षेत्र हासिल हो जाएगा।
हालांकि भारत के कार्यवाहक गवर्नर जनरल, बर्मा के लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को अपनी सेना भेजने से पहले महाराजा को भारत में शामिल होने की सिफारिश की, भारतीय प्रधान मंत्री नेहरू सैनिकों को भेजने के लिए तैयार थे। इसके आलोक में, 26 अक्टूबर, 1947 को उन्होंने कश्मीर का भारत संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। 26 अक्टूबर, 1947 को, तत्काल स्थिति को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने भारत संघ में भारत की सदस्यता प्रदान करने वाले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर के बाद तत्काल प्रभाव से भारत ने कश्मीर की सहायता के लिए अपनी सेना भेज दी जो पाकिस्तानी आक्रमण को रोकने में कामयाब रहे और उसे पीछे हटाने पर मजबूर कर दिया।
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