दुनिया Archives - Learn With Vikas https://learnwithvikas.com/category/world/ Hindi Blog Website Wed, 15 Feb 2023 17:17:45 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.5 https://i0.wp.com/learnwithvikas.com/wp-content/uploads/2022/09/cropped-android-chrome-512x512-1.png?fit=32%2C32&ssl=1 दुनिया Archives - Learn With Vikas https://learnwithvikas.com/category/world/ 32 32 208426820 तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बनने वाले पुष्प कमल दहल कौन है ? (Who is Pushpa Kamal Dahal, who became the Prime Minister of Nepal for the third time?) https://learnwithvikas.com/pushpa-kamal-dahal/ https://learnwithvikas.com/pushpa-kamal-dahal/#respond Sat, 31 Dec 2022 10:50:49 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=2204 पुष्प कमल दहल कौन है? (Pushpa Kamal Dahal): Pushpa Kamal Dahal (पुष्प कमल दहल) तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री नियुक्त किये गए। उन्हें “प्रचंड” के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने  माओवादी विद्रोह का नेतृत्व था और नेपाल में राजशाही शासन को समाप्त कर लोकतांत्रिक गणराज्य की व्यवस्था शुरू करने का श्रेय इन्ही को […]

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पुष्प कमल दहल कौन है? (Pushpa Kamal Dahal):

Pushpa Kamal Dahal (पुष्प कमल दहल) तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री नियुक्त किये गए।

उन्हें “प्रचंड” के नाम से भी जाना जाता है।

उन्होंने  माओवादी विद्रोह का नेतृत्व था और नेपाल में राजशाही शासन को समाप्त कर

लोकतांत्रिक गणराज्य की व्यवस्था शुरू करने का श्रेय इन्ही को जाता है।

लोकतांत्रिक देश नेपाल के पहले प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य भी पुष्प कमल दहल को ही मिला।

वह इससे पहले 2008-09 और फिर 2016-17 तक दो बार नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं।

Pushpa Kamal Dahal

पुष्प कमल दहल का जन्म स्थान (Pushpa Kamal Dahal Birth Place):

पुष्प कमल दहल का जन्म 11 दिसंबर 1954 को मध्य नेपाल के कास्की जिले  के धिकुरपोखरी में हुआ था।

उनके परिवार एक गरीब किसान थे। उनके पिता का नाम मुक्तिराम दहल और माता का नाम भवानी दहल है।

पुष्प कमल दहल का शिक्षा (Pushpa Kamal Dahal Education):

11 साल की उम्र में उनके परिवार चितवन चले आये जहाँ उनकी पढ़ाई हुई।

चितवन में ही वह एक स्कूली शिक्षक के संपर्क में आये और उनका कम्यूनिज्म की तरफ रूचि बढ़ा।

इसके बाद 1975 में चितवन के रामपुर के के इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड एनीमल साइंस से

कृषि विज्ञान में स्नातक किया।

पुष्प कमल दहल का राजनितिक कैरियर (Pushpa Kamal Dahal Political Career):

वह 1975 में यूएसएआईडी में शामिल हुए, फिर 1981 में दहल  नेपाल की

अंडरग्राउंड कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गए।

इसके बाद उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा बढ़ी और 1989 में उन्हें नेपाल की

कम्युनिस्ट पार्टी (मशाल) का महासचिव चुना गया।

बाद में यही पार्टी  नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) बन गयी।

1990 में लोकतंत्र की बहाली तक वह गुप्त रूप से काम  कर रहे थे।

1996 में जब नेपाल में राजशाही शासन का विद्रोह  शुरू हुआ तो शुरू के 10 वर्षो तक

वह अंडरग्राउंड रहे। जिसमे वह 8 साल भारत में ही  बिताए थे।

उन्होंने 1996 से 2006 तक दस वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष नेतृत्व किया।

जो ही 2006 में एक व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर के साथ समाप्त हुआ।

वह नेपाल में गृह युद्ध के बाद शांति प्रक्रिया और नेपाली संविधान सभा में नेपाल की

कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) का नेतृत्व किया।

2008 के चुनाव में उनकी पार्टी ने सबसे अधिक वोट प्राप्त किया और वह प्रधानमंत्री बने।

2009 में उन्होंने  सेना प्रमुख के पद से जनरल रूकमंगुड कटवाल को बर्खास्त करने का प्रयास किया,

लेकिन राष्ट्रपति राम बरन यादव ने उनका विरोध किया

जिसके वजह से उन्होंने अपने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया।

प्रचंड के पीएम बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों पर क्या पड़ सकता है असर (What can be the impact on relations with India after Prachanda becomes PM?):

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) ने अपने विद्रोह के आठ साल भारत में ही बिताये थे।

लेकिन वह कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से जुड़े है। 

इसके साथ ही उनकी सहयोगी पार्टी के नेता केपी शर्मा ओली भी कम्युनिस्ट पार्टी की विचारधारा से जुड़े हुए है।

दूसरी ओर, भारत का वर्तमान सरकार दक्षिणपंथी विचारधारा से ज्यादा प्रभावित है।

ऐसे में यह दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित कर सकता है।

इसके अलावा, दो साल पहले जब केपी शर्मा ओली नेपाल के प्रभारी थे,

तब वे चीन के साथ बीआरआई समझौते पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक थे।

इस वजह से भी नेपाल की नयी सरकार भारत के लिए परेशानी की वजह बन सकती है।

इस नयी में सरकार सबसे अधिक हिस्सेदारी केपी शर्मा ओली की पार्टी की है।

ऐसे में इस नयी सरकार में उनका भी दखलंदाजी देखने को मिल सकता है।

नतीजतन, कालापानी और लिपुलेख को लेकर पहले जो विवाद शुरू  हुआ था,

वह अब फिर से सामने आ सकता है।

पुष्प कमल दहल की पत्नी (Pushpa Kamal Dahal Wife):

पुष्पा कमल दहल की पत्नी का नाम सीता पौडेल (Sita Poudel) है।

उनकी शादी 15 वर्ष की उम्र में ही हो गया था।

उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। गंगा दहल, प्रकाश दहल, ज्ञानू के.सी।

सीता दहल या सीता पौडेल पार्किसन जैसे लक्षण वाली दिमागी बीमारी से पीड़ित हैं।

उनका इलाज मुंबई के न्यूरोजेन ब्रेन एंड स्पाइन इंस्टीट्यूट  से चल रहा है।

इससे पहले वह अपना इलाज अमरीका और सिंगापुर में भी करा चुकी है। 

पुष्प कमल दहल का नेट वर्थ (Pushpa Kamal Dahal Net Worth):

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) सबसे धनी और सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में से एक हैं।

उनकी कुल संपत्ति 5 मिलियन डॉलर है।

पुष्प कमल दहल 13 साल  तक अंडरग्राउंड रहे।

दहल अपने बचपन में गरीबी को देखा था, उनके माता पिता एक गरीब किसान थे।

वामपंथी दलों के लिए उनकी प्राथमिकता बाद में बदल गई।

1981 में, वह नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने।

उन्होंने 1989 में पार्टी के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला।

1990 में नेपाल में लोकतंत्र की वापसी के बावजूद, प्रचंड ने 13 साल अंडरग्राउंड होकर जीवन बिताया।

पुष्प कमल दहल तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने।

पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) को तीसरी बार नेपाल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

शेर बहादुर देउबा के साथ सहमति न बनने के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया। 

पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दहल का समर्थन किया है।

दोनों पार्टियों ने बारी-बारी से सरकार चलाने का फैसला किया है।

वह  2008-2009 और 2016-2017 के बीच भी  प्रधान मंत्री के रूप में कार्य किया।

राजनीति में प्रवेश करने से पहले दहल नेपाल में माओवादी विद्रोह का नेतृत्व किया था।

उनके ट्विटर अकाउंट का नाम भी कामरेड प्रचंड है।

यह ऐसा समय था उनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी, तब उन्होंने पार्टी के गुप्त विंग का नेतृत्व किया।

जबकि बाबूराम भट्टाराई ने विधायिका में यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के नेता के रूप में कार्य किया।

बाबूराम भट्टाराई ने 4 फरवरी, 1996 को नेपाल के प्रधान मंत्री शेर बहादुर देउबा को 40 मांगों की एक सूची भेजी।

और मांग पूरी न होने पर उन्होंने गृहयुद्ध की धमकी दी।

इसमें राष्ट्रवाद, लोकतंत्र और आजीविका से संबंधित मांग थी।

बाद में इन मांगों को 40 से घटा कर 24 कर दिया गया।

भारत से पुष्प कमल दहल का रिश्ता कैसा है ?

नेपाल के प्रधान मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने से पहले, दहल (Pushpa Kamal Dahal) ने गृहयुद्ध के दौरान भारत  आ चुके है।

उन्होंने साल 2022 में तीन दिवसीय भारत यात्रा की।

दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की।

उन्होंने इस दौरान दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का मुद्दा उठाया।

इसके अलावा उन्होंने यहां 1950 के भारत-नेपाल मैत्री समझौते में संशोधन का अनुरोध किया।

उन्होंने दावा किया था कि कुछ ऐतिहासिक समस्याओं की खोज की गई थी

और उन्हें दूर करने की आवश्यकता थी।

यह संभव है कि प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद वह इस विषय को फिर से उठाएंगे।

पीएम मोदी ने पुष्प कमल दहल  को बधाई दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेपाल के नवनिर्वाचित पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) को बधाई दी।

मोदी ने कहा कि वह दोनों देशों की दोस्ती को और मजबूत करने के लिए प्रचंड के साथ काम करने के लिए उत्सुक हैं।

पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में चुने जाने पर दहल को हार्दिक बधाई।

भारत और नेपाल के अद्वितीय संबंध गहरे सांस्कृतिक जुड़ाव और जनता से जनता के बीच

गर्मजोशी भरे संबंधों पर आधारित हैं।

मैं इस दोस्ती को और आगे बढ़ाने लिए आपके साथ सहयोग करने के लिए उत्साहित हूं।

पुष्प कमल दहल पहले एक शिक्षक थे

राजनीति में आने से पहले पुष्प कमल दहल एक शिक्षक थे।

साल 1972 में, उन्होंने चितवन के शिव नगर के एक स्कूल में पढ़ाया

और फिर 1976 से 1978 तक नवलपरासी के डंडा हायर सेकेंडरी स्कूल

और गोरखा के भीमोडाया हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाया।

पुष्प कमल दहल (Pushpa Kamal Dahal) लोकतांत्रिक देश नेपाल के पहले प्रधानमंत्री  बने थे।

उनके नेतृत्व में, सीपीएन (माओवादी) ने 10 अप्रैल, 2008 को हुए चुनावों में 220 सीटें जीतीं,

जिससे यह 601 सदस्यीय संविधान सभा में बहुमत वाली पार्टी बन गई।

अगले महीने नई विधानसभा ने नेपाल को एक लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के लिए मतदान किया,

जिससे राजशाही समाप्त हो गई और 15 अगस्त को प्रचंड  को प्रधान मंत्री के रूप में चुना गया।

हालांकि वह इस पद पर अधिक समय तक रह नहीं सके।

2009 में उन्होंने इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद, 2016 में उन्हें एक बार फिर प्रधान मंत्री चुना गया।

उनकी पार्टी और नेपाली कांग्रेस पार्टी एक सत्ता-साझाकरण समझौता किया था।

समझौते की शर्तों के अनुसार, प्रचंड ने मई 2017 में इस्तीफा दे दिया

और नेपाली कांग्रेस के प्रमुख शेर बहादुर देउबा ने उनकी जगह ली।

पुष्प कमल दहल(Pushpa Kamal Dahal) ने 237 साल पुरानी राजशाही शासन को समाप्त किया

सीपीएन (माओवादी) ने 13 फरवरी, 1996 को कई पुलिस स्टेशनों पर हमले के साथ

राजशाही को खत्म करने के लिए अपना विद्रोही अभियान शुरू किया।

विद्रोह के 10 वर्षों के दौरान, प्रचंड अंडरग्राउंड रहे और तब 8 साल उन्होंने भारत में बिताए। 

उनके अभियान ने नेपाल की 237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त कर दिया। 

जून 2006 में प्रधान मंत्री गिरिजा प्रसाद कोइराला और विपक्षी नेताओं के साथ देश की

नई सरकार के निर्माण पर बातचीत करने के लिए एक बैठक में प्रचंड ने अपनी सार्वजनिक उपस्थिति दी

और उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी.।

नवंबर 2006 में व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से, सीपीएन (माओवादी) ने प्रचंड को

नई सरकार के प्रमुख के रूप में स्थापित करने के लिए काम किया।

पूरी तरह से राजनीति में आने से पहले कमल दहल नें 13 सालों तक पार्टी कार्यकर्ता के तौर पर काम किया।

वे नेपाल के कुछ गिने-चुने नेताओं में शुमार हैं, जो लगातार 32 सालों से पार्टी के उच्च पद को संभाल रहे हैं।

नेपाल में 10 सालों तक कमल दहल प्रचंड ने हिंदू राजशाही का विरोध किया था।

उन्होंने साल 1996 से लेकर 2006 तक सशस्त्र संघर्ष को लीड किया।

इस दौरान वो 10 सालों के लिए अंडरग्राउंड रहे, जिसमें 8 साल भारत में बिताए।

हालांकि प्रचंड के नेतृत्व वाले अभियान को आखिरकार सफलता मिली और अंततः नेपाल की

237 साल पुरानी राजशाही को समाप्त करने के अपने लक्ष्य में वो सफल रह्.

ये सारी चीजें नवंबर 2006 में एक व्यापक शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद खत्म हुआ.

नेपाल की नयी सरकार गठबंधन की सरकार है

नेपाल में पुष्प कमल दहल के नेतृत्व  में जो सरकार बनने जा रही है वह कई मानने में ‘जुगाड़ु’ सरकार है।

इस बार 6 दलों के आपसी गठबंधन के बाद ही पुष्प कमल ‘प्रचंड’ को पीएम बनने का मौका मिला है।

नेपाल के 6 दलों के आपसी गठबंधन वाली सरकार में पुष्प कमल दहल को

169 सदस्यों का समर्थन मिला हुआ है।

अगर इसमें शामिल पार्टियों के बारे में बात किया जाए तो सीपीएन-यूएमएल के 78,

माओवादी केंद्र के 32, राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी के 20, राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के 14,

जनता समाजवादी पार्टी के 12, जनमत पार्टी के 6, नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के 4 सांसद

और 3 निर्दलीय विधायक उनके समर्थन में हैं।

पुष्प कमल दहल 1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का नेतृत्व किया

कमल दहल प्रचंड (Pushpa Kamal Dahal) को साल 1980 में अखिल नेपाल राष्ट्रीय मुक्त छात्र संघ का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया।

फिर साल 1983 में सीपीएन की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए, जो जल्द ही विभाजित हो गई।

1989 में महासचिव के पद पर भी आसीन हुए।

प्रचंड ने 1995 में माओवादी झुकाव को दिखाने के लिए अपनी पार्टी का नाम

बदलकर नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी कर दिया।

पुष्प  कमल दहल का पीएम के रूप में कार्यकाल:

उनके नेतृत्व में, सीपीएन ने 10 अप्रैल, 2008 के चुनावों में 220 सीटें जीतीं

और 601 सदस्यीय संविधान सभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई

और राजशाही समाप्त होने के बाद 15 अगस्त को पहली बार पीएम चुने गए.।

लेकिन अगले सिर्फ एक साल 2009 तक ही पीएम रहे।

पहली बार पीएम बनने के ठीक 8 साल बाद 2016 अगस्त में  संविधान सभा की ओर से फिर उन्हें पीएम चुना गया।

इस बार भी वो मात्र 1 साल तक के लिए पीएम रहे और मई 2017 में पीएम पद छोड़ना पड़ा,

जिसके बाद नेपाली कांग्रेस के नेता शेर बहादुर देउबा ने उनकी जगह ली।

2022  में पुष्प कमल दहल को तीसरी बार नेपाल का नेतृत्व करने के लिए चुना गया,

राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने उन्हें नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

शेर बहादुर देउबा के साथ सहमति न बनने के बाद दोनों का गठबंधन टूट गया।

इसके बाद  पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दहल का समर्थन किया है।

दोनों पार्टियों ने बारी-बारी से सरकार चलाने का फैसला किया है।

FAQ :

1. पुष्प कमल दहल कौन है? (Who is Pushpa Kamal Dahal?)

दहल एक खास मूल का एक नेपाली उपनाम है, और भारत के कुछ क्षेत्रों में मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में भी प्रचलित है।

2. पुष्प कमल दहल की उम्र क्या है? (What is the age of Pushpa Kamal Dahal?)

उनका उम्र 68 साल है।  ( जन्म  – 11 दिसंबर, 1954)

3. पुष्प कमल दहल का जन्म कहाँ हुआ था? (Where was Pushpa Kamal Dahal born?)

उनका  जन्म 11 दिसंबर 1954 को मध्य नेपाल के कास्की जिले  के धिकुर पोखरी में हुआ था।

4. पुष्प कमल दहल कितनी बार प्रधानमंत्री बने? (How many Times Pushpa Kamal Dahal became prime minister?)

2022 के नेपाली आम चुनाव के बाद पुष्प कमल दहल को 25 दिसंबर 2022 को तीसरी बार प्रधान मंत्री नियुक्त किया गया।

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G20 के बारे में आप क्या जानते है, जिसकी अध्यक्षता भारत करने जा रहा है? (What do you know about G20, which is going to be chaired by India?) https://learnwithvikas.com/g20-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%a7%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a4%be/ https://learnwithvikas.com/g20-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%85%e0%a4%a7%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%a4%e0%a4%be/#respond Fri, 23 Dec 2022 10:28:37 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=2034 G20 में अगले साल सितंबर में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G20 की अध्यक्षता करने जा रहा है। 43 देशो के प्रतिनिधिमंडलों जो की अब तक के सबसे बड़े प्रतिनिधिमंडलों का समूह भारत 1 दिसंबर से  G20 की अध्यक्षता करने जा रहा है, यह […]

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G20 में अगले साल सितंबर में नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।

भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G20 की अध्यक्षता करने जा रहा है।

43 देशो के प्रतिनिधिमंडलों जो की अब तक के सबसे बड़े प्रतिनिधिमंडलों का समूह

भारत 1 दिसंबर से  G20 की अध्यक्षता करने जा रहा है,

यह प्रत्येक भारतीय के लिए एक शानदार अवसर है।

यह वैश्विक मंच भारत की बढ़ती लोकप्रियता को प्रदर्शित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। 

पिछले कुछ वर्षों में ऐसी कई मौके आये जिससे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर

भारत की स्थिति में लगातार सुधार हुआ है।

पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के प्रयासों से अब ‘न्यू इंडिया’ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

G20 क्या है? (What is G20?):

G-20 दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों का एक संघ है

जिसमें 19 राष्ट्र और यूरोपीय संघ शामिल हैं। 

इसका प्रतिनिधित्व यूरोपीय सेंट्रल बैंक और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष करते हैं।

17वां जी-20 शिखर सम्मेलन 15 और 16 जुलाई, 2022 को बाली, “इंडोनेशिया” में 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

G20 गठबंधन की स्थापना 1999 के दशक के अंत के वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि में किया गया था,

जिसका पूर्वी एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया पर विशेष रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा था।

मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके, यह वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित करना चाहता है।

दुनिया की 60% आबादी, वैश्विक GDP का 85% और वैश्विक व्यापार का 75% G20 देशों में शामिल है।

G20 ग्रुप में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत,

इंडोनेशिया, इटली, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, कोरिया गणराज्य,

तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम शामिल हैं।

जी-20 शिखर सम्मेलन में स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है।

G20 में विश्व के तमाम बड़े देश (All the big countries of the world in G20):

G20 समूह में दुनिया के सभी विकसित देश शामिल हैं

जिसकी वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में हिस्सेदारी लगभग 85% है।

ऐसे में प्रत्येक भारतीय को इस सुनहरे मौके के अहमियत को देखते हुए

देश की तेजी से बढ़ती प्रमुखता पर गर्व होना चाहिए।

इस मुकाम तक भारत का पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा है।

इसके लिए हमारा देश ने एक ऐसे कठिन दौर से गुजरा है,

जिसमें वैश्विक महामारी कोविड ने भी दस्तक दिया था।

कोविड काल में दुनिया का कोई भी देश ऐसा नहीं था जो इससे प्रभावित नहीं रहा हो।

इसके बावजूद, भारत ने जिस तरह से इस आपदा से उबारा है वो प्रशंसनीय  है

और उन्हीं प्रयासों का परिणाम अब हमारे सामने दिख रहा हैं।

क्या भारत दुनिया की प्रमुख शक्तियों में से एक बन गया है? (Has India become one of the major powers of the world?):

हाल ही में भारत को G20 की अध्यक्षता मिलना वैश्विक शक्तियों के बीच देश की प्रमुखता को दर्शाता है।

इंडोनेशिया के बाली में 17वें जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत को जी20 की अध्यक्षता दी गई थी।

ऐसे में देशवासियों को इन उम्मीदों से कहीं ज्यादा बेहतर  करने का सोचना चाहिए।

ये हमारा कर्तव्य है कि विश्व को भारतीय संस्कृति, सामाजिक शक्ति

और बौद्धिक क्षमता के बारे में अवगत करें।

यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति की

बौद्धिकता को साझा करके ज्ञान की उन्नति में योगदान दें।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का दबदबा (India’s dominance on international forums):

भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन से आगे निकल गया।

रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की मांग का समर्थन किया।

G20 और SCO दोनों की अध्यक्षता भारत  के पास है।

भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्य के रूप में शामिल हुआ।

वसुधैव कुटुम्बकम की प्रतिबद्धता:

अपने मासिक रेडियो संबोधन ‘मन की बात’ में पीएम ने देश से इस अवसर का सदुपयोग करने को कहा।

उन्होंने कहा हमें वैश्विक भलाई पर ध्यान देना चाहिए।

G20 की अध्यक्षता हमारे लिए एक महान अवसर के रूप में आई है।

हमें इस अवसर का पूरा उपयोग करना चाहिए और वैश्विक कल्याण

और विश्व कल्याण पर ध्यान देना चाहिए।

शांति हो या एकता, पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता हो या सतत विकास,

भारत के पास चुनौतियों का समाधान है।

हमने ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की जो थीम दी है,

वह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

पिछले कुछ वर्षों में इस तरह भारत वैश्विक मंचों पर लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है

और 130 करोड़ भारतीयों की शक्ति और क्षमता के साथ लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।

कांग्रेस का बीजेपी पर निशाना

भारत को G20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता मिलने पर भाजपा सरकार इसे एक बड़ी उपलब्धि मानती है।

इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा।

उनके मुताबिक अध्यक्षता मिलना कोई नई बात नहीं है। कई राष्ट्र इससे पहले ही इसकी अध्यक्षता कर चुके थे।

भारत ने औपचारिक रूप से एक दिसंबर को G20 की अध्यक्षता ग्रहण किया ।

भाजपा इसे उसी समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन की महत्वपूर्ण जीत बता रही है।

वह अपने फायदे के लिए इसका राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।

कांग्रेस ने अध्यक्षता मिलने को एक सामान्य प्रक्रिया बताया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि  G20 की अध्यक्षता भारत को मिलना एक सामान्य बात है

क्योंकि यह नियमित आधार पर बदली जाती है। तो भारत को इसकी अध्यक्षता मिलनी ही थी।

G20 की अध्यक्षता  इससे पहले संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण कोरिया, फ्रांस, मैक्सिको, रूस, ऑस्ट्रेलिया, तुर्की, चीन, जर्मनी, अर्जेंटीना, जापान, सऊदी अरब, इटली और इंडोनेशिया ने भी की थी।

इनमें से कोई भी देश हाई-वोल्टेज ड्रामा  नहीं किया, जितना भारत एक साल के लिए जी20 की अध्यक्षता

संभालने पर कर रहा है।

इससे पहले 15-16 नवंबर को इंडोनेशिया ने G20 की अध्यक्षता की थी

और बाली में आयोजित शिखर सम्मेलन में पीएम नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे।

G20 में एकता को बढ़ावा देने का प्रयास करेंगे (Try to promote Unity):

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने G20 समिट की अध्यक्षता मिलने पर कहा कि 

‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की थीम से प्रेरित होकर एकता को

और बढ़ावा देने के लिए काम करेगी।

हम जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और महामारी जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं,

उनका समाधान आपस में लड़ने से नहीं, बल्कि मिलकर साथ काम करने से ही होगा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने G-20 के लोगो, थीम और वेबसाइट  जारी  किया।

उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत के पास ऐतिहासिक मौका है।

हाल ही में अनावरण किए गए इस प्रतीक चिन्ह में कमल का फूल भारत के पौराणिक अतीत,

हमारी आस्था और हमारे बौद्धिक कौशल का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने G20 का लोगो, थीम और वेबसाइट का अनावरण किया (Prime Minister Modi unveiled the logo, theme and website):

यह लोगो और अवधारणा एक संदेश देती है जिसे हम प्राप्त करना चाहते हैं।

युद्ध के खिलाफ बुद्ध की चेतावनी, महात्मा गांधी की हिंसा से बचने की सलाह

और जी-20 में भारत की भागीदारी, सभी इसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को बढ़ाने में मदद कर रहे हैं।

इस लोगो और थीम के जरिए हमारा यह संदेश है. युद्ध के खिलाफ बुद्ध के जो संदेश हैं,

हिंसा से बचने की महात्मा गांधी के जो सलाह हैं,

G20 के जरिए भारत उनकी वैश्विक प्रतिष्ठा को नई ऊर्जा दे रहा है।

उन्होंने कहा कि  G-20 का लोगो केवल एक प्रतीक चिह्न नहीं है

बल्कि यह एक संदेश है, यह एक भावना है, जो हमारी रगों में है. यह एक संकल्प है,

जो हमारी सोच में शामिल रहा है। उन्होंने कहा कि 

यह लोगो वैश्विक एकता की भावना का प्रतीक है

जिसे हम वसुधैव कुटुम्बकम के मंत्र के माध्यम से बढ़ावा दे रहे हैं।

G20 देशों की जीडीपी में 85% हिस्सेदारी है।

G20, दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं  का एक अंतर सरकारी मंच है।

अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, ग्रीस, इटली, जापान,

कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम,

संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ इसमें शामिल हैं। .

इस सम्मेलन में आतंकवाद, आर्थिक चुनौतियों, ग्लोबल वार्मिंग, स्वास्थ्य

और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की जाती है।

G-20 ऐसे देशों का समूह है, जिनकी संयुक्त आर्थिक क्षमता वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 85%,

वैश्विक वाणिज्य का 75% और वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई हिस्सा है।

G20 के सदस्य देश (G20 member countries):

इसमें वर्तमान में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ,

फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब,

दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम

और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 20 सदस्य हैं।

स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में हर वर्ष आमंत्रित किया जाता है।

G20 सम्मेलन में 19 देशों के प्रतिनिधि और एक यूरोपीय संघ शामिल होते हैं।

19 देशों और यूरोपीय संघ के नेता, नेताओं के शिखर सम्मेलन में भाग लेते हैं,

और और मंत्री स्तर की बैठकों में, 19 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक गवर्नर

और यूरोपीय संघ के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर शामिल होते हैं।

स्पेन के अलावा, आसियान देशों के अध्यक्ष, दो अफ्रीकी देश  G-20 के अध्यक्ष द्वारा आमंत्रित किया जाता है।

भारत 30 दिसम्बर 2023 तक G20 का अध्यक्ष बना रहेगा

जिसके अध्यक्ष श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी है।

G20 शिखर सम्मेलन की अगुवाई में अध्यक्षता संभालने के बाद से देश भर में

50 स्थानों पर 200 से अधिक बैठकें निर्धारित की गई हैं।

इनमें से कुछ बैठकों की मेजबानी करने के लिए देश के उन हिस्सों का चयन किया गया है

जिनके बारे में  बहुत काम लोग जानते है।

पीएम मोदी सभी जिलों और ब्लॉक को जी20 से जोड़ना चाहते हैं

और देश के लिए अपनी दृष्टि के बारे में प्रचार करने के लिए लोकप्रिय जुड़ाव का उपयोग करना चाहते हैं।

40 से अधिक मिशन प्रमुखों ने अंडमान का दौरा किया:

40 से अधिक मिशन प्रमुखों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेताओं ने हाल ही में

1 दिसंबर को जी20 की अध्यक्षता संभालने से पहले जी20 कार्यक्रम के लिए

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का दौरा किया था। 

इस दौरान प्रतिनिधियों ने सेल्युलर जेल का दौरा किया,

जहां अंग्रेजों ने  वीर सावरकर को कैद कर रखा था।

भारत अपनी 75 साल की प्रगति और उपलब्धियों को पेश करेगा:

G-20 में, भारत संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, विविधता और पिछले 75 वर्षों की

अपनी उपलब्धियों और प्रगति को भी पेश करेगा।

G-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन अगले साल 9 और 10 सितंबर को भारत में आयोजित किया जाएगा,

जब इसकी अध्यक्षता होगी। पहली  बैठक 4-7 दिसंबर को उदयपुर में होगा।

बैठक में भाग लेने वालों में 75 विश्वविद्यालयों के छात्र शामिल होंगे:

बैठक में देश भर के 75 विश्वविद्यालयों के युवा शामिल होंगे।

जी-20 थीम के साथ सेल्फी प्वाइंट बनाए जाएंगे जहां लोग तस्वीरें ले सकते हैं।

देश के निवासी ऑडियो-वीडियो के माध्यम से सम्मेलन की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

एफएम रेडियो भी एक प्रचार उपकरण के रूप में विकसित होगा।

दक्षिण एशियाई देशों के मुद्दों और हितों को शामिल किया जायेगा :

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत जी-20 के अपने नेतृत्व के दौरान

दक्षिण एशियाई देशों के मौजूदा हितों और चिंताओं को दुनिया के सामने प्रमुखता से दर्शाना चाहेगा।

जयशंकर के अनुसार, हमारा मानना है कि इन देशों को वैश्विक प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन के

सातवें पुनरावृत्ति में हाशिए पर डाल दिया गया है,

जो विदेश मंत्रालय द्वारा चलाया जाता है।

उन्होंने भू-राजनीतिक और शीत युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय आदेशों में प्रौद्योगिकी की भूमिका पर जोर दिया।

यूक्रेन युद्ध से प्रभावित देशों को भारत से उम्मीद:

G-20 के लिए भारत के मुख्य समन्वयक, वरिष्ठ राजनयिक हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि गरीब देशों,

जो COVID महामारी और इसके प्रभाव के साथ-साथ यूक्रेन युद्ध  से प्रभावित हैं,

को भारत के अध्यक्षता से बहुत उम्मीदें हैं।

उनका मानना है कि भारत की अध्यक्षता खाद्य और तेल के आयात की बढ़ी हुई लागत सहित

उनकी अर्थव्यवस्था पर संघर्ष के प्रभावों को आवाज मिलेगी

और उनकी समस्याएं सुनी जाएंगी।

G20 में नागालैंड का हॉर्नबिल महोत्सव का प्रदर्शन किया जाएगा:

भारत जी -20 के दौरान नागालैंड के हॉर्नबिल महोत्सव को प्रदर्शित करेगा।

हाल ही में  G20 के मुख्य समन्वयक, हर्षवर्धन श्रृंगला ने नागालैंड के मुख्यमंत्री

नीफू रियो के साथ जी-20 के दौरान महोत्सव को लेकर चर्चा की थी।

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बाल दिवस क्या है? भारत में बाल दिवस मनाना कब से  शुरू हुआ ? बाल दिवस क्यों मनाया जाता है ?( What is Children’s Day? When did the celebration of Children’s Day start in India? Why is Children’s Day celebrated?) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%b8/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%ac%e0%a4%be%e0%a4%b2-%e0%a4%a6%e0%a4%bf%e0%a4%b5%e0%a4%b8/#respond Fri, 04 Nov 2022 12:18:26 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=1097 बाल दिवस भारत में 14 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में मनाया जाता है,  जिनका जन्म 1889 में इसी दिन हुआ था। नेहरू, जिन्हें अक्सर चाचा नेहरू या चाचाजी के नाम से जाना जाता है। वे बच्चों के प्रति अपने स्नेह(love) के लिए प्रसिद्ध थे। 1964 से पहले भारत ने 20 नवंबर को बाल […]

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बाल दिवस भारत में 14 नवंबर को जवाहरलाल नेहरू के सम्मान में मनाया जाता है,

 जिनका जन्म 1889 में इसी दिन हुआ था।

नेहरू, जिन्हें अक्सर चाचा नेहरू या चाचाजी के नाम से जाना जाता है।

वे बच्चों के प्रति अपने स्नेह(love) के लिए प्रसिद्ध थे।

1964 से पहले भारत ने 20 नवंबर को बाल दिवस के रूप में चिह्नित किया था,

 जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में नामित किया गया था।

हालाँकि, बच्चों के लिए उनके प्यार और देखभाल के कारण,

1964 में उनके निधन के बाद उनके जन्मदिन को देश में बाल दिवस

के रूप में मनाने के लिए सर्वसम्मति (consensus) से चुना गया था।

एक बार नेहरू ने टिप्पणी की थी ‘‘आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे’’।

राष्ट्र का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि हम उनका पालन-पोषण कैसे करते हैं।

पंडित नेहरू ने भारत के कुछ सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण

की देखरेख की क्योंकि उन्होंने राष्ट्र में युवाओं के विकास

और शिक्षा के बारे में गहराई से ध्यान दिया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,

या एम्स की स्थापना, युवाओं की उन्नति के लिए उनके दृष्टिकोण से बहुत प्रभावित थी।

यहां तक कि उनकी पहल पर भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) भी स्थापित किए गए थे।

बाल दिवस मनाना क्यों मायने रखती है? ( Why it matters to celebrate Children’s Day)

अमेरिकी समाज सुधारक, लेखक और राजनेता फ्रेडरिक डगलस ने एक बार कहा था,

क्षतिग्रस्त पुरुषों को ठीक करने की तुलना में मजबूत बच्चों का निर्माण करना आसान है।

भारत के पहले प्रधान मंत्री और एक उच्च सम्मानित भारतीय स्वतंत्रता सेनानी,

पंडित जवाहरलाल नेहरू का भी मानना था कि बच्चे

एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

नेहरू इस बात पर अड़े थे कि किसी राष्ट्र के बच्चों का पालन-पोषण

उस राष्ट्र की ताकत की नींव रखता है।

हमें अपने बच्चों को प्यार और देखभाल दिखाकर

और अच्छे और बुरे समय में उनका नेतृत्व करते हुए

उत्कृष्ट(excellent) मूल्यों को स्थापित करना चाहिए जब तक कि वे आत्म-आश्वासन

और राष्ट्र के निर्माण में योगदान करने के लिए पर्याप्त मजबूत न हों जाय।

भाषाई और सांस्कृतिक सीमाओं के बावजूद,

नेहरू ने बच्चों के प्रति अपने स्नेह के माध्यम से इस समीकरण में अपनी समझ और विश्वास दिखाया।

उनके और उनके इस विश्वास के सम्मान में कि,

एक मजबूत राष्ट्र की आधारशिला उसके बच्चों की हर्षित (Joyful) स्थिति पर निर्भर करती है।

बच्चों के लिए यह उत्सव मनाया जाता है।

हालाँकि नेहरू जी के निधन हुए काफी दिन हो चुके है ,

लेकिन उनके विचार आज भी प्रासंगिक (Relevant) हैं,

क्योंकि बाल दिवस एक अनुस्मारक(reminder) के रूप में कार्य करता है।

यह समाज और देश दोनों के लिए हमारे बच्चों के स्वास्थ्य के मूल्य की याद दिलाने का

 भी काम करता है।

यह हमें जिम्मेदार भारतीयों के रूप में एक अनुस्मारक के रूप में भी कार्य करता है(It also serves as a reminder to us as responsible Indians)

बच्चों को उनकी जाति, धर्म, जातीयता या सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के आधार पर

अलग-अलग तरीके से न आंकें।

यह हमें उनकी रक्षा और पोषण करने की याद दिलाता है।

उन्हें शिक्षा, बढ़ने का अवसर और अच्छा स्वास्थ्य प्रदान करना

हर भारीतय का पहला कर्तव्य होना चाहिए ।

यह दिन भारत भर के स्कूलों में भी उत्सव का प्रतीक है,

जब बच्चों के लिए विभिन्न मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

स्कूलों में उपहार वितरित किए जाते हैं

और भाषणों और पुरस्कार वितरण समारोहों द्वारा

बच्चों को नैतिक रूप से प्रोत्साहित किया जाता है।

इस दिन अनाथ बच्चों को कपड़े, खिलौने और किताबें जैसे उपहार

बांटना भी एक आम बात है।

कई सामाजिक कार्यकर्ता और गैर सरकारी संगठन

बड़े शहरों के स्लम क्षेत्रों में कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

वहां रहने वाले वंचित बच्चों के मनोबल को सुधारने का

एक नेक प्रयास और उन्हें यह भी दिखाना कि उनकी समान देखभाल

और प्यार किया जाता है।

भारत में बच्चों के साथ क्या समस्या है?( What is the problem with children in India?)

यूनिसेफ के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में पांच साल से कम उम्र के

सभी बच्चों में से 20% की मृत्यु भारत में होती है (12 लाख से अधिक बच्चे)।

इनमें से निमोनिया और डायरिया से पांच साल से कम उम्र के 5 लाख बच्चों की मौत शामिल हैं,

जिन्हें हर साल टीकाकरण के द्वारा रोका जा सकता है।

भारत सरकार ने इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं।

इसने मिशन इन्द्रधनुष को लागू किया है,

 जिसका उद्देश्य आंशिक रूप से टीकाकरण वाले बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करना है।

भारत नवजात कार्य योजना को अपनाया, एक नई राष्ट्रीय पोषण रणनीति पर काम शुरू किया,

और इसके सार्वभौमिक में चार नए टीकों को शामिल करने की घोषणा की।

बाल दिवस

टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)।

हालांकि, अभी और काम किया जाना बाकी है।

भारत शासन के मामलों में केवल गतिविधि से मूर्त परिणामों की ओर बढ़ने के लिए

आज अच्छी स्थिति में है।

बाल अस्तित्व और किशोर स्वास्थ्य पर भारत के निराशाजनक रिकॉर्ड

को बदलने के लिए एक निर्णायक कार्यकारी(executive) नौकरशाही(bureaucracy) के साथ मिलकर काम कर रहा है।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और गवी जैसे तकनीकी भागीदारों के समर्थन से,

 हम अपने बच्चों और किशोरों को जीवित रहने

और पनपने में मदद करके अपने देश के भविष्य को सुरक्षित कर सकते हैं।

जबकि भारत के स्वास्थ्य और पोषण परिणामों में सुधार के लिए

राजनीतिक स्पेक्ट्रम में व्यापक सहमति प्रतीत होती है।

 हमें इन मुद्दों के लिए व्यापक-आधारित समर्थन और समयबद्ध

कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

सबसे गंभीर रूप से, हमें बजटीय प्रक्रियाओं और निगरानी

और मूल्यांकन तंत्र में स्वास्थ्य और पोषण-केंद्रित कार्यक्रमों के लिए

उच्च प्राथमिकता की सुविधा के लिए इन मुद्दों के आसपास

राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है।

हमें अपनी राजनीतिक वकालत को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने के लिए

सभी बाल अस्तित्व और किशोर स्वास्थ्य चैंपियन के समर्थन की आवश्यकता होगी।

इस बाल दिवस की हमने जो नई शुरुआत की है, वह तभी सार्थक होगी

जब हम सब एक साथ हाथ मिलाएं।

नेहरू जी के दिल में बच्चों  के लिए खास स्थान था(Nehru had a special place in his heart for children)

उनकी राय में वे देश के भविष्य के निर्माता हैं।

यदि हम अपने भविष्य की रक्षा करना चाहते हैं

तो इन बच्चों के भविष्य को प्रभावित करने के लिए हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए।

 इसी की मान्यता में, हमारे देश ने उनके जन्मदिन को

 बाल दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य सभी भारतीयों में बच्चों को

स्कूल जाने का मौका देने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना था।

उन्हें एक समझदारी से भरा रास्ता चुनने का अधिकार है।

नतीजतन, अगली पीढ़ी के भविष्य को सुनिश्चित करते हुए

एक अच्छी तरह से संचालित, सफल देश बनाना संभव है।

जवाहरलाल नेहरू ने एक बार देखा था कि किसी देश की संपत्ति

उसके अभिलेखागार (archives ) में नहीं बल्कि उसके शैक्षणिक संस्थानों में होती है।

इसलिए हमें अपने बच्चों को राष्ट्र के संसाधनों के रूप में पहचानना चाहिए,

 उनकी रक्षा करनी चाहिए और उनके भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए काम करना चाहिए।

हमारे देश में बाल दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है।

 यह विशेष दिन पं. जवाहर लाल नेहरू  का बच्चो के लिए सम्मान के रूप में मनाया जाता है  ।

युवाओं के लिए नेहरू के योगदान की कहानियों को इस दिन याद किया जाता है।

नेहरू भारतीय इतिहास में आपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते है (Nehru is known for his important contribution to Indian history)

नेहरू भारतीय इतिहास के संदर्भ में महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक हैं ।

क्योंकि उन्होंने समकालीन मूल्यों और सोचने के तरीकों का प्रसार किया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाने के लिए बदल दिया।

उन्होंने देश की जातीय और धार्मिक विविधता के बावजूद

भारत की अंतर्निहित एकता पर जोर दिया।

नेहरू ने तकनीकी प्रगति और वैज्ञानिक खोजों के आधुनिक युग में

भारत का मार्गदर्शन करने की ईमानदारी से परवाह की।

उन्होंने अपने लोगों में लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति सम्मान

और गरीबों और बहिष्कृत लोगों को सामाजिक सहायता

प्रदान करने के महत्व की समझ पैदा की।

उन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में अपने 17 वर्षों के दौरान

लोकतंत्र और समाजवाद दोनों को प्राप्त करने के महत्व पर जोर दिया

और आदर्श के रूप में लोकतांत्रिक समाजवाद का समर्थन किया।

उनके कार्यकाल के दौरान, संसद में कांग्रेस पार्टी के प्रचंड बहुमत ने

उन्हें उस उद्देश्य की ओर बढ़ने में मदद की।

उनकी घरेलू नीतियां जिन चार स्तंभों पर आधारित थीं,

वे थे लोकतंत्र, समाजवाद, एकीकरण और धर्मनिरपेक्षता।

वह अपने जीवनकाल में ज्यादातर उन चार स्तंभों द्वारा

समर्थित संरचना को बनाए रखने में सफल रहे।

नेहरू का दर्शन और हमारा कार्य(Nehru’s Philosophy and Our Work)

अपने इस विश्वास को ध्यान में रखते हुए कि प्रत्येक राज्य को जीवित रहने,

 उससे जुड़े रहने और उसका मार्गदर्शन करने के लिए

एक “राष्ट्रीय दर्शन” की आवश्यकता है,

नेहरू ने एक सुसंगत राष्ट्रीय दर्शन बनाने में समय और प्रयास लगाया।

उन्होंने “आधुनिकीकरण” को भारत के राष्ट्रीय दर्शन के रूप में देखा,

जिसमें सात राष्ट्रीय लक्ष्य शामिल थे: धर्मनिरपेक्षता, गुटनिरपेक्षता, समाजवाद, औद्योगीकरण और संसदीय लोकतंत्र।

1951 में, उन्होंने खड़गपुर में प्रसिद्ध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना की,

और 1961 में, उन्होंने कोलकाता में भारतीय प्रबंधन संस्थान की स्थापना की।

बाल दिवस: जश्न मनाने का एक अनोखा तरीका(Children’s Day: A Unique Way to Celebrate!)

भारत अपने पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की याद में 14 नवंबर को बाल दिवस मनाता है।

उन्हें बच्चों से गहरा लगाव था और उन्हें लगता था कि वे ही भविष्य हैं।

 “बच्चे एक बगीचे में कलियों की तरह होते हैं

और उन्हें सावधानीपूर्वक और प्यार से पाला जाना चाहिए,

क्योंकि वे राष्ट्र का भविष्य और कल के नागरिक हैं,”

उन्हें यह कहने का श्रेय दिया जाता है।

इस दिन देश भर के बच्चे मनोरंजक प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं,

मनोरंजक खेलों का आनंद लेते हैं और मनोरंजक दावतों का आनंद लेते हैं।

इस बाल दिवस को खास बनाने के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं।

बाल दिवस के बारे में सुनते समय, लोग आमतौर पर बिना क्लास,

 फैंसी ड्रेस, शिक्षक उपहार और चाचा नेहरू के बारे में सोचते हैं।

अगर आप स्कूल में हैं तो यह साल का सबसे शानदार दिन है।

जिस तरह से लोग इस दिन को मनाते हैं वह समय के साथ काफी भिन्न होता है।

मैं न केवल छात्रों को कक्षा में, खेल के मैदान में, और पाठ्येतर गतिविधियों में सफल होने में

मदद करने के लिए डिज़ाइन की गई गहन प्रतिस्पर्धी सेटिंग की बात कर रहा हूँ।

मैं इंटरनेट और स्मार्टफोन के रूप में जानी जाने वाली तकनीक की बात कर रहा हूं।

बाल दिवस मनाना क्यों आवश्यक है (Why is it important to celebrate Children’s Day)

14 नवंबर को, जो भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती भी है,

उस दिन  देश में बाल दिवस मनाया जाता है।

20 नवंबर को, संयुक्त राष्ट्र महासभा उस दिन को याद करती है

जब बाल अधिकारों की घोषणा (1989) और बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (1990) को अपनाया गया था।

 बाल दिवस अनिवार्य रूप से वैश्विक स्तर पर बच्चों के

अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के बारे में जागरूकता बढ़ाने का उत्सव है।

बाल दिवस आज भी हर किसी के दिल में एक खास जगह रखता है

क्योंकि, जैसा कि कहावत है, “हम सभी में एक बच्चा होता है।

हमारा मानना है की बाल दिवस सभी के लिए आनंद के बारे में है।

यह ऐसा दिन ऐसा था जब पढ़ाई की आवश्यकता नहीं थी।

शिक्षक हमारे लिए कप केक उपहार के रूप में खरीदते थे।

यह दिन 1980 के दशक में ही प्रसिद्ध हो गया था, और समय के साथ, इसे देखने का तरीका बदल गया है।

हमारा मानना है कि विद्यार्थियों को इस दिन के ऐतिहासिक महत्व

के बारे में पता होना चाहिए।

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि प्रौद्योगिकी की

प्रगति ने हमारे लिए जीवन को आसान बना दिया है,

लेकिन इसने हमारे दैनिक जीवन के तरीके को भी

मौलिक रूप से बदल दिया है।

जैसा कि उन्हें एक ऐसी दुनिया से परिचित कराया जाता है

जहां प्रौद्योगिकी विकास आदर्श हैं,

इससे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।

पहले बच्चों पर कम दबाव होता था क्योंकि

तब प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया इस तरह बचो पर हावी नहीं थी(Back then technology and social media didn’t dominate children like this)

उस समय बच्चा होना आदर्श था।

आज के दौर में अधिकांश माता-पिता के पास अपने बच्चों के साथ

समय बिताने के लिए पर्याप्त समय नहीं होता है,

इसलिए वे सहायता के लिए अपने स्मार्टफोन की ओर रुख करते हैं।

बाल मनोचिकित्सक का कहना है की आप अपने बच्चे को

जितना अधिक इलेक्ट्रॉनिक्स का इस्तेमाल करने देते हैं,

 वह उतना ही अधिक विचलित (distracted) होता है।

साथ ही, हमने कई अत्याधुनिक करियर के अवसर सृजित किए हैं।

बच्चे आज विभिन्न करियर विकल्पों को तलाशने की इच्छा रखते हैं।

आज के बच्चों में इंजीनियर और डॉक्टर बनने की होड़ लगी हुयी है।

उन पर बचपन से ही इसके लिए दबाब बनाया जाता है।

यह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उचित नहीं है।

हमें बच्चों को उसका  बचपन जीने देना चाहिये।

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चित्तौड़गढ़ किला कहाँ है ? चित्तौड़गढ़ किले के इतिहास से जुडी रहस्य्मय बातें(Where is Chittorgarh Fort? Mysterious things related to the history of Chittorgarh Fort) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%9a%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%97%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%9a%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%a4%e0%a5%8c%e0%a4%a1%e0%a4%bc%e0%a4%97%e0%a4%a2%e0%a4%bc-%e0%a4%95%e0%a4%bf%e0%a4%b2%e0%a5%87/#respond Mon, 31 Oct 2022 12:57:54 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=1046 यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किसने किया था। लोककथाओं के अनुसार, पांडवों को इस किले के निर्माण का श्रेय दिया जाता है। पांडवों ने एक ही रात में किले का निर्माण करने के लिए एक साथ काम किया जब योगी निर्भयनाथ ने 4000 साल पहले पत्थर के […]

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यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किसने किया था।

लोककथाओं के अनुसार, पांडवों को इस किले के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।

पांडवों ने एक ही रात में किले का निर्माण करने के लिए एक साथ काम किया

जब योगी निर्भयनाथ ने 4000 साल पहले पत्थर के बदले किले के निर्माण के लिए भीम के सामने एक आवश्यकता निर्धारित की थी।

कुछ इतिहासकारों के अनुसार, मौर्य वंश के राजा चित्रगदा मौर्य ने सातवीं शताब्दी के आसपास चित्रकूट पहाड़ी के ऊपर चित्तौड़गढ़ किले का निर्माण किया था।

इसका मूल नाम चित्रकूट था, लेकिन समय के साथ चित्तौड़गढ़ पसंदीदा नाम बन गया।

मौर्य वंश के अंतिम सम्राट राजा मान मोरी (Maan Mori) को हराने के बाद, बप्पा राव ने इस किले पर अधिकार कर लिया।

बप्पा राव पर अपनी जीत के बाद, परमार वंश के राजा मुंज ने किले के ऊपर अपना झंडा फहराया।

गुजरात के सोलंकी राजा जय सिंह ने परमार राजा यशोवर्मन को जीत लिया और फिर उन्होंने किले पर अधिकार कर लिया।

ग्यारहवीं शताब्दी तक, किला परमारों के अधिकार में था।

इसके बाद, इल्तुतमिश ने इस पर हमला किया और किले पर कब्जा कर लिया,

जिसके कारण गुहिल शासक ने इस किले पर अधिकार कर लिया।

पुष्टि की जाए तो उस समय के सभी शासकों के पास इस किले का स्वामित्व था।

चित्तौड़गढ़ किले की संरचना (Chittorgarh Fort Structure)

चित्तौड़गढ़ किला दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर से 115 किलोमीटर,

अजमेर से 233 किलोमीटर और जयपुर से 340 किलोमीटर दूर स्थित है।

बेराच नदी किले के करीब बहती है। यह किला 590.6 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है।

बनास नदी की सहायक नदियों में से एक बेराच नदी है।

इस किले में एक समय में 84 जलाशय थे, लेकिन वर्तमान समय में यह केवल 22 ही रह गए हैं।

पानी के इन जलाशय में 4 अरब लीटर पानी स्टोर करने की क्षमता है

और इसे सेना की 50,000 लीटर पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

पानी के इन निकायों को बावड़ियों(stepwells), कुओं और तालाबों के रूप में पाया जा सकता है।

किले की 13 किमी लंबी परिधि की दीवार, इसकी 45 डिग्री ढलान के साथ मिलकर, इसे दुश्मन के लिए दुर्गम बना देती है।

किले के परिसर में 65 ऐतिहासिक(historical) रूप से महत्वपूर्ण इमारतें हैं,

जिनमें 20 कामकाजी मंदिर, 4 स्मारक, 19 मंदिर और 4 महल शामिल हैं।

चित्तौड़गढ़ किले

चित्तौड़गढ़ किले में साके का क्या मतलब था ? (What was the meaning of Sake in Chittorgarh Fort?)

चित्तौड़गढ़ किले में ऐसे तीन साके हैं, जो आज भी याद किए जाते हैं।

साके को जौहर के नाम से भी जाना जाता है, और जौहर उन सैनिकों की पत्नियों को संदर्भित करता था

जो महारानियों के साथ किले के अंदर रहती थीं।

जब युद्ध किसी अन्य शासक के द्वारा जीत लिया जाता था।

तो सभी सम्मानित महिलाएं आग के एक बड़े कुंआ में खुद कर खुद का बलिदान कर देती थी। 

इसे जौहर या साके के नाम से जाना जाता है।

इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह था की उस समय के कुछ शासक जीते हुए राज के महिलाओं

से अच्छा व्यवहार नहीं करता था ।

आइए अब उन तीन प्रसिद्ध साकों की चर्चा करें।

पहला साका (first saka)

किले पर अलाउद्दीन खिलजी ने 1303 ई. में हमला किया था,

उस समय के शासक राणा रतन सिंह थे, और रावल सिंह युद्ध में हार गए थे।

अफवाहों के अनुसार, रानी पद्मावती ने महल की महिलाओं के साथ शक/जौहर में अपना त्याग किया था।

इस किले का यह पहला साका था।

दूसरा साका (Second Saka)

1534 ईस्वी में, किले पर दूसरे राणा विक्रमादित्य का शासन था, जो पूर्व राजाओं की तुलना में कम सक्षम थे।

वह लगातार राग-द्वेष में व्यस्त रहता था।

विक्रमादित्य ने किले को छोड़ दिया क्योंकि गुजराती सुल्तान बहादुर शाह ने अपनी सेना के साथ उस पर हमला किया।

तब रानी कर्मावती और सभी महिलाओं ने जौहर किया।

तीसरा साका (Third Saka)

चित्तौड़गढ़ किले का तीसरा और अंतिम साका 1567 ई. में हुआ।

मुगल सुल्तान अकबर की सेना चित्तौड़गढ़ किले पर आगे बढ़ने लगी।

चित्तौड़ की सेना ने बड़ी बहादुरी से मुगल सेना का मुकाबला किया।

लेकिन अंत में मेवाड़ की सेना को मुगल सेना के सामने घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।

इसलिए रानी फूल कंवर ने अन्य महिलाओं के साथ मिलकर साका किया।

किले का महत्व (Significance of the fort)

चित्तौड़गढ़ किले की संरचना और स्थान इसे इतिहास में एक विशेष स्थान देते हैं।

किला बहुत समृद्ध था क्योंकि इसमें मैदान, मंदिर, तालाब और कई अन्य स्थान शामिल थे।

लेकिन इस किले में एक खामी थी, और वह दोष यह था कि,

हमले की स्थिति में, दुश्मन सेना आसानी से इस किले को घेर सकती थी।

परिणामस्वरूप राजपूत राजाओं को खाद्यान्न

और रसद जैसे सामानों का परिवहन करना मुश्किल हो जाता था ।

यह एक कारण था कि कई दरवाजे और मजबूत किले होने के बावजूद,

जब अनाज खत्म हो जाता था तो किले के दरवाजे जबरन खोलने पड़ते थे ।

इसी कारण के चलते किले के परवर्ती शासकों ने चित्तौड़ से हटाकर अपनी राजधानी उदयपुर में शिफ्ट की होगी।

किले के दरवाजे (fort gates)

चित्तौड़गढ़ किले के सात मुख्य प्रवेश द्वारों को स्थानीय भाषा में “पोल” कहा जाता है।

पदन पोल, भैरों पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोडल पोल, लक्ष्मण पोल और राम पोल सेट के प्रमुख पोल हैं।

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, सभी द्वारों का नाम भगवान के नाम पर रखा गया है।

किले का मुख्य प्रवेश द्वार राम द्वार है।

किले के सभी प्रवेश द्वार सैन्य सुरक्षा के लिए मजबूत सुरक्षा के साथ पत्थर के निर्माण के रूप में बनाए गए हैं।

नुकीले धनुषाकार दरवाजों को मजबूत किया जाता है

ताकि उन्हें बंद करने के लिए हाथियों और तोपों का इस्तेमाल किया जा सके।

दरवाजे के ऊपर की तरफ पायदान के साथ पैरापेट(parapet) हैं

ताकि तीरंदाज दुश्मन सेना पर तीर चला सकें।

किले की गोल सड़क से 130 मंदिर, कई स्मारक,

और नष्ट हुए महल सभी सुलभ(accessible) हैं, जो किले के सभी द्वारों को भी जोड़ता है।

दरीखाना, या सम्मेलन कक्ष, एक गणेश मंदिर के पीछे और सूरज पोल (महिलाओं के लिए रहने वाले क्वार्टर) के दाईं ओर बैठता है।

सूरज पोल के बाईं ओर एक बड़ा जलाशय(Reservoir) स्थित है।

यहां एक अजीबोगरीब गेट भी है जिसे जोरला पोल (ज्वाइन गेट) के नाम से जाना जाता है, जो एक दूसरे से जुड़े दो गेटों से बना है।

लक्ष्मण पोल का आधार जोरला पोल के शीर्ष मेहराब(arch) से जुड़ा हुआ है।

कहा जाता है कि भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहां इतना भव्य द्वार पाया जा सकता है।

किले के उत्तरी हिस्से में एक छोर पर लोकोटा बाड़ी का निर्माण किया गया है,

जबकि इसके दक्षिणी छोर पर एक छोटा सा क्षेत्र है जहां दोषियों को खाई में फेंकने के लिए मजबूर किया गया था।

चित्तौड़गढ़ किले में आकर्षण वाले स्थान (Attractions in Chittorgarh Fort)

चित्तौड़गढ़ किले में कई उल्लेखनीय स्थान हैं।

पाडन पोल (padan pole)

चित्तौड़ किले में कुल छह ध्रुव हैं।

पोल एक प्रवेश द्वार है।

किले के पहले पोल का नाम पदन पोल है।

किंवदंती के अनुसार, पहले यहां पर एक भयानक युद्ध हुआ था

युद्ध के कारण यहाँ खून की नदी बही थी

उस नदी में एक एक भैंस नदी के उस पार बहता हुआ आया था

इस कारण से इस पोल को “पदन पोल” का नाम दिया गया है ।

भैरव पॉल (Bhairav ​​Paul)

किले का दूसरा प्रवेश द्वार भैरव पॉल, पाडन पोल से थोड़ी दूरी के बाद आता है। 

इस ध्रुव को देसूरी के सोलंकी भैरव दास के सम्मान में यह नाम दिया गया था।

जो गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह के साथ संघर्ष के दौरान यहां मारे गए थे।

चित्तौड़गढ़ किला हनुमान पोल (Chittorgarh Fort Hanuman Pol)

हनुमान पॉल किले का तीसरा द्वार है।

और चूंकि पास में एक हनुमान जी का मंदिर है।

इसलिए इस पोल को हनुमान पोल नाम दिया गया।

चित्तौड़गढ़ किला गणेश पोल (Chittorgarh Fort Ganesh Pol)

किले के चौथे प्रवेश द्वार का नाम गणेश पोल है।

गणेश पोल का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि श्री गजानंद जी का मंदिर पास में ही है।

चित्तौड़गढ़ में फोर्ट जोडेन पोल (Fort Joden Pole in Chittorgarh)

किले के पांचवें प्रवेश द्वार को जोडेन पोल कहा जाता है क्योंकि यह सभी पोलो के करीब है।

लक्ष्मण पोल का चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort of Laxman Pol)

चूंकि पास में एक लक्ष्मण मंदिर है और यह पोल किले का छठा प्रवेश द्वार है,

इसलिए इसे लक्ष्मण पोल कहा जाता है।

रामपोल – चित्तौड़गढ़ किला राम पोली (Rampol – Chittorgarh Fort Ram Poli)

इस पोल को किले का अंतिम पोल माना जाता है ।

इसके पास सूर्यवंशी भगवान श्री रामचंद्र जी का एक मंदिर है।  

जो मेवाड़ के महाराणाओं द्वारा अपने पूर्वज के सम्मान में बनाया गया था।

यही कारण है कि किले के सातवें और अंतिम प्रवेश द्वार को रामपोल के नाम से जाना जाता है।

इस मंदिर की स्थापना महाराणा कुंभा ने की थी।

रामपाल में प्रवेश करते ही दो सड़कें सामने दिखाई देती हैं

एक बस्ती तक जाती है और दूसरी  दक्षिण की ओर किले के प्राथमिक आकर्षणों की ओर जाती  है।

चित्तौड़गढ़ किले का “विजय स्तंभ” (“Victory Pillar” of Chittorgarh Fort)

मालवा के कुतुबुद्दीन शाह और सुल्तान महमूद शाह को हराकर

महाराणा कुंभा ने विजय स्तम्भ का निर्माण कराया।

पूरे किले और चित्तौड़ शहर का एक सुंदर दृश्य विजय स्तंभ के शीर्ष से देखा जा सकता है। 

जो 10 फीट ऊंचा है,

जो 46 फुट वर्ग आधार पर निर्मित 122 फीट ऊंचा और नौ मंजिलों पर बना है।

शिल्प कौशल के आधार पर विजय स्तंभ की पहचान सभी से अलग है।

विजय स्तंभ के बाहर और अंदर दोनों ओर देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाई गई हैं।

तुलजा भवानी मंदिर चित्तौड़गढ़ किला (Tulja Bhavani Temple Chittorgarh Fort)

दासी के पुत्र बनवीर ने इस तुलजा भवानी मंदिर का निर्माण वर्ष 1536 ई. में करवाया था।

इस स्थान पर बनवीर ने तुला का दान किया था।

बनवीर की दीवार (Banvir’s Wall)

दासीपुत्र बनवीर ने चित्तौड़ किले पर नियंत्रण करने के लिए महाराणा विक्रमादित्य की हत्या कर दी थी।

बनवीर ने किले को दो हिस्सों में विभाजित करने के लिए एक सुरक्षित, ऊंची और मजबूत दीवार बनाई।

लेकिन महाराणा उदय सिंह ने उसे मार डाला।

और दीवार के निर्माण को अधूरा छोड़कर उसे निष्कासित (Expelled) कर दिया।

नवलखा महल और नवलखा भंडारी (Navlakha Mahal and Navlakha Bhandari)

नौलखा महल या नवलखा भंडार के नाम से जाना जाने वाला महल

बनवीर की दीवार के बगल में स्थित है।

महल को नौलखा भंडार के रूप में जाना जाता है ।

क्योंकि इसमें पूरे मेवाड़ राज्य की संपत्ति के साथ-साथ ,

हथियारों और गोला-बारूद का एक छिपा हुआ शस्त्रागार था।

हवेली भामाशाही (Haveli Bhamashhi)

भामाशाह की हवेली भामाशाह के स्मारक के रूप में कार्य करती है।

जिन्होंने कभी देश की रक्षा के लिए अपनी सारी संपत्ति

मेवाड़ के गौरव की सुरक्षा के लिए महाराणा प्रताप को दे दी थी।

हल्दीघाटी की लड़ाई के बाद, महाराणा प्रताप के खजाने समाप्त हो गए थे।

भामाशाह ने महाराणा प्रताप को वह धन दिया था ।

जो उनकी पीढ़ियों ने कठिन समय के लिए जमा किया था ।

क्योंकि मुगलों के साथ लड़ाई के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता थी।

फतेह प्रकाश महल (Fateh Prakash Mahal)

इस महल के निर्माण के प्रभारी उदयपुर के महाराणा फतेह सिंह थे।

महाराणा फतेह सिंह की मूर्ति इस महल के मध्य में स्थित है

और महल के मुख्य द्वार के सामने रखी गई गणेश जी की मूर्ति है।

शृंगार चवरी (Shringar Chavari)

महाराणा कुम्भा की राजकुमारी की शादी के लिए यहां चार स्तम्भों वाली छतरी

के निर्माण के कारण इस क्षेत्र को श्रृंगार चावरी के नाम से जाना जाता है।

इसके बाहरी भाग के लिए पारसनाथ की मूर्तियों और नृत्य देवता की मूर्तियों का निर्माण किया गया है।

कुंभ श्याम का मंदिर (Temple of Kumbha Shyam)

महाराणा कुंभा ने कुंभ श्याम मंदिर का निर्माण करवाया था।

भगवान विष्णु के गर्भ कक्ष की इस प्रतिकृति में, मंडपों, स्तंभों

और भगवान के विभिन्न रूपों से निर्मित उत्कृष्ट मूर्तियाँ प्रदर्शित हैं।

मंदिर भगवान विष्णु का था।

लेकिन चित्तौड़ किले पर युद्ध के दौरान मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया था।

इसलिए उनके स्थान पर कुंभ श्याम की मूर्ति स्थापित की गई थी।

भगवान विष्णु के 12 अवतारों की मूर्ति प्रकोष्ठ के पीछे स्थित थी।

मीराबाई का मंदिर (Mirabai Temple)

मीराबाई मंदिर कुंभ श्याम मंदिर के पास स्थित है।

इस मंदिर में मीराबाई श्री कृष्ण की भक्ति कर रही है।

इसके अतिरिक्त मीरा बाई तीर्थ के सामने एक संत रैदास की छतरी बनाई गई है।

कीर्ति स्तंभ (fame pillar)

जैन संप्रदाय ने कीर्ति स्तम्भ का निर्माण किया,

जो सात मंजिला संरचना है जो 75 फीट लंबा है।

कीर्ति स्तम्भ का निर्माण महाराणा कुम्भा के शासनकाल में यश और प्रसिद्धि प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया था।

यह कई लघु जैन मूर्तियों से सुशोभित है और इसके चारों ओर भगवान आदिनाथ की मूर्तियाँ हैं।

रानी पद्मिनी का महल (Queen Padmini’s Palace)

जनाना महल के नाम से जाना जाने वाला एक छोटा महल झील की सतह के नीचे बनाया गया है।

जहां रानी पद्मिनी का महल स्थित है।

महाराजा रतन सिंह के भेष में रानी पद्मिनी,

मर्दाना महल के नाम से प्रसिद्ध महल में निवास करती थी।

जिसका निर्माण झील के किनारे पर किया गया था।

पद्मावती रानी पद्मिनी का दूसरा नाम है।

इनके अतिरिक्त और भी बहुत सारे रमणीय स्थल है जिनको आप देख सकते है ।

चित्तौड़गढ़ का किला राजस्थान के इतिहास का वह स्वर्णिम पन्ना है

जिसको कितनी भी बार खोला जाए, वह हमेशा गर्व से हमारा सर ऊँचा कर देता है।

मुझे पूरी उम्मीद है कि आपको “चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास” पर मेरा बलॉग  पढ़कर अच्छा लगा होगा।

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ब्रिटेन के नवनिर्वाचित पीएम ऋषि सुनक कौन है? ऋषि सुनक का भारत से क्या समबन्ध है ? (Who is the newly elected PM of Britain Rishi Sunak? What is the relation of Rishi Sunak with India?) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%95/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%8b%e0%a4%b7%e0%a4%bf-%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%a8%e0%a4%95/#respond Fri, 28 Oct 2022 07:39:50 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=990 ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधान मंत्री के रूप में 25 October 2022 को पदभार ग्रहण कर चुके हैं। ब्रिटिश पीएम की दौड़ में कामयाब होने वाले ऋषि सुनक वेस्टमिंस्टर के सबसे अमीर सांसदों में से है । क्या आप जानते है की ऋषि सुनक का भारत से क्या सम्बन्ध है ? ऋषि सुनक का विवाह कहाँ […]

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ऋषि सुनक ब्रिटेन के अगले प्रधान मंत्री के रूप में 25 October 2022 को पदभार ग्रहण कर चुके हैं।

ब्रिटिश पीएम की दौड़ में कामयाब होने वाले ऋषि सुनक वेस्टमिंस्टर के सबसे अमीर सांसदों में से है ।

क्या आप जानते है की ऋषि सुनक का भारत से क्या सम्बन्ध है ?

ऋषि सुनक का विवाह कहाँ और किससे हुआ है ?

इस ब्लॉग के माध्यम से आप उनके बारे में विस्तार से जान सकते है।

किंग चार्ल्स औपचारिक रूप से उन्हें निवर्तमान प्रधान मंत्री लिज़ ट्रस के उत्तराधिकारी(successor) के रूप में सरकार बनाने के लिए कहेंगे,

जिन्होंने इस्तीफा देने से पहले सिर्फ 44 दिनों के लिए पद संभाला था।

ब्रिटिश उप प्रधान मंत्री डॉमिनिक रैब और परिवहन मंत्री ग्रांट शाप्स दोनों ने

7 जुलाई, 2022 को जॉनसन के इस्तीफे के बाद

बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन के प्रधान मंत्री के रूप में सफल बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा में

भारतीय मूल के राजनेता ऋषि सुनक का समर्थन किया।

शाप्स ने ऋषि सुनक का समर्थन करने के लिए अपनी नेतृत्व की उम्मीदवारी को त्याग दिया।

ऋषि सुनक जिन्होंने पहले 2019 से 2020 तक ट्रेजरी के मुख्य सचिव का पद संभाला था,

उन्होंने 2020 से 2022 तक राजकोष के चांसलर के रूप में कार्य किया।

2015 से ऋषि सुनक ने संसद के रिचमंड (यॉर्क्स सदस्य) के रूप में कार्य किया है ( एमपी)।

वह कंजरवेटिव पार्टी के सदस्य हैं।

उनकी मां एक फार्मासिस्ट थीं, जो पड़ोस की दवा की दुकान की देखरेख करती थीं,

जबकि उनके पिता एक चिकित्सक थे।

ऋषि सुनक के दादा-दादी 1960 के दशक में पूर्वी अफ्रीका छोड़कर ब्रिटेन आ गए थे (Rishi Sunak’s grandparents immigrated to the UK from East Africa in the 1960s)

 ऋषि सुनक के दादा-दादी पंजाब प्रांत के ब्रिटिश भारत में पैदा हुए थे।

सुनक अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े हैं।

उनकी बहन राखी विदेश राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय में मानवतावादी, शांति निर्माण, संयुक्त राष्ट्र कोष और कार्यक्रमों के प्रमुख के रूप में काम करती हैं,

जबकि उनके भाई संजय एक मनोचिकित्सक हैं।

ऋषि सुनक का बिजनेस करियर (Rishi Sunak’s Business Career)

विश्वविद्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने  कंजर्वेटिव पार्टी मुख्यालय में इंटर्नशिप पूरी की।

वह 2001 से 2004 तक निवेश फर्म गोल्डमैन  के साथ एक  विश्लेषक(analyst) थे।

सितंबर 2006 में वह चिल्ड्रन इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजमेंट (टीसीआई) में शामिल हो गए,

 उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी, और उन्हें एक भागीदार बनाया गया।

2009 में, वह एक अलग हेज फंड कंपनी थेलेम पार्टनर्स में शामिल हो गए।

इसके अतिरिक्त, वह एन. आर. नारायण मूर्ति के कंपनी केनिदेशक(director) थे,

जो उनके ससुर के व्यापार कानून के भागीदार और कटमरैन वेंचर्स के मालिक थे।

ऋषि सनक: ब्रिटेन के पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन के जाने के एक दिन बाद 8 जुलाई, 2022 को,

प्रधान मंत्री पद के लिए सबसे आगे चलने वाले  ऋषि सुनक ने कहा  कि

वह जॉनसन को सफल बनाने के लिए कंजर्वेटिव पार्टी लीडरशिप इलेक्शन में भाग लेंगे।

 कंजर्वेटिव (Conservative) विधायकों द्वारा ऋषि सुनक की निंदा की गई

 जिन्होंने प्रधान मंत्री को हटाने के प्रयास के लिए बोरिस जॉनसन का समर्थन किया।

ऋषि सुनक

ऋषि सुनक का राजनीतिक करियर(Political career of Rishi Sunak)

उन्हें 2014 में रिचमंड (यॉर्क) के लिए कंजर्वेटिव उम्मीदवार के रूप में विलियम हेग के उत्तराधिकारी के रूप में चुना गया था।

 कंजर्वेटिव पार्टी ने एक सदी से भी अधिक समय तक इस सीट को नियंत्रित किया है।

उन्होंने उस वर्ष पॉलिसी एक्सचेंज की ब्लैक एंड माइनॉरिटी एथनिक (बीएमई) रिसर्च यूनिट के प्रमुख के रूप में कार्य करते हुए यूके में बीएमई समुदायों पर एक अध्ययन का सह-लेखन किया।

उन्हें 2015 के आम चुनाव (यॉर्क) में रिचमंड के सांसद के रूप में चुना गया था।

 उन्होंने 2015 से 2017 तक पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समिति में भाग लिया।

उन्होंने 2016 के यूरोपीय संघ के जनमत संग्रह का समर्थन किया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज के लिए एक पेपर लिखा,

जिसने ब्रेक्सिट के बाद मुक्त बंदरगाहों के निर्माण का समर्थन किया।

उसके एक साल बाद, उन्होंने एसएमई के लिए एक खुदरा बांड बाजार के विकास का समर्थन करते हुए एक और शोध लिखा।

2017 के आम चुनाव में, उन्हें संसद सदस्य के रूप में उनकी सीट पर वापस कर दिया गया था।

जनवरी 2018 से जुलाई 2019 तक, वह संसद के लिए राज्य के अवर सचिव थे।

कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व के लिए 2019 की प्रतियोगिता में,

उन्होंने प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन का समर्थन किया।

वास्तव में, उन्होंने जून 2019 में अभियान के दौरान जॉनसन को बढ़ावा देने के लिए एक ब्रिटिश नागरिक के लिए एक लेख का सह-लेखन किया।

ऋषि सुनक 2019 के आम चुनाव में फिर से चुने गए

जुलाई 2019 में, प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने उन्हें ट्रेजरी के मुख्य सचिव का पद दिया।

उन्होंने पहले चांसलर साजिद जाविद के लिए काम किया था।

25 जुलाई 2019 को वे प्रिवी काउंसिल में शामिल हुए।

फरवरी 2020 में कैबिनेट बदलाव के बाद  ऋषि सुनक को राजकोष के चांसलर के रूप में पदोन्नत किया गया था।

11 मार्च, 2020 को सुनक  ने COVID-19 महामारी के बीच अपना पहला बजट पेश किया।

महामारी से हुई वित्तीय क्षति के परिणामस्वरूप, सुनक ने अतिरिक्त £30 बिलियन खर्च करने का वादा किया,

जिसमें से £12 बिलियन को COVID-19 महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने के लिए निर्धारित किया गया था।

17 मार्च, 2020 को, उन्होंने श्रमिकों के लिए वेतन सब्सिडी कार्यक्रम

और उद्यमों के लिए आपातकालीन सहायता में £330 बिलियन का शुभारंभ किया।

उन्होंने तीन दिन बाद रोजगार प्रतिधारण कार्यक्रम(employment retention program) की शुरुआत की

लेकिन उन्हे कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा

क्योंकि लगभग 100,000 व्यक्ति इसके लिए अयोग्य थे।

 कार्यक्रम को 30 सितंबर, 2021 तक बढ़ा दिया गया था।

ऋषि सुनक ने आतिथ्य क्षेत्र(hospitality sector) के रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने

और विकसित करने के लिए £30 बिलियन ईट आउट टू हेल्प आउट योजना प्रस्तुत की।

इसमें भाग लेने वाले कैफे, शराबखाने, और रेस्तरां में भोजन

और शीतल पेय पर 50% सरकारी-सब्सिडी और प्रति व्यक्ति £10 तक सरकारी-सब्सिडी हैं।

 प्रचार सोमवार से बुधवार तक, 3 अगस्त से 31 अगस्त, 2020 तक वैध था।

हालांकि कुछ लोग इस कार्यक्रम को सफल मानते हैं क्योंकि इसने भोजन सब्सिडी में £849 मिलियन प्रदान किए ।

उन्होंने अक्टूबर 2021 में अपना तीसरा बजट जारी किया,

 जिसमें कौशल-आधारित शिक्षा के लिए £3 बिलियन और स्वास्थ्य अनुसंधान

और नवाचार के लिए £5 बिलियन शामिल थे।

ऋषि सुनक का वैवाहिक जीवन (Married Life of Rishi Sunak)

अगस्त 2009 में ऋषि सुनक और अक्षता मूर्ति शादी के बंधन में बंध गये ।

दंपति की दो बेटियां हैं।

उनकी पत्नी कटमरैन वेंचर्स में एक निदेशक के रूप में काम करती हैं

और भारतीय अरबपति एन.आर. नारायण मूर्ति की बेटी है।

वह ब्रिटेन की सबसे अमीर महिलाओं में से एक हैं

और उनकी अपनी फैशन लाइन भी है।

ग्रीन कार्ड और सुनक की पत्नी का गैर-अधिवासित दर्जा(Green card and non-domicile status of Rishi Sunak’s wife)

ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति को गैर-अधिवास(non domicile) का दर्जा प्राप्त है,

जो उन्हें यूके में रहने के दौरान अर्जित आय पर करों का भुगतान करने से छूट देती है।

 अक्षता मूर्ति विशिष्ट स्थिति(specific situation) प्राप्त करने के लिए लगभग 30,000 पाउंड खर्च करती है,

जो उसे अपेक्षित यूके करों में अतिरिक्त 20 मिलियन पाउंड का भुगतान करने से भी मुक्त करती है।

अक्षता मूर्ति ने 8 अप्रैल, 2022 को कहा कि वह ऋषि सुनक की प्रधान मंत्री पद के लिए चलने वाली घोषणा के दौरान उत्पन्न हुए मुद्दे के आसपास मीडिया घोटाले के बाद दुनिया भर में अपनी आय पर ब्रिटेन के करों का भुगतान करेंगी।

उसने आगे कहा कि वह नहीं चाहती थी कि यह स्थिति उसके पति की योजनाओं में हस्तक्षेप करे।

ऋषि सुनक ने कथित तौर पर खुलासा किया कि उन्होंने 2000 के दशक से 2021 तक अपना स्थायी निवास(permanent residence) कार्ड रखा,

 जिसमें चांसलर बनने के 18 महीने बाद भी शामिल थे,

 जिसके लिए यू.एस. टैक्स रिटर्न दाखिल करना आवश्यक था।

सुनक का प्रारंभिक जीवन(Early life of Rishi Sunak)

ऋषि सुनक का जन्म 12 मई 1980 को साउथेम्प्टन, पूर्वी अफ्रीका में भारतीय माता-पिता यशवीर और उषा सनक के घर हुआ था।

 ब्रिटिश भारत का पंजाब क्षेत्र वह जगह है जहाँ उनके दादा-दादी का जन्म हुआ था।

1960 के दशक में, वे अपने बच्चों के साथ पूर्वी अफ्रीका से यूके चले गए।

2001 में, सुनक ने विनचेस्टर कॉलेज में भाग लिया

और ऑक्सफोर्ड के लिंकन कॉलेज में दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र (पीपीई) कार्यक्रम में दाखिला लिया।

42 वर्षीय  सुनक ने 2006 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में फुलब्राइट स्कॉलर के रूप में एमबीए भी पूरा किया।

2009 में, यॉर्कशायर के सांसद ने इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से शादी की,

और उनके दो बच्चे भी है ।

उन्होंने 2015 से 2017 तक पर्यावरण, खाद्य और ग्रामीण मामलों की चयन समिति में कार्य किया।

2017 के आम चुनावों में, सुनक को उनके पद पर फिर से चुना गया।

उन्होंने 2018 से 2019 तक स्थानीय सरकार के लिए राज्य के संसदीय अवर सचिव का पद संभाला।

वह प्रिवी काउंसिल में शामिल हो गए और 2019 में बोरिस जॉनसन द्वारा उन्हें ट्रेजरी का मुख्य सचिव बनाया गया।

2019 के आम चुनाव में, उन्हें फिर से चुना गया।

जॉनसन के नेतृत्व में थोड़ा विश्वास रखते हुए, सुनक और मंत्री साजिद जाविद ने 5 जुलाई, 2022 को अपना पद छोड़ दिया।

सुनक ने उस सप्ताह के अंत में प्रधान मंत्री के लिए अपनी उम्मीदवारी शुरू की,

वे कंजर्वेटिव पार्टी प्रतियोगिता के पहले दो दौर में जीत हासिल की।

ऋषि सुनक जीवनी(Rishi Sunak Biography)

जन्म : 12 मई 1980

आयु : 42 वर्ष

अभिभावक

पिता : यशवीर सुनक

माता : उषा सुनक

शिक्षा

विनचेस्टर कॉलेज

लिंकन कॉलेज, ऑक्सफोर्ड

स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय

पत्नी : अक्षता मूर्ति

बच्चे : 2

व्यवसाय(Business)

राजनीतिज्ञ (politician)

व्यवसायी

पूर्व निवेश विश्लेषक

कुल सम्पति

£3.1 बिलियन

ऋषि सुनक कैसे बने ब्रिटिश के नागरीक(How Rishi Sunak became a citizen of the British)

उनके पूर्वज 1960 के आसपास पूर्वी अफ्रीका से यूके पहुंचे,

जिससे ऋषि देश में पहली पीढ़ी के अप्रवासी बन गए।

उनका जन्म एक हिंदू घराने में हुआ था।

उनकी माँ ने एक पड़ोस की फार्मेसी की देखरेख की,

 जबकि उनके पिता एक सामान्य चिकित्सक के रूप में काम करते थे।

जब वह बच्चे थे तो वह नियमित रूप से दवा की दुकान में उसकी मदद करता था।

उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि वह भाग्यशाली हैं कि यूके में बड़े होने के दौरान

 उन्हें किसी पूर्वाग्रह (prejudice) का अनुभव नहीं हुआ।

लेकिन एक उदाहरण में, जिसका उन्होंने वर्णन किया है,

मैं अपने छोटे भाई और बहन के साथ बाहर था,

और मुझे लगता है कि मैं शायद अभी भी बहुत छोटा था –

शायद मेरी किशोरावस्था में – और हम एक फास्ट-फूड की दुकान में थे,

और मैं बस उन पर नजर रख रहा था।

यह पहली बार था जब मैंने कभी किसी को घूरते हुए देखा था और बस कुछ बेहद भयानक बातें कह रहा था।

मेरे जेहन में यह जीवंत रहता है।

इस स्थिति में, आपको कई अलग-अलग तरीकों से अपमानित किया जा सकता है,

लेकिन यह इस तरह से दर्द होता है जिसे व्यक्त करना मुश्किल है।

सुनक और अक्षता मूर्ति की पहली मुलाक़ात (Sunak and Akshata Murthy’s first meeting)

जब वे कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एमबीए कर रहे थे,

तब उनकी मुलाकात उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति से हुई,

जो इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति की बेटी हैं।

लंदन वापस जाने से पहले, इस जोड़ी ने कुछ साल साथ रहकर वहां बिताए।

2009 में, बाद में उन्होंने भारत के बंगलौर में शादी कर ली।

अनुष्का सुनक और कृष्णा सुनक ऋषि सनक की बेटियां हैं।

खेल और शारीरिक फिटनेस सुनक के जुनून हैं।

मैट ले टिसियर उनके बचपन के नायक थे,

और साउथेम्प्टन फुटबॉल क्लब उनकी पसंदीदा फुटबॉल टीम है।

सुनक कोका-कोला का दीवाना है।

हाल ही में एक साक्षात्कार में, उन्होंने यह कहते हुए स्वीकार किया की,

“बिल्कुल स्पष्ट होने के लिए, मैं कोका-कोला का पूर्ण व्यसनी हूं।

राजनीति में आने से पहले, सुनक का एक समृद्ध व्यावसायिक कैरियर था।

वह 2010 में बड़ी निवेश फर्म थेलेम पार्टनर्स के सह-संस्थापक थे

और कैटमारन वेंचर्स के निदेशक के रूप में कार्य किया।

वह खुद को हिंदू मानते हैं और 2017 से उन्होंने कॉमन्स में भगवद गीता की शपथ ली है।

यूके सरकार में दूसरे सबसे प्रमुख पद के रूप में, राजकोष के चांसलर, ऋषि सुनक इस पद को धारण करने वाले भारतीय मूल के पहले राजनेता हैं।

वह यूके में इस पद पर नियुक्त होने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी हैं।

उन्होंने 2014 में कंजर्वेटिव पार्टी के चुनावी अभियानों में शामिल होने का फैसला करने से पहले एक स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया।

जब से उन्होंने पहली बार 2014 में यूके की राजनीति में प्रवेश किया, सुनक एक उभरता हुआ व्यक्ति रहा है।

अपनी उद्यमशीलता की प्रकृति के कारण, उन्होंने कम समय में काफी प्रगति की है, 2017 और 2019 में यूके के आम चुनावों में रिचमंड (यॉर्क) सीट जीतकर 2015 और 2016 की तुलना में जीत के बड़े अंतर से जीत हासिल की है।

ट्रेजरी के मुख्य सचिव के रूप में नामित होने से पहले, उन्होंने पहले स्थानीय सरकार के लिए संसदीय अवर सचिव के रूप में कार्य किया। वह वर्तमान में यूके सरकार में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण पद, राजकोष के चांसलर हैं।

राजकोष के अगले कुलाधिपति के पद के लिए। 13 फरवरी 2020

ऋषि सनक, एक युवा, करिश्माई और प्रतिभाशाली मंत्री, जिन्हें कई विश्लेषकों द्वारा संभावित प्रधान मंत्री के रूप में देखा जाता है, पीएम जॉनसन के पसंदीदा और निकटतम कैबिनेट सदस्यों में से एक हैं।

उन्होंने 5 जुलाई, 2022 को ट्विटर पर राजकोष के कुलाधिपति (वित्त मंत्री) के रूप में अपना इस्तीफा पत्र पोस्ट किया।

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भारत पाकिस्तान विवाद कोई नयी बात नहीं है।
आजादी के बाद से हिदोनों देशों के बिच कोई न कोई विवाद चलता रहता है।

भारत सरकार जम्मू और कश्मीर राज्य के लगभग 60% हिस्से पर प्रशासन करती है

और अपने इस रुख पर स्पष्ट है की “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

राज्य के आधिकारिक नक्शा में जो भारत सरकार द्वारा अनुमोदित(Approved) है,

भारतीय क्षेत्र के हिस्से के रूप में गिलगित-बाल्टिस्तान, आज़ाद कश्मीर और अक्साई चिन सहित पूरे जम्मू और कश्मीर राज्य को दर्शाया गया है।

भारत सरकार के अनुसार विलय(merger) पत्र एक कानूनी कार्य था

जिसे बिना किसी छल(Fraud) या जबरदस्ती के निष्पादित(Execution) किया गया था।

पाकिस्तान के अधिकारी 1933 के पाकिस्तान घोषणा पत्र का हवाला देते हैं

और दावा करते हैं कि कश्मीर उन भारतीय इकाइयों में से एक है

जिन्हें भारत से अलग होकर पाकिस्तान में शामिल होना था।

पाकिस्तान का दावा है कि भारत में कश्मीर का विलय असंवैधानिक था

क्योंकि उसने पाकिस्तान और जम्मू -कश्मीर की रियासत के बीच समझौते’ की शर्तों का उल्लंघन किया था।

इससे भारत पाकिस्तान विवाद को हवा मिलती है।

पाकिस्तान का गठन टू नेशन थ्योरी के आधार पर हुआ था।

चूंकि कश्मीर घाटी में रहने वाले ज्यादातर लोग मुसलमान हैं अंग्रेजों की फूट डालों और राज करो की निति के परिणाम स्वरूप 14 अगस्त 1947 को भारतपाक विभाजन के साथ पाकिस्तान को स्वतंत्रता प्राप्त हुई,

इसके ठीक एक दिन बाद 15 अगस्त 1947 के दिन भारत को स्वतंत्रता मिली थी।

भारत पकिस्तान विवाद के बिच असहमति का इतिहास (history of disagreement between India and Pakistan)

1947 में, इससे पहले कि ब्रिटिश सरकार अपने औपनिवेशिक(colonial) अधिकार वापस लेते,

ब्रिटिश सरकार ने भारतीय उपमहाद्वीप को दो राज्यों में विभाजित किया,

जो मुख्यतः धार्मिक जनसांख्यिकी पर आधारित था ।

मुख्य रूप से मुस्लिम राष्ट्र, पाकिस्तान का डोमिनियन, जो 14 अगस्त, 1947 को बनाया गया था

और हिंदू बहुसंखयक राज्य के रूप में भारत संघ का गठन 15 अगस्त, 1947 को हुआ था।

यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जनसंख्या स्थानान्तरण(transfer) के सबसे बड़े उदाहरणों में से एक था ।

विभाजन के परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए।

लगभग 5 मिलियन से अधिक हिंदू और सिख भारत चले गए जो मुख्य रूप से पश्चिम पंजाब से थे

और लगभग 6 मिलियन मुसलमान भारत से वर्तमान पाकिस्तान में चले गए।

गलत तरीके से किए गए इस स्थानांतरण के परिणामस्वरूप हिंसक सांप्रदायिक(communal) विवाद हुए जिसमे लगभग 500,000 लोग मारे गए ।

तीन बड़े संघर्षों के बाद भी कश्मीर की अंतर्राष्ट्रीय सीमा को लेकर दोनों देशों के बीच दुश्मनी बरकरार है।

माना जाता है कि पिछले 20 वर्षों में उग्रवाद के परिणामस्वरूप भारत पाकिस्तान विवाद में 47,000 लोग मारे गए हैं।

हालाँकि, कश्मीर क्षेत्र में राजनीतिक अशांति का इतिहास भारत पाकिस्तान विवाद से पहले का है।

भारत पाकिस्तान विवाद

भारत पाकिस्तान विवाद का एक प्राचीन अतीत : (An ancient past )


प्राचीन अतीत के संघर्ष का एक लंबा इतिहास है, जैसा कि कश्मीर क्षेत्र के इतिहास के गहन शोध से देखा जा सकता है।

यह भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र राज्य होने से पहले अस्तित्व में था।

प्राचीन हिंदू पौराणिक कथाएं कश्मीर घाटी के संदर्भों से भरी हुई हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन कश्मीर पर कई राजाओं ने बहुत लंबे समय तक शासन किया था।

पहला राजा, एडगोनंद, 4249 ईसा पूर्व में सत्ता में आया ।

भारत -पाकिस्तान के बीच मुख्य विवाद : (Main dispute between India and Pakistan )सिंधु जल समझौता और विवाद : (Indus Water Treaty and Disputes )

जब 1947 को भारत आजाद हुआ तो भारत का पाकिस्तान के साथ पानी को लेकर विवाद शुरू हो गया ।

क्योकि 1948 में पाकिस्तान जाने वाले पानी पर भारत ने रोक लगा दी,

जिससे पाकिस्तान में पानी की कमी होना शुरू हो गयी ।

उसके बाद भारत व पाकिस्तान के बीच पानी को लेकर समझोता हुआ।

1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है।
भारत की 6 नदियों के बीच समझौता तय हुआ , जो भारत से पाकिस्तान जाती है।

3 पूर्वी नदियों (रावी, व्यास और सतलज) के पानी पर भारत को पूरा हक दिया गया।

बाकी 3 पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) के पानी के बहाव को बिना बाधा पाकिस्तान को देना था ।

संधि के मुताबिक भारत में पश्चिमी नदियों के पानी का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारत पकिस्तान विवाद का कश्मीर मुद्दा : (India-Pakistan Kashmir issue)

24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी कबाइलियों के जम्मू कश्मीर पर आक्रमण के बाद से ही

कश्मीर मुद्दा भारत, पाकिस्तान के बीच बना हुआ है।

जो भारत पकिस्तान विवाद की मुख्य वजह है।

इस हमले के बाद जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने जम्मू कश्मीर को भारत में विलय कराने का फैसला किया।

जिसके बाद भारत और पकिस्तान के बीच आमने – सामने से युद्ध शुरू हो गया।

भारत इस मुद्दे को लेकर संयुक्त राष्ट्र गया , जहां संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करते हुए युद्ध विराम का ऐलान किया।

लेकिन पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू कश्मीर भूभाग पर भारत को नियंत्रण नहीं मिल सका।
इस युद्ध के बाद से ही एक ओर जहां भारत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को अपना अभिन्न अंग बताते हुए वापस लौटाने की बात कहता है

तो वहीं पाकिस्तान की मंशा ये है कि वो बाकी के कश्मीर पर भी अपना कब्ज़ा कर ले ।

कश्मीर में चरमपंथी उभार – कश्मीर घाटी में चरमपंथी उभार 1989 से दिख रहा है।

कुछ इस्लामिक चरमपंथी गुटों ने कश्मीर को भारत से आज़ाद करने और पाकिस्तान में शमिल किए जाने के लिए विद्रोह शुरू किया। उस दौर से शुरू ये विद्रोह आज भी घाटी में देखने को मिलता रहता है।

हालाँकि ये पूरी दुनिया को मालूम है कि कश्मीर में आज़ादी की मांग करने वाले इन इस्लामिक चरमपंथी गुटों के पीछे पाकिस्तान का हाथ है जो उन्हें पैसे और हथियार दोनों मुहैया कराता रहा है।

सर क्रीक विवाद : (Sir Creek controversy)

क्रीक मामले पर विवाद 1960 के दशक में शुरू हुआ था ।

सर क्रीक विवाद दरअसल 60 किलोमीटर लंबी दलदली ज़मीन का विवाद है।

जो भारतीय राज्य गुजरात और पाकिस्तान के राज्य सिंध के बीच स्थित है।

सर क्रीक पानी के कटाव के कारण बना है ,और यहां ज्वार भाटे के कारण यह तय नहीं होता कि कितने हिस्सों में पानी रहेगा और कितने में नहीं।

आजादी मिलने के बाद पाकिस्तान ने क्रीक खाड़ी पर अपना हक़ जता दिया।

इस पर भारत ने एक प्रस्ताव तैयार किया जिसमें समुद्र में कच्छ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक सीधी रेखा खींची गयी और कहा कि इसे ही सीमारेखा मान लेना चाहिए।

यह प्रस्ताव पाकिस्तान ने ठुकरा दिया, क्योंकि इसमें 90 फीसदी हिस्सा भारत को मिल रहा था.

सियाचीन विवाद : (siachen dispute)

साल 1972 के शिमला समझौते में सियाचिन इलाके को बेजान और बंजर करार कर दिया गया था।

यानी यह इलाका इंसानों के रहने के लायक नहीं है।

लेकिन इस समझौते में दोनो के बीच में सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था।

इस समझोते में यह नहीं बताया गया था की , सियाचिन में भारत और पाकिस्तान की सीमा कहाँ होगी। परिणाम स्वरूप पाकिस्तान इस पर अपना हक़ जताने लग गया।

इस ग्लेशियर के ऊपरी भाग पर भारत का और निचले भाग पर पाकिस्तान का कव्जा है।

आपको बता दें, 1984 में पाकिस्तान सियाचिन पर कब्जे की तैयारी में था।

लेकिन सही समय पर इसकी जानकारी होने के बाद सेना ने ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया ।

13 अप्रैल 1984 को सियाचिन ग्लेशियर पर भारत ने कब्जा कर लिया।

इससे पहले इस क्षेत्र में सिर्फ पर्वतारोही आते थे।

आतंकवाद : (Terrorism)

आतंकवाद की घटना पूरी दुनिया में कही न कही होती रहती है।

इन घटनाओं का सम्बन्ध कही न कही पाकिस्तान से जुड़ा हुआ रहता है।

हर आतांकवादी घटना में पाकिस्तान का हाथ दिखाई देता है।

पाकिस्तान के मंत्री तक इस बात को क़ुबूल कर चुके हैं, कि उनके यहां आतंकी संगठन सक्रिय हैं।

ऐसे में भारत और अन्य देश, पाकिस्तान की पनाह में पल रहे आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।

दाऊद इब्राहिम : (Dawood Ibrahim)


भारत का दुश्मन नंबर वन माना जाने वाला ,दाऊद इब्राहिम 1993 बम ब्लास्ट के बाद से ही मोस्ट वांटेड रहा है।

पिछले साल भारत ने यूएन में भी इसके सबूत दिए थे, कि दाऊद पाकिस्तान में है

और उसे पाकिस्तान सरकार की संरक्षण प्राप्त है। आपको बता दें, भारत का मोस्ट वांटेड भगोड़ा डॉन 1993 के मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी है। जिसमें करीब 260 लोग मारे गए थे।

करीब 24 साल पहले भारत से फरार हो चुका दाऊद तब से पाकिस्तान में रहकर अपना अंडरवर्ल्ड साम्राज्य चला रहा है। लेकिन पाकिस्तान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि दाऊद उसके देश में है।

भारत – पाकिस्तान सीमा विवाद: (India- Pakistan border dispute)

भारत और पकिस्तान की सीमाएं कुल 4 राज्यों से होकर गुज़रतीं हैं,

जिनमें पंजाब, गुजरात, और राजस्थान के साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य भी शामिल है।

पाकिस्तान के साथ गुजरात राज्य की सीमा पर स्थित सर क्रीक सीमा रेखा को लेकर विवाद रहा है।

सर क्रीक सीमा रेखा न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा का एक बहुत अहम् हिस्सा है बल्कि ये गुजरात राज्य की सुरक्षा के संदर्भ में भी बहुत महत्त्वपूर्ण है।

भारत और पाकिस्तान का कश्मीर संघर्ष : (Kashmir conflict between India and Pakistan)

महाराजा हरि सिंह नाम के एक हिंदू राजा ने कश्मीर की देखरेख की, जो एक महत्वपूर्ण मुस्लिम आबादी वाली रियासत थी। भारत के विभाजन के समय राज्य के राजा महाराजा हरि सिंह, अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहते थे।

और भारत के डोमिनियन या पाकिस्तान के डोमिनियन में शामिल नहीं होना चाहते थे।

वह चाहता था कि उसकी रियासत को भारत और पाकिस्तान दोनों एक स्वतंत्र, तटस्थ राष्ट्र के रूप में स्वीकार करें। पाकिस्तान के साथ गतिरोध समझौते के बावजूद पाकिस्तान ने अपनी सेना को कश्मीर भेजा ।

पाकिस्तानी अर्धसैनिक बलों द्वारा समर्थित, पश्तून महसूद कबाइलियों ने अक्टूबर 1947 में कश्मीर पर कब्जा करने के लिए कोड नाम “ऑपरेशन गुलमर्ग” के तहत कश्मीर पर आक्रमण किया। उन्होंने 25 अक्टूबर को बारामूला पर कब्जा कर लिया। महाराजा ने अब भारत की ओर रुख किया और भारत से कश्मीर की रक्षा के लिए सेना की मांग की।

क्योंकि उन्हें पता था कि पाकिस्तानी आक्रमण के परिणामस्वरूप पाकिस्तान को क्षेत्र हासिल हो जाएगा।

हालांकि भारत के कार्यवाहक गवर्नर जनरल, बर्मा के लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को अपनी सेना भेजने से पहले महाराजा को भारत में शामिल होने की सिफारिश की, भारतीय प्रधान मंत्री नेहरू सैनिकों को भेजने के लिए तैयार थे। इसके आलोक में, 26 अक्टूबर, 1947 को उन्होंने कश्मीर का भारत संघ में विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। 26 अक्टूबर, 1947 को, तत्काल स्थिति को ध्यान में रखते हुए, उन्होंने भारत संघ में भारत की सदस्यता प्रदान करने वाले दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर के बाद तत्काल प्रभाव से भारत ने कश्मीर की सहायता के लिए अपनी सेना भेज दी जो पाकिस्तानी आक्रमण को रोकने में कामयाब रहे और उसे पीछे हटाने पर मजबूर कर दिया।

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भारत पकिस्तान विवाद क्या है

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इलेक्ट्रिक वाहन क्या है और हमें इसकी आवश्यकता क्यों है(What is electric vehicle and why we need it) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%87%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%87%e0%a4%b2%e0%a5%87%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b9%e0%a4%a8-%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0%a4%b9%e0%a5%88/#respond Thu, 25 Aug 2022 13:32:43 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=388 इलेक्ट्रिक वाहन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बढ़ते प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है। बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और आर्थिक परिस्थितियों का विकास करने के कारण शहरीकरण बढ़ रहा है। लोग काम की तलाश में अपने शहरों और गांवों को छोड़  कर दूसरी जगह काम करने के लिए जाते है। इसी के […]

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इलेक्ट्रिक वाहन का ज्यादा इस्तेमाल करने से बढ़ते प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और आर्थिक परिस्थितियों का विकास करने के कारण शहरीकरण बढ़ रहा है।

लोग काम की तलाश में अपने शहरों और गांवों को छोड़  कर दूसरी जगह काम करने के लिए जाते है।

इसी के कारण परिवहन और ऊर्जा  के बुनियादी ढांचे की मांग बढ़ती है।

इसी वजह से शहर में अधिक भीड़ हो जाती है और शहर प्रदूषित हो जाते हैं।

बदलता मौसम (Changing weather)

जीवाश्म ईंधन के बढ़ती उपयोग के कारण ग्लोबल वार्मिंग में बहुत तेजी से वृद्धि हो रही है।

आपको बता दें कि भारत ने वर्ष 2030 तक ग्रीनहाउस गैस में  उत्सर्जन को 2005 के स्तर से

33 से 35 प्रतिशत तक कम करने का संकल्प लिया है।

और यह तभी संभव होगा जब अधिक से अधिक लोग इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग  करेंगे ।

इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को सब्सिडी और विनियमों(regulations) के माध्यम से

दुनिया भर की सरकारों द्वारा समर्थित किया जा रहा है।

अब ग्राहक जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों की कम मांग कर रहे हैं ।

 जो की पर्यावरण को नष्ट कर रहे हैं ।

पर्यावरण के अनुकूल CO2 उत्सर्जन में कमी ( Environmentally friendly CO2 emissions reductions)

2030 तक, इलेक्ट्रिक वाहन पर स्विच करने से भारत अपने CO2 उत्सर्जन में

लगभग एक गीगाटन की कटौती कर सकेगा।

सड़क पर हर इलेक्ट्रिक वाहन आने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक वायु प्रदूषण को कम करने में योगदान देगी। 

ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी पर हर किसी का जीवन प्रभावित रहा है।

जिससे अंतर्राष्ट्रीय विवाद और राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है।

आप इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए स्विच कर सकते है,

इसमें  कोई निकास उत्सर्जन नहीं है

और यह  हमारे पर्यावरण को धुंध और जलवायु परिवर्तन से बचाने में मदद करता है।

पर्यावरणीय नुकसान को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए

यह एक शानदार विचार है।

पर्यावरण की बेहतर गुणवत्ता को बनाये रखने, कम स्वास्थ्य समस्याएं

और खतरनाक प्रदूषकों को काम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन की पहल की गयी है।  

इलेक्ट्रिक वाहन

                               

इलेक्ट्रिक वाहन: चार्ज करने के लिए सुविधाजनक (Convenient to charging)

पहले ईवीएस की अत्यधिक उच्च प्रारंभिक लागत, (Extremely high initial cost of first EVs)

तब बहुत अधिक प्रारंभिक लागत सीमित बैटरी रेंज, धीमी गति और

पर्यावरण की कम चिंताओं के कारण, उद्योग ने गति नहीं पकड़ी।

हालांकि, पिछले दस वर्षो में, मूल उपकरण निर्माताओं, उपभोक्ताओं

और सरकारों के बीच इलेक्ट्रिक वाहन में व्यापक रुचि रही है।

जिससे इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण और बैटरी प्रौद्योगिकी में महत्वपूर्ण निवेश हुए है

और कई देशों में लाखों वाहनों की बिक्री भी हुई है।

इलेक्ट्रिक वाहन के बारे में कुछ और जानकारियां ( Some more information about Electric Vehicles)


इसको लॉन्च करने के लिए सभी प्रमुख भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय उपकरण निर्माताओं ने

इलेक्ट्रिक वाहन में निवेश किया है जिससे इलेक्ट्रिक वाहन की मांग में वृद्धि हुई है।

और इससे यूनिकॉर्न का निर्माण हुआ है। टेस्ला दुनिया की सबसे सफल ईवी कंपनियों / ब्रांडों में से एक रही है।

लेकिन अन्य कंपनियों ने भी इलेक्ट्रिक वाहन पेश किए हैं जिनकी मांग ग्राहकों के द्वारा की जाती है

जैसे मर्सिडीज बेंज, टाटा, एमजी, जीएम, ऑडी, हुंडई, निसान, बीएमडब्ल्यू ।

इस बात से संदेह नहीं किया जा सकता है कि इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) परिवहन के लिए भविष्य का रास्ता साफ़ हैं,

और बैटरी रसायन विज्ञान में नई तकनीकी उपयोग किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण लागत(Significant cost): किसी भी वाहन के चलने और रखरखाव की लागत , कुल लागत का एक बड़ा हिस्सा होता है।

अब यह व्यापक रूप से ज्ञात है कि इलेक्ट्रिक वाहन खरीद दार ईंधन/ऊर्जा और रखरखाव पर काफी कम खर्च करते हैं।

क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहन में गैसोलीन इंजन की तुलना में कम पुर्जे होते हैं,

जिससे इसे संचालित करना आसान हो जाता है।

इसलिए, इंजन ऑयल को बदलने के बारे में चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इस प्रकार कम लागत पर इलेक्ट्रिक कारों को बनाए रखना और आसान हो जाता है।

चूंकि ऊर्जा का एक प्रमुख स्रोत तेल है।

ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होने के कारण ये अभी भी कई समस्याओं का कारण बना हुआ है।

क्योकि परिवहन इस पर निर्भर करता है।

लेकिन हर कोई इलेक्ट्रिक कार से अधिक कुशलता और सफाई से यात्रा कर सकता है।

सड़क पर इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ने से भविष्य में लाखों बैरल तेल की आवश्यकता घटेगी।

जिससे हमको एक अच्छा वातावरण मिलेगा।

इलेक्ट्रिक वाहन को ड्राइव करना आसान होता है (Electric vehicle is easier to drive)


इलेक्ट्रिक वाहनों में गियर की अनुपस्थिति के कारण ड्राइविंग की स्थिति को और ज्यादा सुरक्षित बनाया गया है।

शांत, सुविधाजनक, सुरक्षित और शोर-रहित सवारी को नियंत्रित करने

और उसका आनंद लेने के लिए, बस आपको गति बढ़ाने, ब्रेक लगाने और स्टीयर करने की जरुरत है।

इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का एक और फायदा कम शोर करता है।

आंतरिक दहन इंजन और उनके निकास प्रणालियों की तुलना में, इलेक्ट्रिक मोटर बहुत शांत होता हैं।

कई अध्ययनों ने वाहन शोर के हानिकारक प्रभावों को दिखाया है

जिसमें चिंता, अवसाद, उच्च रक्तचाप, हृदय की स्थिति, स्ट्रोक और अन्य स्थिति शामिल है।

ध्वनि प्रदूषण के परिणामस्वरूप लोगों में गंभीर बीमारियों के लक्षण सामने आ रहे हैं।
गैसोलीन या डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन का उपयोग करने के बजाय, इलेक्ट्रिक वाहन बिजली का उपयोग करके

अपनी बैटरी चार्ज करते हैं।

उपभोक्ताओं के लिए सीएनजी स्टेशनों या गैसोलीन पंपों पर लाइन में खड़े होने के बजाय

नजदीकी स्टेशन पर बैटरी चार्ज करना आसान होगा।

क्योंकि अब अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी चार्जिंग स्टेशन उभर रहे हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन मालिक चार्जिंग उपकरण का उपयोग करके घर पर अपनी बैटरी चार्ज कर सकते है।

इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने या पट्टे पर देने से कर(tax) बचत में लाभ मिल सकता है।

यदि आपके व्यवसाय के नाम पर एक इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत है,

तो आप अपने आयकर को कम करने के लिए प्रथम वर्ष के 40% के मूल्यह्रास भत्ते का लाभ उठा सकते हैं।

सरकार भी इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर आपके निर्णय के पक्ष में है।

अगर आप पहले ही एक ईवी पॉलिसी पेश कर चुके है

जिसके तहत आप 1.5 लाख रुपये तक के अतिरिक्त लाभ उठा सकते हैं।

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन की आवश्यकता क्यों है? (Why electric vehicles are needed in India)


भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार में सरकारी सहायता और निजी निवेश के साथ

विश्व स्तर पर सबसे बड़े और उच्चतम क्षमता वाले बाजारों में से एक बनने की क्षमता है।

इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल की शुरुआत के साथ मोटर वाहन क्षेत्र का विकास हो रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग वायु प्रदूषण को काफी कम कर सकता है।

क्योंकि वे वातावरण में कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं।

जिससे वे लोगों के बीच वाहन का एक लोकप्रिय विकल्प बन जाते हैं।

बैटरी के बुनियादी ढांचे और मूल्य निर्धारण में सुधार के साथ-साथ

सरकार की सहायक नीतियों के कारण इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री आज बढ़ रही है।

सीईईडब्ल्यू द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, अप्रैल 2021 से नवंबर 2021 की अवधि के लिए

भारत में कुल पंजीकृत इलेक्ट्रिक वाहन बिक्री 1.98 लाख या उससे अधिक है।

इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार सर्वेक्षण(Market survey of electric vehicle)

भारी उद्योग(heavy industry) और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय द्वारा 2015 में FAME (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चर ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) योजना के लागू होने के बाद इलेक्ट्रिक वाहन का बाजार और अधिक बढ़ रहा है।

2020 में भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का मूल्य 5.47 बिलियन अमरीकी डॉलर था।

और 2026 तक 17.01 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

जो पूर्वानुमान अवधि (2021-2026) पर 23.47% की सीएजीआर से बढ़ रहा है।

स्वदेशी इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए,

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक गाड़ी उत्पादकों और खरीदारों को टैक्स ब्रेक और सब्सिडी दी है।

विद्युत मंत्रालय के एक स्पष्टीकरण के अनुसार,

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन चलाने के लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है।

सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ी चार्जिंग स्टेशनों को बिजली खरीदने के बजाय एक सेवा के रूप में देखती है।

यही कारण है कि इसे संचालित करने के लिए लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती है।

इसके अतिरिक्त, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार,

सभी बैटरी से चलने वाले, इथेनॉल- और मेथनॉल से चलने वाले परिवहन वाहनों को

लाइसेंस की आवश्यकता से छूट दी गई थी।   

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जैविक खेती क्या है। हम इसे क्यों करते हैं(What is  Organic farming .Why we do it)? https://learnwithvikas.com/%e0%a4%9c%e0%a5%88%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%9c%e0%a5%88%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%95-%e0%a4%96%e0%a5%87%e0%a4%a4%e0%a5%80/#respond Mon, 01 Aug 2022 05:07:51 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=293 जैविक खेती क्या है

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जैविक खेती की कई अलग-अलग परिभाषाएँ और व्याख्याएँ हैं,

लेकिन वे सभी एक ऐसी प्रणाली की ओर इशारा करते हैं

जो बाहरी कृषि इनपुट्स के बजाय पारिस्थितिकी(ecology) तंत्र(Mechanism) प्रबंधन पर निर्भर करती है।

जैविक खेती कृत्रिम उर्वरकों, कीटनाशकों, पशु चिकित्सा दवाओं,

आनुवंशिक रूप से इंजीनियर्ड बीज(genetically engineered seeds) और नस्लों, संरक्षक, योजक,

और विकिरण जैसे सिंथेटिक इनपुट को हटाकर, सिस्टम संभावित पर्यावरणीय(environmental)

और सामाजिक प्रभाव को ध्यान में रखता है।

सिंथेटिक इनपुट  के स्थान पर, विशिष्ट प्रबंधन तकनीकों का उपयोग

कीटों और रोगों को नियंत्रित करने, दीर्घकालिक मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने

और सुधारने के लिए किया जाता है।

जैविक खेती

क्या जैविक खेती  सभी को समुचित भोजन उपलब्ध करा सकते हैं (Can organic farming provide enough food for all?)

खाद्य सुरक्षा(food safety) :  खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भोजन तक पहुंच उतनी ही महत्वपूर्ण है

जितनी इसे उत्पन्न करने की क्षमता है ।

मुद्दा उन लोगों तक भोजन पहुंचाना है, जिन्हें इसकी आवश्यकता है,

क्योंकि विश्व स्तर पर इतनी मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन होता है कि

पूरी दुनिया की आबादी का पेट भर सके।

जैविक किसान बाहरी इनपुट या खाद्य वितरण प्रणाली पर निर्भर रहने के बजाय

स्थानीय संसाधनों का प्रबंधन करके खाद्य उत्पादन बढ़ा सकते हैं।

यह रेखांकित किया जाना चाहिए कि यद्यपि प्राकृतिक संसाधनों का जैविक प्रबंधन

बाहरी कृषि इनपुट्स की जगह ले सकता है।

जैविक खेतों में पोषक तत्वों और प्रजातियों के बीच स्थान के लिए

प्रतिस्पर्धा को अनुकूलित (customized )करने के लिए विभिन्न प्रकार की फसलें उगाते हैं:

इससे इन सभी में एक साथ कम उत्पादन या उपज विफलता की संभावना कम होती है।

इसका स्थानीय खाद्य सुरक्षा और लचीलेपन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

वर्षा आधारित प्रणालियों में, जैविक कृषि ने पर्यावरणीय दबाव की

परिस्थितियों में पारंपरिक कृषि प्रणालियों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

सही परिस्थितियों में, जैविक कृषि से बाजार की वापसी संभावित रूप से

पारिवारिक आय में वृद्धि करके स्थानीय खाद्य सुरक्षा में योगदान कर सकती है।

जैविक खाद्य पदार्थ की कीमत नियमित खाद्य पदार्थ की तुलना में अधिक क्यों होती है(Why do organic foods cost more than regular ones?)

कई कारणों से, प्रमाणित जैविक उत्पाद आम तौर पर

अपने पारंपरिक समकक्षों (जिनकी कीमतों में गिरावट आ रही है) की तुलना में अधिक महंगे हैं:

इसका प्रमुख कारन मांग की तुलना में जैविक खाद्य की सीमित आपूर्ति है;

प्रति यूनिट उत्पादन छमता, उच्च श्रम इनपुट और व्यवसाय की अधिक विविधता के कारण

जैविक खाद्य उत्पादन लागत अक्सर अधिक होती है;

जैविक उत्पादों के लिए मार्केटिंग और वितरण श्रृंखला अपेक्षाकृत असमर्थ है

और अपेक्षाकृत कम मात्रा के कारण लागत अधिक है।

जैविक उत्पाद मार्केटिंग और आपूर्ति श्रृंखला आम तौर पर कम प्रभावी होती है,

और आम तौर पर कम मात्रा के कारण, लागत अधिक होती है।

तकनीकी प्रगति और पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं (economies of scale) को जैविक प्रोडक्ट के उत्पादन,

प्रोसेसिंग, वितरण और मार्केटिंग की लागत को कम करना चाहिए

क्योंकि जैविक खाद्य और प्रोडक्ट की मांग बढ़ती जा रही है ।

जैविक खाद्य पदार्थ की कीमतों में न केवल खाद्य उत्पादन की लागत शामिल है,

बल्कि कई अन्य कारक भी शामिल हैं जो पारंपरिक भोजन की कीमत में शामिल नहीं हैं।

ऑर्गेनिक” लेबल वाले आइटम वास्तव में क्या हैं(What exactly are items labelled “organic)?

एक प्रमानिक एजेंसी द्वारा जैविक मानदंड के अनुपालन(compliance) की पुष्टि होने के बाद

उत्पाद को एक लेबल दिया जाता है।

सर्टिफिकेशन अथॉरिटी के आधार पर, यह लेबल अलग दिख सकता है,

लेकिन इसकी विवेचन इस बात की गारंटी के रूप में की जा सकती है कि

किसी प्रोडक्ट का उत्पादन खेत से बाजार तक “जैविक” उत्पादों के लिए

सभी आवश्यकता के अनुसार किया गया है।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एक जैविक लेबल निर्माण प्रक्रिया को कवर करता है,

यह गारंटी देता है कि उत्पाद परिवेश की दृष्टि से जिम्मेदार तरीके से बनाया

और संसाधित किया गया था।

उत्पाद की गुण के दावे के विपरीत, जैविक लेबल उत्पादन तकनीक को संदर्भित(referenced) करता है।

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बच्चों में असुरक्षा की भावना क्यों होती है ? इसे कैसे दूर किया जा सकता है ?(Why do children feel insecure? How can it be removed?) https://learnwithvikas.com/%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%85%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%be/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%ac%e0%a4%9a%e0%a5%8d%e0%a4%9a%e0%a5%8b%e0%a4%82-%e0%a4%ae%e0%a5%87%e0%a4%82-%e0%a4%85%e0%a4%b8%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a4%95%e0%a5%8d%e0%a4%b7%e0%a4%be/#respond Mon, 25 Jul 2022 13:47:26 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=251 बच्चों में असुरक्षा की भावना आज के समय में आम बात हो गयी है। जब आपके बच्चे में भय और नकारात्मक आत्म-चर्चा होने लगती है, तो दुख की बात है कि कोई त्वरित समाधान नहीं मिल पाता है। माता-पिता केवल वही कर सकते हैं जो वे अपने पास मौजूद संसाधनों के साथ कर सकते हैं […]

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बच्चों में असुरक्षा की भावना आज के समय में आम बात हो गयी है।

जब आपके बच्चे में भय और नकारात्मक आत्म-चर्चा होने लगती है,

तो दुख की बात है कि कोई त्वरित समाधान नहीं मिल पाता है।

माता-पिता केवल वही कर सकते हैं जो वे अपने पास मौजूद संसाधनों के साथ कर सकते हैं ।

ऐसे कई पहलू हैं जिनकी जांच की जा सकती है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि

कौन से तत्व बच्चे की भावना को प्रभावित कर रहे हैं।

माता-पिता को अपने बच्चों में असुरक्षा और नकारात्मक  को समझने की आवश्यकता है(Parents need to understand their children’s insecurities and negatives)

क्या आपके बच्चे के डर के कारणों को समझना आवश्यक नहीं होगा

ताकि वे उनका सामना कर सकें और संघर्ष करने से बच सकें

जैसा कि आपने अपने वयस्क जीवन में किया था?

अपने बच्चों के साथ चर्चा करने के लिए उस व्यक्ति से बेहतर कौन है जिसने उन्हें जन्म दिया हैं?

आप अपने बच्चे को नकारात्मक होने से बचाओ

जब आप उन्हें बेकाबू और आत्म-संदेह की चट्टान के करीब और करीब आते हुए देखें।

बच्चों पर सबसे ज्यादा असर उनके माता-पिता का होता है।

इसको समझने से आपके बच्चे के साथ आपके सम्बन्ध में सुधार होगा

और आपको जीवन में चुनौतियों के माध्यम से उनका मार्गदर्शन करने के लिए ज्ञान प्रदान करेगा।

बच्चों में असुरक्षा

एक भयभीत बच्चे को कैसे संभालें (How to Handle a Fearful Child)?

अपने पालनपोषण का मूल्यांकन करें और यदि आवश्यक हो तो क्षमा करें(Evaluate Your Parenting and Say Sorry if Necessary).

नकारात्मकता का एक स्रोत होता है। इसे पहचानने की जरुरत है ।

आपको यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी पेरेंटिंग शैली पर संक्षेप में विचार करने की

आवश्यकता है कि आप सही है या नहीं।

यहां तक कि सबसे ज्यादा प्यार करने वाले माता-पिता का भी उनके बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है।

इसलिए इसे पढ़ने के बाद खुद को दोषी महसूस करने से बचें।

मुझे उम्मीद है कि ये टिप्पणियां आपको इस बात पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती हैं

कि आप अपने बच्चे की खातिर कैसे विकास कर सकते हैं।

एक महान माता-पिता बनने के सबसे कठिन पहलुओं में से एक नम्रता है।

जब आप नियमित रूप से आत्म-चिंतन कर सकते हैं कि

आपका पालन-पोषण आपके बच्चों को कैसे प्रभावित कर रहा है,

तो आप पहले ही सफल हो चुके हैं। हालाँकि, इससे भी आगे जाने के लिए,

और अपने बच्चे को निराश करने के लिए खेद व्यक्त करें.

अपने डर को व्यक्त करें(Express Your Fears)

अपने बच्चों को कुछ आत्मविश्वास के तरीके  बताये जो आपके पास हैं

और अपने स्वयं के आत्मविश्वास को सुधारने के लिए आप जो कदम उठाते हैं।

हमारे बच्चों में आत्मविश्वास पैदा करने का कोई निश्चित तरीका नहीं है,

लेकिन हम असुरक्षाओं का सामना करने और उन पर काबू पाने के लिए बेहतरीन मॉडल बना सकते हैं।

विनम्रता प्रदर्शित करें(Display humility)

आत्मविश्वास से पहले नम्रता की मिसाल जरूरी है।

विनम्रता सबसे अच्छा तब काम करती है जब आपके बच्चे ने वास्तव में कुछ हासिल किया हो।

अपने बच्चे को आत्मविश्वास से कुछ हासिल करने में मदद करें।

जब हम अपने बच्चों में सहानुभूति और करुणा पैदा करते हैं,

तो ये गुण स्वयं और दूसरों के प्रति गहरी जागरूकता में विकसित होते हैं।

विनम्रता को लगातार एक जीवन शैली के रूप में तैयार किया जाना चाहिए,

न कि बार-बार, बार-बार उदाहरण के रूप में.

अपने बच्चों को आपको कोशिश करते हुए देखने दे (let your kids watch you try)

मैं अपने बच्चों के साथ ऐसा करना पसंद करता हूं।

मैं लगातार प्रयोग कर रहा हूं, चाहे वह जादू हो, मछली पकड़ना, या कोई नया कौशल सीखना।

मेरे बच्चे मेरी बार-बार विफलताओं को देखते हैं क्योंकि मैं इन क्षेत्रों में कभी भी विशेषज्ञ नहीं बनूंगा।

लेकिन फिर वे मेरे आत्म-आश्वासन में क्रमिक वृद्धि को देखते हैं।

मुझे यह सोचना अच्छा लगता है कि मुझे देखकर,

मेरे बजाय अपने बच्चों को यह सिखाने के लिए कि कैसे आश्वस्त रहें,

वे इस विशेषता को विकसित कर रहे हैं।

बच्चों को यह जानने की जरूरत है कि उपलब्धियां, रूप और क्षमताएं वे नहीं हैं जो उन्हें लायक बनाती हैं।

अपने बच्चे को बच्चा बनने दें (Permit Your Child to Be a Child.)

नकारात्मकता को दूर करने की क्षमता में समय लगता है।

आपके बच्चे को आत्मविश्वास हासिल करने में समय लगता है।

माता-पिता के रूप में हमारी जिम्मेदारी है कि हम उनका समर्थन करें

ताकि वे अपने दम पर समस्या का हल निकलना सीखे ।

जब बच्चे आत्मविश्वास महसूस करने के लिए किसी चीज़ की तलाश कर रहे होते हैं,

तो हम उसे किसी ऐसी चीज़ को खोजने में उनकी सहायता कर सकते हैं

जो उनके बारे में सच्चाई पर आधारित हो और चाहे वे किसी भी चीज़ से गुज़रें, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।

झूठ का मुकाबला करने के लिए सच बोलें (Speak Truth to Counteract the Lies)

अब जब मैं एक वयस्क हूं, तो मैं पूरी तरह से समझ सकता हूं कि

कुछ स्थितियों में मैं जैसा हूं, वैसा क्यों हूं, चाहे वह मेरे पालन-पोषण के कारण हो या मेरे साथ हुई घटनाओं के कारण।

माता-पिता के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे बाहरी दुनिया से सुनने वाले किसी भी झूठ का प्रतिकार करने के लिए

अपने बच्चों में सच्चाई का संचार करें क्योंकि शब्दों का इस बात पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है

कि हम खुद को कैसे समझते हैं। विनम्रता थोपी नहीं जा सकती।

यह महत्वपूर्ण है कि अपमान, बदमाशी और पिटाई को विनम्रता की शिक्षा के साथ भ्रमित न करें।

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भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय त्यौहार-India’s Most Popular National Festivals https://learnwithvikas.com/%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8c%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0/ https://learnwithvikas.com/%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a5%8c%e0%a4%b9%e0%a4%be%e0%a4%b0/#respond Tue, 19 Jul 2022 13:34:37 +0000 https://learnwithvikas.com/?p=205 भारत में उत्सवों की एक विस्तृत विविधता है। इनमें से कई त्यौहार  पूरे देश में मनाए जाते  हैं और कुछ अपने राज्य में । आइए भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय त्योहारों को देखें। दीपावली का त्यौहार (Diwali festival) बिना किसी संदेह के दीपावली भारत में आयोजित होने वाला सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। रोशनी का […]

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भारत में उत्सवों की एक विस्तृत विविधता है।

इनमें से कई त्यौहार  पूरे देश में मनाए जाते  हैं और कुछ अपने राज्य में ।

आइए भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध राष्ट्रीय त्योहारों को देखें।

दीपावली का त्यौहार (Diwali festival)

बिना किसी संदेह के दीपावली भारत में आयोजित होने वाला सबसे प्रसिद्ध त्योहार है।

रोशनी का यह राष्ट्रीय हिंदू त्योहार शरद ऋतु में मनाया जाता है और पूरे देश में मनाया जाता है।

लोग अपने घरों को मोमबत्तियों, मिट्टी के दीयों और रोशनी से सजाते हैं,

पटाखे जलाते हैं, उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और प्रियजनों के साथ सम्मान व्यवहार करते हैं ।

चूंकि यह एक अमावस्या की रात होती है, टिमटिमाते दीपक

और रोशनी पूरे दृश्य को एक अद्भुत गुणवत्ता प्रदान करते हैं।

दिवाली, रावण पर भगवान राम की विजय और 14 साल के वनवास के बाद

अपनी पत्नी के साथ घर वापसी के सम्मान में मनाया जाता है  ।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतिनिधित्व करता है।

भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय त्यौहार(India’s Most Popular National Festivals).

भारतीय त्योहारों की सूची में एक और उल्लेखनीय नाम होली है।

यह वसंत के आगमन और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतिनिधित्व करता है

और इसे प्यार और रंग के त्योहार के रूप में जाना जाता है।

यह पूरे देश में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

आमतौर पर, उत्सव होली से एक रात पहले शुरू होते हैं।

लोग आग के चारों ओर गाते और नृत्य करते हैं।

त्योहार के दिन लोग एक दूसरे को कई तरह के गीले और सूखे रंगों में ढकते हैं।

त्यौहार

नवरात्रि का त्यौहार (festival of navratri)

नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों में से एक है। संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है “नौ रातें”।

जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह उत्सव नौ दिन और रात तक चलता है।

नवरात्रि में देवी शक्ति की कई तरह से पूजा की जाती है।

रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधानों में सजे पुरुष, महिलाएं और बच्चे जीवंत डांडिया रास

और गरबा नृत्य का आनंद लेते हैं जो उत्तर भारत में नवरात्रि समारोह का हिस्सा हैं।

दुर्गा पूजा का त्यौहार (Durga Puja festival)

दुर्गा पूजा देश के सबसे बड़े उत्सवों में से एक है और विशेष रूप से पश्चिम बंगाल,

असम, ओडिशा, त्रिपुरा, झारखंड और बिहार में इसे खूब पसंद किया जाता है।

विशेष रूप से इस अवसर के लिए बनाए गए मंडपों में दुर्गा पूजा के दौरान

दस भुजाओं वाली देवी दुर्गा की विशाल मिट्टी की मूर्तियों की पूजा की जाती है।

लोग तैयार होकर अपनों के साथ कई पंडालों में जाते हैं।

त्योहार के भव्य समापन के रूप में देवी की मूर्ति को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है।

दशहरा का त्यौहार (festival of dussehra)

दशहरे पर नवरात्रि और दुर्गा पूजा का समापन होता है।

यह विजयादशमी के नाम से जाना जाता है और भारतीय त्योहार में एक जाना-माना नाम है।

दशहरा देश भर में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है।

जहां कुछ राज्य इसे रावण पर भगवान राम की जीत को याद करने के लिए मनाते हैं,

वहीं अन्य इसे महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत के रूप में देखते हैं।

जन्माष्टमी (Janmashtami)

भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले भगवान कृष्ण का जन्म जन्माष्टमी के दिन हुआ था।

यह सबसे महत्वपूर्ण हिंदू अवकाश है, और इसे व्यापक रूप से भव्यता और धूमधाम से मनाया जाता है।

इस दिन, भगवान कृष्ण के अनुयायी मंदिरों और अपने घरों में देवता की पूजा करते हैं।

मथुरा और वृंदावन के दो ऐतिहासिक भारतीय स्थान, जहां कृष्ण का जन्म हुआ

और जहाँ  उन्होंने अपने प्रारंभिक वर्ष बिताए, नियमित रूप से नृत्य और मंत्रों के साथ शानदार उत्सव होते हैं।

गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi)

भारत के सभी त्योहारों में गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी का हिंदुओं के लिए विशेष महत्व है।

यह त्योहार बहुचर्चित हिंदू देवता, भगवान गणेश जी के जन्म की याद दिलाता है।

दस दिनों तक चलने वाले रंगारंग कार्यक्रम इस उत्सव को चिह्नित करते हैं।

इसकी शुरुआत घरों और सार्वजनिक मंडपों में कलात्मक रूप से तैयार की गई

गणेश मूर्तियों की स्थापना से होती है।

लोग बहुत उत्साह और उल्लास के साथ देवता की पूजा करते हैं।

मीठी ईद (Eid-ul-Fitr)

मुस्लिम आबादी के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक छुट्टियों में से एक ईद-उल-फितर, या बस ईद है।

यह रमजान के समापन का प्रतीक है, जो उपवास का एक पवित्र महीना है।

यह त्यौहार उस दिन मनाया जाता है जब रात के दौरान एक अर्धचंद्र दिखाई देता है।

ईद मनाने वाले लोग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, दोस्तों और परिवार से मिलने जाते हैं

और उनके साथ भोजन करते हैं।

मीठी सेवइयां संभवत: सबसे प्रसिद्ध ईद का प्रतीक है।

इस दिन, पूरे देश में मस्जिदों और बाजारों को भव्य रूप से सजाया जाता है।

क्रिसमस (Christmas)

क्रिसमस ईसा मसीह के जन्म की याद में मनाया जाता है, इसलिए ईसाइयों के लिए इसका विशेष अर्थ है।

चर्चों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है।

सजावट के साथ क्रिसमस ट्री लोगों के घरों और भारत के सभी बड़े मॉल में भी लगाएजाते है।

स्थानीय चर्चों में प्रार्थना सेवाओं में भाग लेने, उपहारों का आदान-प्रदान करने

और प्रियजनों के साथ भोजन का आनंद लेने के साथ यह दिन मनाया जाता है।

महा शिवरात्रि (Maha Shivratri)

महा शिवरात्रि, जैसा कि त्योहार के नाम से पता चलता है,

एक हिंदू देवता भगवान शिव को श्रद्धांजलि देने का उत्सव है।

यह वार्षिक उत्सव अज्ञानता और अंधकार के खिलाफ जीवन के संघर्ष के रूप में कार्य करता है।

पूरे देश में, लोग महा शिवरात्रि मनाते हैं, जिसे शिव की महान रात के रूप में भी जाना जाता है।

महा शिवरात्रि एकमात्र हिंदू अवकाश है जिसमें किसी भी प्रकार का सांस्कृतिक उत्सव शामिल नहीं होता है।

इसके बजाय, इसमें उपवास, प्रार्थना जप, ध्यान और शिव लिंग पूजा शामिल है।

भक्त पूरी रात जागकर परंपरा के अनुसार पूजा करते हैं।

रक्षाबंधन (Rakshabandhan)

राखी या रक्षाबंधन भाई और बहन के रिश्ते को महत्व देता है।

इस प्रसिद्ध हिंदू त्योहार पर, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं।

बदले में, भाई अपनी बहनों को एक उपहार और ज़रूरत के समय उनकी रक्षा करने का वचन देते हैं।

भाइयों और बहनों के लिए यह उत्सव बहुत महत्वपूर्ण है।

कई बॉलीवुड फिल्मों में भी भाई-बहन के भावनात्मक बंधन को उजागर किया गया है।

ओणम का त्यौहार(Onam Festival)

ओणम राजा महाबली की याद का समय है ।

जो इस समय पृथिवी पर अपने प्रजा को देखने आते है।

नाव दौड़, फूलों की प्रदर्शनी, पूजा, नृत्य, और असाधारण दावतें सभी ओणम समारोह का हिस्सा हैं,

जिसमें बहुत भव्यता और आनंद होता है।

यदि आप इस उत्सव के दौरान केरल में हैं तो शानदार सांप नौका दौड़, हाथी जुलूस,

या करामाती कैकोट्टिकली नृत्य देखना न भूलें।

बैसाखी का त्यौहार(festival of baisakhi)

सबसे महत्वपूर्ण सिख और पंजाबी त्यौहार में से एक बैसाखी, रबी कृषि फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।

पंजाब के लोग और पंजाबी प्रवासी दुनिया भर में इस फसल उत्सव को बहुत उत्साह और खुशी के साथ मनाते हैं।

लोक नृत्य प्रदर्शन जैसे भांगड़ा और गिद्दा, घर और गुरुद्वारा की सजावट,

और भव्य दावतें भी समारोह का हिस्सा हैं।

गुरपुरब (Gurpurab)

गुरुपर्व, एक और महत्वपूर्ण सिख उत्सव है,

जो पहले सिख गुरु, गुरु नानक के जन्म का सम्मान करता है।

इसे गुरुपर्व, गुरु नानक जयंती और गुरु नानक के प्रकाश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है।

त्योहार से पहले, लोग तीन दिनों तक गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।

वे गुरु की शिक्षाओं पर चर्चा करने और गुरुद्वारों में सांप्रदायिक दावतों की

मेजबानी करने के लिए विशेष सभाएं भी आयोजित करते हैं।

मकर संक्रांति त्यौहार (Makar Sankranti)

मकर संक्रांति त्यौहार सौर कैलेंडर के अनुसार मनाई जाने वाली भारतीय उत्सव में से एक है।

यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ, शीतकालीन संक्रांति और लंबे दिनों की शुरुआत करता है।

पूरे भारत में, इस घटना को कई नामों से जाना और मनाया जाता है।

इसे उत्तर भारत में माघी, असम में माघ बिहू, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में पेड्डा पांडुगा,

तमिलनाडु में थाई पोंगल और मध्य भारत में सुकरत के रूप में मनाया जाता है।

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